-सत्ताचक्र गपशप-
पूर्वांचल वि.वि.जौनपुर के फिलहाल तीन नकलचेपी गुरूओं (प्रो.रामजी लाल,लेक्चरर एस.के. सिन्हा,लेक्चरर अवैतनिक अवकाश ,इससमय म.गां.अं.हि.वि.वि. वर्धा में प्रोफेसर, अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के. राय अंकित) को वि.वि. प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस दिया है। जिसका जबाब एक सप्ताह में देने को कहा गया है।वह समय अब पूरा हो गया ।नोटिस पर वि.वि. के रजिस्ट्रार का हस्ताक्षर है।जिन्होने कुलपति के निर्देश पर यह नोटिस जारी किया है। नकलचेपियों को नोटिस दिये जाने के कुछ दिन बाद ही भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ,जौनपुर के एक पदाधिकारी का पत्र उ.प्र. के राज्यपाल के यहां भेजा जाता है।उसकी प्रति BABAJI PCO OLANDGANJ,JAUNPUR-2 ,FAX NO. 05452-268714 से 20-11-09 को सायं 3 बजकर 46 मिनट पर CNEB न्यूज चैनल के लिए चोर गुरू कार्यक्रम बना रही टीम के यहां भेजा गया। NSUI जौनपुर के जिस पदाधिकारी ने अपने लेटर हेड पर यह पत्र लिखा है उन्होने इस पर अपना दो फोन नम्बर दिया है। एक -9889055407 दूसरा 9415893652 . इसमें पहला मोबाइल आइडिया का है जो आफ है। दूसरा मोबाइल नं. गोरखपुर में एक मोबाइल की दुकान चलाने वाले सब्बीर अहमद का है। आज 11.23 a.m. पर इस नंबर पर बात हुई तो सब्बीर ने बताया कि इस मोबाइल से पैसा ट्रांसफर होता है।
एनएसयूआई के जौनपुर के पदाधिकारी ने प्रदेश के राज्यपाल को डेढ़ पेज का जो पत्र लिखा है उसमें लिखा है-
विषय : बी.बी.एस. पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर में कार्यरत कुलसचिव डा.बीएल.आर्या के कृत्य के सन्दर्भ में ।
यानी पत्र वि.वि. के रजिस्ट्रार के खिलाफ लिखा गया है। जिसको पढ़ने से ऐसा आभास होता है कि वि.वि. में जोभी भ्रष्टाचार है सबकी एक मात्र जड़ रजिस्ट्रार हैं। बाकी सब हरिश्चन्द्र हैं। कुलपति,नकलचेपी अध्यापक,सप्लायर के यहां शादी में दिल्ली जाने वाले वि.वि. के मास्टर,पदाधिकारी ,कैटालागर,पुस्तकालय सहायक,क्लर्क,पी.ए. आदि सब दूध के धूले हैं।
इस पत्र के साथ एक भी प्रमाण नहीं दिया गया है। पत्र पर दिनांक भी नही डाला गया है। इसमे वि.वि. के रजिष्ट्रार के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि उन्होने अपने पुत्र रामसिंह को एम.बी.ए. विभाग में गेस्ट लेक्चरर नियुक्त कर दिया है । लेकिन पत्र में यह कहीं नही लिखा है इसी वि.वि. के DEPARTMENT OF FINANCIAL STUDIES के नकलचेपी लेक्चरर डा.एस.के. सिन्हा के सगे भाई प्रभात सिन्हा,वि.वि.के केन्द्रीय पुस्तकालय में पुस्तकालय सहायक अवधेश प्रताप के रिश्तेदार सहित डेढ़ दर्जन से अधिक गेस्ट लेक्चरर हैं।जिसमें कई तो यहां के मास्टरो,अफसरो,कर्मचारियों के नजदीकी या दूर के रिश्तेदार या खास हैं।
