-सत्ताचक्र संवाददाता
नईदिल्ली। क्या वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय का लगभग पूरा प्रशासनिक अमला, नकलची प्रोफेसरो की पुस्तकों को छापकर कुलपतियों,प्रोफेसरो,विभागाध्यक्षो,लाइब्रेरियनो व वित्तीय अधिकारियों ,कर्मचारियों के सहयोग से विश्वविद्यालयों ,विभागों की लाइब्रेरियों में सप्लाई करने वाले के यहां, शादी में गया था ? पूर्वांचल विश्वविद्यालय में और दिल्ली के पुस्तक प्रकाशको व सप्लायरों में इसकी खूब चर्चा है। shree publication और university publication प्रशांत जैन के परिवार का है। दरियागंज ,नई दिल्ली में इसका कार्यालय है। इस जैन साहब के परिवार का indica नामक एक पुस्तको की सप्लाई की फर्म है। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय ,जौनपुर में यह फर्म सालाना लगभग 50 लाख से एक करोड़ रूपये तक की पुस्तको की सप्लाई करती है। कुलपति रहने के दौरान प्रेम चंद पातंजलि ने इस फर्म के मालिकानो को पूर्वांचल विश्वविद्यालय में बडा़ सप्लाई दिलाने का काम शुरू कराया । पातंजलि दिल्ली से गये थे। वो जिसको –जिसको पूर्वांचल में ले जाकर भरे उनमें से ज्यादेतर पर आज उस विश्वविद्यालय पर धब्बा लगाने का आरोप लग रहा है। हालत यह हो गयी है कि पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर पर नकलची शिक्षको की जननी का आरोप लगने लगा है। पातंजलि पर उनका जनक होने का आरोप लग रहा है। पातंजलि ही वह जड़ हैं जो इंडिका,श्री पब्लिकेशन,यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन का नाम अपने लाये व नियुक्त किये शिक्षको के मन -मानस में डाले। पातंजलि ने खुद इस पब्लिशर के यहां एक साल में 14 किताबें अपने नाम की छपवाईं। जिनमें से ज्यादेतर में मैटर देशी-विदेशी किताबों आदि से लगभग हूबहू उतार कर छापी गय़ी हैं। अपने आका व पथदर्शक के बताये- दिखाये रास्ते पर चलते हुए डा.अनिल के.राय अंकित, प्रोफेसर रामजी लाल, डा.एस.के.सिन्हा, व 4 अन्य लेक्चररों ने नकल करके कई पुस्तकें उसी प्रशांत जैन की कम्पनी में अपने नाम से छपवा कर ,उसका दाम 600 से सेकर 5000 रूपये रखवाकर पुस्तकालयों में सप्लाई का धंधा शुरू करा दिया। इस पब्लिशर के यहां दरिया गंज कार्यालय से पुस्तक 60 प्रतिशत छूट पर लिया जा सकता है। जिसका प्रमाण है। जबकि यही पब्लिशर विश्वविद्यालयों में मात्र 10 से 20 प्रतिशत की छूट पर पुस्तकें सप्लाई करता है। यानी बीच की 40 से 50 प्रतिशत रकम विश्वविद्यालयों के कुलपतियों,प्रोफेसरो,विभागाध्यक्षो,अफसरो,लाइब्रेरियनो ,लेखा क्लर्को आदि के बीच चढ़ावा चढ़ जाता होगा । पूर्वांचल विश्वविद्यालय में बीते कुछ साल में पुस्तको की खरीद का रिकार्ड देखा जाय तो सब कुछ साफ हो जायेगा। जैन की कम्पनी ने वहां खूब पुस्तकें सप्लाई की हैं। श्रीपब्लिकेशन,अनमोल पब्लिकेशन में छपी कई विषयों की तमाम महंगी इन्साइक्लोपीडिया खरीदी गईं हैं ,जिनमें कई तो नकल करके लिखी गईं हैं। कहा जा रहा है कि मोटे कमीशन के चक्कर में इन्हे खरीदा गया। क्योंकि इनकी खरीद के समय से अब तक यदि इनकी इन्ट्री देखी जाय तो पता चलेगा कि इनमें बहुत को तो कोई आज तक इसु ही नहीं कराया है ,नहीं पलटा है। ये मंहगी पुस्तकें केवल लाइब्रेरी के बजट को खपाने और ऊपरी के चक्कर में खरीदी गयीं हैं।