सत्ताचक्र गपशप
किताबें गायब करा रहे हैं नकलची प्रोफेसर(चोर गुरू) : देशी –विदेशी लेखको की पुस्तको ,शोध-पत्रो से मैटर हूबहू उतारकर अपने नाम दो –चार से लेकर कई दर्जन तक पुस्तके छपवा लेने वाले चोर प्रोफेसरो,रीडरो व लेक्चररो ने पुस्तके लाइब्रेरी से गायब करानी शुरू कर दी हैं। CNEB न्यूज चैनल पर नाम आने या आगे के एपीसोड में नाम आने की संभावना से भयभीत ये चोर गुरू लोग अपनी लिखी किताब गायब कराकर सोचते हैं कि बच जायेंगे। पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर ,महात्मागांधी काशीविद्यापीठ वाराणसी,जामिया मिलिया दिल्ली,महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि. वर्धा के कई चोर गुरूओं ने लाइब्रेरी से अपनी लिखी पुस्तकें छात्रो के नाम इसु कराकर पुस्तक खो जाने की बात कह उसका पैसा जमा कराने लगे हैं। पब्लिशरों से उसको आगे नही छापने के लिए कह दिये हैं।जो छपी कापी बची हैं उन्हे डम्प करने को कह रहे हैं।चोर गुरूओं की किताबें छापने ,उनके सहयोग से अति मंहगा दाम रख विश्वविद्यालयों,महाविद्यालयों में 50 प्रतिशत तक चढ़ावा चढ़ाकर खपाने का प्रकाशको का काला धंधा जोरो पर है। इस काले धंधे की पहली बार इतने बड़े स्तर पर खुलासे से इन सब चोर गुरूओं और चोर प्रकाशकों की धुकधुकी बढ़ गई है।क्योंकि इन शिक्षकों ,प्रकाशकों का असली चेहरा सबके सामने आने लगा है।
काशी विद्यापीठ – यहां के एक चोर गुरू प्रोफेसर ने एक पुराने हिन्दी अखबार के प्रकाशन संस्थान से अपनी पत्रकारिता की पुस्तक छपवाया था।यह किताब उसने नकल करके लिखी है। जब उसको पता चला कि एक चैनल उसके नकल करके लिखी पुस्तको के बारे में व्यौरा जुटा रहा है तो उसने उस प्रकाशन संस्थान में बची अपनी पुस्तक की 20 प्रति खरीद कर घर पर डंप कर दिया। हिन्दी से एम.ए. किये इस प्रोफेसर ने इलेक्ट्रानिक मीडिया पर भी पुस्तक लिखा है। उसकी कुछ प्रति काशी विद्यापीठ के केन्द्रीय लाइब्रेरी में थी। जिसमें से उसने कुछ प्रति कहीं गायब करा दिया ,बची कुछ प्रति अपने चहेते छात्रो के नाम इसु कराकर उसमें से कुछ से पुस्तक का पैसा जमा करा दिया। वह प्रोफेसर खुद भी पुस्तकालय प्रभारी रह चुका है और उस दौरान 300 रूपये की पुस्तकें 1300 रूपये में खरीदवाया था। उसके इस घपले पर जांच बैठी थी । जिसने जांच में घपला सही पाया था ।चर्चा है कि उस प्रोफेसर ने वह जांच रिपोर्ट ही गायब करा दिया है। और लखनऊ तक जुगाड़ लगाकर अपने खिलाफ कार्रवाई वाली फाइल दबवा दिया है। इस विश्वविद्यालय में ऐसे कई और चोर गुरू हैं ।जिनके बारे में कुछ दिन बाद।
काशी विद्यापीठ – यहां के एक चोर गुरू प्रोफेसर ने एक पुराने हिन्दी अखबार के प्रकाशन संस्थान से अपनी पत्रकारिता की पुस्तक छपवाया था।यह किताब उसने नकल करके लिखी है। जब उसको पता चला कि एक चैनल उसके नकल करके लिखी पुस्तको के बारे में व्यौरा जुटा रहा है तो उसने उस प्रकाशन संस्थान में बची अपनी पुस्तक की 20 प्रति खरीद कर घर पर डंप कर दिया। हिन्दी से एम.ए. किये इस प्रोफेसर ने इलेक्ट्रानिक मीडिया पर भी पुस्तक लिखा है। उसकी कुछ प्रति काशी विद्यापीठ के केन्द्रीय लाइब्रेरी में थी। जिसमें से उसने कुछ प्रति कहीं गायब करा दिया ,बची कुछ प्रति अपने चहेते छात्रो के नाम इसु कराकर उसमें से कुछ से पुस्तक का पैसा जमा करा दिया। वह प्रोफेसर खुद भी पुस्तकालय प्रभारी रह चुका है और उस दौरान 300 रूपये की पुस्तकें 1300 रूपये में खरीदवाया था। उसके इस घपले पर जांच बैठी थी । जिसने जांच में घपला सही पाया था ।चर्चा है कि उस प्रोफेसर ने वह जांच रिपोर्ट ही गायब करा दिया है। और लखनऊ तक जुगाड़ लगाकर अपने खिलाफ कार्रवाई वाली फाइल दबवा दिया है। इस विश्वविद्यालय में ऐसे कई और चोर गुरू हैं ।जिनके बारे में कुछ दिन बाद।