पत्र में लिखा है कि रामसिंह को कापी जांचने का काम भी दिया गया। वि.वि. के नियम के अनुसार तीन साल तक पढ़ाने का अनुभव रखने वाला लेक्चरर कापी जांच सकता है। इस नियम के अनुसार यदि राम सिंह का पढ़ाने का अनुभव तीन साल से अधिक हो गया होगा तो वह कापी जांच सकते हैं। पत्र में पांचवे नम्बर पर लिखा है- शैक्षणिक अनुभाग में थिसिस तथा मैखिक परीक्षा कराने के नाम पर 5 से 10 हजार प्रति छात्र लिया जाता है। पत्र में रजिस्ट्रार पर और भी आरोप लगाये हैं। लेकिन कहीं भी वि.वि. के इन तमाम तथाकथित घोटालों ,गड़बडियों के लिए कुलपति या विभाग के हेड या इन्चार्ज पर आरोप नहीं लगाया गया है।ऐसा लगता है कि इस वि.वि. के रजिस्ट्रार ही कुलपति,विभागाध्यक्ष,सभी विभाग के इन्चार्ज और क्लर्क हैं। इस पत्र में यह कहीं नहीं लिखा गया है कि नकलकरके किताबें लिखनेवाले वि.वि. के प्रोफेसरो को नौकरी से निकाला जाना चाहिए। नकल करके लिखी उन मास्टरों की पुस्तकें छापने और उनकी सप्लाई इस वि.वि. में लगभग सात साल से करने वाले दिल्ली के इंडिका सप्लायर ,श्री पब्लिशर डिस्ट्रीब्यूटर को ब्लैक लिस्ट किया जाय।उसके यहां से कई करोड़ रू. की पुस्तकें खरीदवाने वाले कुलपति,हेड,लेक्चरर,अफसर के खिलाफ सी.बी.आई. जांच कराया जाय।लाइब्रेरी में कई-कई साल तक किताबों को डम्प करने,उनकी इन्ट्री नहीं करने वालो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाय।सप्लायर के यहां शादी में क्या इसी-लेन-देन की रिश्तेदारी निभाने के लिए ये सभी गये थे ,इसकी जांच कराया जाय।
इस पत्र को लिखने वाले व्यक्ति के संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का इस बारे में कहना है कि पूर्वांचल वि.वि. में भ्रष्टाचार के लिए वे सब बराबर के जिम्मेदार हैं जो कुर्सी पर बैठे हैं। जांच सबके खिलाफ होनी चाहिए। इस संगठन के कुछ पदाधिकारी जौनपुर के इस पदाधिकारी के पत्र को कांग्रेस अध्यक्ष और एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष के यहां पूर्वांचल वि.वि. के नकलचेपी मास्टरों के कारनामो के सबूत सहित भेज रहे हैं।
पूर्वांचल वि.वि.जौनपुर के फिलहाल तीन नकलचेपी गुरूओं (प्रो.रामजी लाल,लेक्चरर एस.के. सिन्हा,लेक्चरर अवैतनिक अवकाश ,इससमय म.गां.अं.हि.वि.वि. वर्धा में प्रोफेसर, अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के. राय अंकित) को वि.वि. प्रशासन ने कारण बताओ नोटिस दिया है। जिसका जबाब एक सप्ताह में देने को कहा गया है।वह समय अब पूरा हो गया ।नोटिस पर वि.वि. के रजिस्ट्रार का हस्ताक्षर है।जिन्होने कुलपति के निर्देश पर यह नोटिस जारी किया है। नकलचेपियों को नोटिस दिये जाने के कुछ दिन बाद ही भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ,जौनपुर के एक पदाधिकारी का पत्र उ.प्र. के राज्यपाल के यहां भेजा जाता है।उसकी प्रति BABAJI PCO OLANDGANJ,JAUNPUR-2 ,FAX NO. 05452-268714 से 20-11-09 को सायं 3 बजकर 46 मिनट पर CNEB न्यूज चैनल के लिए चोर गुरू कार्यक्रम बना रही टीम के यहां भेजा गया। NSUI जौनपुर के जिस पदाधिकारी ने अपने लेटर हेड पर यह पत्र लिखा है उन्होने इस पर अपना दो फोन नम्बर दिया है। एक -9889055407 दूसरा 9415893652 . इसमें पहला मोबाइल आइडिया का है जो आफ है। दूसरा मोबाइल नं. गोरखपुर में एक मोबाइल की दुकान चलाने वाले सब्बीर अहमद का है। आज 11.23 a.m. पर इस नंबर पर बात हुई तो सब्बीर ने बताया कि इस मोबाइल से पैसा ट्रांसफर होता है।
एनएसयूआई के जौनपुर के पदाधिकारी ने प्रदेश के राज्यपाल को डेढ़ पेज का जो पत्र लिखा है उसमें लिखा है-
विषय : बी.बी.एस. पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर में कार्यरत कुलसचिव डा.बीएल.आर्या के कृत्य के सन्दर्भ में ।