बताया जाता है कि इस विश्वविद्यालय में इस साल अभी तक 40 लाख रूपये की पुस्तकें खरीदी जा चुकी हैं।जिसमें ज्यादेतर की सप्लाई प्रशांत जैन की परिवारी कंपनी ने की है। वह सप्लायर फर्म और उसकी सप्लाई की हुई श्रीपब्लिकेशन,अनमोल पब्लिकेशन आदि की ज्यादेतर पुस्तकें नकल करके लिखी गईं हैं। इस संबंध में बाकायदा लिखित शिकायत और आर.टी.आई पूर्वांचल विश्वविद्यालय के कुलपति के यहां डेढ़ माह पहले गया है। अखबार व टी.वी. पर भी बहुत कुछ आ चुका है ।उसके बावजूद यदि पूर्वांचल विश्वविद्यालय के ज्यादेतर महानुभाव उस आरोपी पुस्तक पब्लिशर व सप्लायर के यहां शादी में दिल्ली आये थे तो यह एक बड़े रैकेट का संकेत करता है। कहा जा रहा है कि विश्वविद्यालय के कुलपति आर.सी सारस्वत ,उनके निजी सचिव के. एस. तोमर 11 -11-09 को दिल्ली के लिए उड़े। तोमर 14 की सुबह दिल्ली के नजदीक अपने घर चले गये। लेक्चरर व हेड एस .के. सिन्हा 11-11-09 को ट्रेन से दिल्ली के लिए चले। विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के कैटालागर व लाइब्रेरी प्रभारी विद्युत कुमार मल्ल ,उनकी पत्नी , पुस्तकालय सहायक अवधेश प्रताप 12-11-09 को वाराणसी से ट्रेन से दिल्ली के लिए चले।इनका आरक्षण नम्बर भी जानकारी में है। पूर्व कुलपति पी.सी.पातंजलि,पूर्व कुलपति नरेश चंद्र गौतम के स्टेनो रहे और इस समय वित्त अधिकारी ओमप्रकाश पिपिल के स्टेनो सुबोध पांडेय,, विश्वविद्यालय के एकाउंट विभाग में एकाउंटेंट जैन भी दिल्ली पहुंचे।विश्वविद्यालय के कुछ और भी महानुभाव पधारे थे। इस बारे में बात करने पर कुछ ने सच-सच बता दिया ,यह भी बता दिया कि और कौन-कौन लोग आये हैं ,कहां रूके हैं। जबकि कुछ तो साफ मुकर गये कि सप्लायर की शादी में नही आये हैं। कहा जा रहा है कि प्रशांत जैन के यहां काम करने वाला और पूर्वांचल विश्वविद्यालय में लगातार आकर आर्डर का कागज ले जाने वाला योगेश नामक व्यक्ति ने कुछ का टिकट आदि कराया था। शादी जी.टी. करनाल रोड पर YADU GREEN के वी.आई.पी लान में 13-11-09 को शाम 7 बजे थी। यदि सप्लायर और पूर्वांचल विश्वविद्यालय के महानुभावों का यह संबंध है तो नकल करके किताब लिखने वाले इस विश्वविद्यालय के शिक्षको और उन किताबो को छापकर सप्लाई करने वाले इस प्रकाशक के खिलाफ कुलपति क्या कार्रवाई करेंगे ? क्या कुलपति सारस्वत नकल करके किताब अपने नाम छपवा लेने वाले शिक्षकों को लेक्चरर से रीडर बनाने के लिए जो साक्षात्कार कराये थे और उसमें सिन्हा से लगायत अन्य सबको रीडर बनाने की मुहर लगा दी गई है,उसे निरस्त करेंगें ? इनके खिलाफ नकल करके किताब लिखने के मामले में कड़ी कार्रवाई करेंगे ? प्रशांत जैन व उनकी पारिवारी कम्पनी द्वारा प्रकाशित और सप्लाई की गई पुस्तको का भुगतान रोकेंगे ? उन फर्म / कम्पनी को ब्लैकलिस्टेड करेंगे ?