-सत्ताचक्र गपशप-
महात्मागांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्विद्यालय, वर्धा के एक्जक्यूटिव कमेटी की 13 जनवरी 2010 को दिल्ली में हुई बैठक में पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय ने अनिल चमडि़या को प्रोफेसर पद पर नियुक्ति की मंजूरी नहीं दिलाने के लिए क्या चाल चली? सूत्रो के मुताबिक एक्जक्यूटिव कमेटी के दो सदस्यों ने अपने किसी खास को बातचीत में बताया कि विभूति ने क्जक्यूटिव कमेटी की बैठक में कहा- मुझसे एक गलती हो गयी है। कृपया आपलोग उसे सुधारने में सहयोग करें। जिस पर कमेटी के सदस्यों ने कहा कि आप गलती सुधार लीजिए, इसमें किसी को क्या ऐतराज होगी। उसके बाद उन्होने अनिल चमड़िया की नियुक्ति पर कमेटी की मंजूरी नहीं कराई। लेकिन नकल करके लगभग एकदर्जन किताबें अपने नाम छपवा लेने वाले सजातीय अनिल कुमार राय अंकित (Dr.ANIL K. RAI ANKIT) के बारे में नही कहा कि मुझसे गलती हुई है,उसकी नियुक्ति पर चुपचाप मंजूरी कराली। पुलिसिया कुलपति अपने लोगो से जो कहते रहे थे कि अनिल चमड़िया को तो निकालूंगा,और अनिल के. राय अंकित के बारे में जब ऊपर से आदेश आयेगा तब देखा जायेगा, उसे कर दिया दिया। इस तरह अनिल चमड़िया को निकालने की अपनी साजिश को अमली जामा पहना लिया। सूत्रो का कहना है कि पुलिसिया कुलपति ने एक्जक्यूटिव के सदस्यों से बैठक के पहले ही मिलकर लाइजनिंग कर लिया था। यह सब उन्होने पहले से सोची-समझी चाल के तहत किया।इसी लिए तो इंटरनल एक्जक्यूटिव सदस्य बनाये बिना ही, नियमत: 18 सदस्यों की एक्जक्यूटिव कमेटी बनाये बिना ही ,जल्दबाजी में अधूरी एक्जक्यूटिव की बैठक दिल्ली में कराकर अपने तमाम करमो पर विजिटर द्वारा नामित महानुभावों से मुहर लगवा लिया।सूत्रो का कहना है कि पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में एक्सटेंसन पर चल रहे उच्च शिक्षा सचिव का प्रभार देख रहे सुनील कुमार को पटा लिया है।सुनील कुमार मलयाली हैं और इन दिनो प्रधानमंत्री कार्यालय में मलयाली लाबी की तूती बोल रही है।यह लाबी अपने को पी.एम. के बाद सबसे पावरफुल मान रही है, और जो चाह रही है कर रही है। चर्चा है कि यह लाबी अपने एसमैनो व पुष्पम्-पत्रम आदि चढ़ाने वालो की मालदार पद पर नियुक्ति कराने से लगायत उनके कदाचार के कर्मो की मालदार फाइल को ओ.के. कराने तक का काम करवा रही है। कहा जाता है कि पुलिसिया कुलपति ने सुनील कुमार के मार्फत अपनी जाति के दो, ब्राह्मण दो, एक लाला और एक दक्षिण भारतीय को एक्जक्यूटिव का सदस्य बनवा लिया।सूत्रो का कहना है कि इसमें कुछ अतिशयोक्ति हो सकती है, लेकिन यह तो है कि जो भी महानुभाव बने हैं उनमें ज्यादेतर सत्ताचापलुस व पदलोभी हैं।
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