यानी पत्र वि.वि. के रजिस्ट्रार के खिलाफ लिखा गया है। जिसको पढ़ने से ऐसा आभास होता है कि वि.वि. में जोभी भ्रष्टाचार है सबकी एक मात्र जड़ रजिस्ट्रार हैं। बाकी सब हरिश्चन्द्र हैं। कुलपति,नकलचेपी अध्यापक,सप्लायर के यहां शादी में दिल्ली जाने वाले वि.वि. के मास्टर,पदाधिकारी ,कैटालागर,पुस्तकालय सहायक,क्लर्क,पी.ए. आदि सब दूध के धूले हैं।
इस पत्र के साथ एक भी प्रमाण नहीं दिया गया है। पत्र पर दिनांक भी नही डाला गया है। इसमे वि.वि. के रजिष्ट्रार के खिलाफ आरोप लगाया गया है कि उन्होने अपने पुत्र रामसिंह को एम.बी.ए. विभाग में गेस्ट लेक्चरर नियुक्त कर दिया है । लेकिन पत्र में यह कहीं नही लिखा है इसी वि.वि. के DEPARTMENT OF FINANCIAL STUDIES के नकलचेपी लेक्चरर डा.एस.के. सिन्हा के सगे भाई प्रभात सिन्हा,वि.वि.के केन्द्रीय पुस्तकालय में पुस्तकालय सहायक अवधेश प्रताप के रिश्तेदार सहित डेढ़ दर्जन से अधिक गेस्ट लेक्चरर हैं।जिसमें कई तो यहां के मास्टरो,अफसरो,कर्मचारियों के नजदीकी या दूर के रिश्तेदार या खास हैं।
पत्र में लिखा है कि रामसिंह को कापी जांचने का काम भी दिया गया। वि.वि. के नियम के अनुसार तीन साल तक पढ़ाने का अनुभव रखने वाला लेक्चरर कापी जांच सकता है। इस नियम के अनुसार यदि राम सिंह का पढ़ाने का अनुभव तीन साल से अधिक हो गया होगा तो वह कापी जांच सकते हैं। पत्र में पांचवे नम्बर पर लिखा है- शैक्षणिक अनुभाग में थिसिस तथा मैखिक परीक्षा कराने के नाम पर 5 से 10 हजार प्रति छात्र लिया जाता है। पत्र में रजिस्ट्रार पर और भी आरोप लगाये हैं। लेकिन कहीं भी वि.वि. के इन तमाम तथाकथित घोटालों ,गड़बडियों के लिए कुलपति या विभाग के हेड या इन्चार्ज पर आरोप नहीं लगाया गया है।ऐसा लगता है कि इस वि.वि. के रजिस्ट्रार ही कुलपति,विभागाध्यक्ष,सभी विभाग के इन्चार्ज और क्लर्क हैं। इस पत्र में यह कहीं नहीं लिखा गया है कि नकलकरके किताबें लिखनेवाले वि.वि. के प्रोफेसरो को नौकरी से निकाला जाना चाहिए। नकल करके लिखी उन मास्टरों की पुस्तकें छापने और उनकी सप्लाई इस वि.वि. में लगभग सात साल से करने वाले दिल्ली के इंडिका सप्लायर ,श्री पब्लिशर डिस्ट्रीब्यूटर को ब्लैक लिस्ट किया जाय।उसके यहां से कई करोड़ रू. की पुस्तकें खरीदवाने वाले कुलपति,हेड,लेक्चरर,अफसर के खिलाफ सी.बी.आई. जांच कराया जाय।लाइब्रेरी में कई-कई साल तक किताबों को डम्प करने,उनकी इन्ट्री नहीं करने वालो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाय।सप्लायर के यहां शादी में क्या इसी-लेन-देन की रिश्तेदारी निभाने के लिए ये सभी गये थे ,इसकी जांच कराया जाय।
इस पत्र को लिखने वाले व्यक्ति के संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का इस बारे में कहना है कि पूर्वांचल वि.वि. में भ्रष्टाचार के लिए वे सब बराबर के जिम्मेदार हैं जो कुर्सी पर बैठे हैं। जांच सबके खिलाफ होनी चाहिए। इस संगठन के कुछ पदाधिकारी जौनपुर के इस पदाधिकारी के पत्र को कांग्रेस अध्यक्ष और एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष के यहां पूर्वांचल वि.वि. के नकलचेपी मास्टरों के कारनामो के सबूत सहित भेज रहे हैं।