-सत्ताचक्र-
क्या महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय( Vibhuty Narayan Rai / V.N.RAI ) ने 13 जनवरी 2010 को दिल्ली में वि.वि. की एक्जक्यूटिव काउंसिल की जो बैठक कराई, वह अधूरी कार्यकारिणी परिषद की बैठक थी ? और यदि यह अधूरी कार्यकारिणी की बैठक थी तो यह बैठक और उसमें किये गये सभी निर्णय अवैध हो सकते हैं। यदि उस अधूरी कार्यकारिणी की बैठक और उसके निर्णयों पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अफसर ध्यान दिये बिना राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिये, और उस पर राष्ट्रपति की मंजूरी की मुहर लग भी जाये तो भी न्यायालय में उसको चैलेंज किया जा सकता है। दोष कुलपति और मंत्रालय के अफसरों पर आयेगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दिनांक 28-12-2001 के पत्रांक सं. F 26 – 21/2001 DESK (U ) के अनुसार महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा की कार्यकारिणी परिषद के निम्न सदस्य होंगे-
1-कुलपति
2-प्रति कुलपति
3-कुलपति द्वारा मनोनीत दो डीन
4-दो विभागाध्यक्ष
5-एक प्रोफेसर
6-एक रीडर
7-एक लेक्चरर
8-कुलाध्यक्ष द्वारा मनोनीत वि.वि. के न्यायालय के दो सदस्य
9-कुलाध्यक्ष द्वारा हिन्दी भाषा,साहित्य, संस्कृति,अनुवाद आदि क्षेत्र से 6 सदस्यों का मनोनयन
10-कुलाध्यक्ष द्वारा सूचना व संचार तकनीकी का एक विशेषज्ञ
इस तरह एक्जक्यूटिव काउंसिल के कुल 18 सदस्य
होंगे,तब पूरी एक्जक्यूटिव काउंसिल बनती है।
और 18 सदस्यों की एक्जक्यूटिव काउंसिल की बैठक बुलाने पर यदि उसमें से 6 सदस्य भी उपस्थित होते हैं तब एक्जक्यूटिव काउंसिल का कोरम पूरा माना जाएगा।
लेकिन पुलिसिया कुलपति विभूतिनारायण राय ने तो नियमानुसार 18 सदस्यों की एक्जक्यूटिव काउंसिल का गठन किये बिना ही इसका(एक्जक्यूटिव काउंसिल का) दिल्ली में बैठक कराके अपने आपातकालीक शक्ति का प्रयोग करके किये मनमानी काम पर मुहर लगवा लिया।
बैठक में कुलाध्यक्ष द्वारा मनोनीत 7 सदस्यों में से केवल 6 सदस्य प्रो.रामकरन शर्मा, मृणाल पाण्डेय,डा.एस.थंकामुनियप्पा, प्रो.कृष्णकुमार, गंगा प्रसाद विमल, डा.एस.एन राय, आये थे। एक सदस्य विष्णुनागर पहली बैठक के पहले ही इस्तीफा दे दिये। पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय की अध्यक्षता में बैठक हुई। उन्होने जो समझाया, ये नये बने 6 सदस्यों ने उस पर सहमति की मुहर लगा दिया। इस तरह 7 लोग मिलकर एक्जक्यूटिव काउंसिल की बैठक कर लिये और पीछले काफी दिनो से किये पुलिसिया कुलपति के सभी कर्मो को अपनी सहमति की मुहर लगा कर जायज ठहरा दिये। 6 सुनाम धन्यों में से किसी ने भी जांचने पूछने की जरूरत महसूस नहीं की। नकलकरके एक दर्जन के लगभग पुस्तकें अपने नाम छपवालेने वाले अनिल के.राय अंकित ( Dr. ANIL K. RAI ANKIT) को प्रोफेसर नियुक्त करने के मामले में भी 6 सुनामधन्यो में से किसी ने यह नहीं कहा कि इस नकलचेपी के नकल के बारे में मीडिया में इतना आ रहा है, कई जगह लिखित शिकायत भी गई है, तो पहले इसकी जांच कराई जानी चाहिए,उसके बाद इसके नियुक्ति पर एक्जक्यूटिव काउंसिल अपनी सहमति की मुहर लगायेगी। पुलिस से कुलपति बने विभूति राय ने सबको समझा दिया कि एक कमेटी बनाकर इसकी जांच करायेंगे, अभी तो इसकी नियुक्ति की मंजूरी दे दी जाय। तो पुलिसिया कुलपति की बात पर राजी हो कर 6 सुनामधन्यो ने नकलचेपी अनिल कुमार राय की नियुक्ति पर मंजूरी दे दी। लेकिन उसी विभूति नारायण राय ने अनिल चमड़िया की प्रोफेसर पद पर नियुक्ति की संस्तुति नहीं कराई। कह दिया कि इनके बारे में कम्प्लेन आई है,मामला चल रहा है।
क्या महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय( Vibhuty Narayan Rai / V.N.RAI ) ने 13 जनवरी 2010 को दिल्ली में वि.वि. की एक्जक्यूटिव काउंसिल की जो बैठक कराई, वह अधूरी कार्यकारिणी परिषद की बैठक थी ? और यदि यह अधूरी कार्यकारिणी की बैठक थी तो यह बैठक और उसमें किये गये सभी निर्णय अवैध हो सकते हैं। यदि उस अधूरी कार्यकारिणी की बैठक और उसके निर्णयों पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अफसर ध्यान दिये बिना राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिये, और उस पर राष्ट्रपति की मंजूरी की मुहर लग भी जाये तो भी न्यायालय में उसको चैलेंज किया जा सकता है। दोष कुलपति और मंत्रालय के अफसरों पर आयेगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दिनांक 28-12-2001 के पत्रांक सं. F 26 – 21/2001 DESK (U ) के अनुसार महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा की कार्यकारिणी परिषद के निम्न सदस्य होंगे-
1-कुलपति
2-प्रति कुलपति
3-कुलपति द्वारा मनोनीत दो डीन
4-दो विभागाध्यक्ष
5-एक प्रोफेसर
6-एक रीडर
7-एक लेक्चरर
8-कुलाध्यक्ष द्वारा मनोनीत वि.वि. के न्यायालय के दो सदस्य
9-कुलाध्यक्ष द्वारा हिन्दी भाषा,साहित्य, संस्कृति,अनुवाद आदि क्षेत्र से 6 सदस्यों का मनोनयन
10-कुलाध्यक्ष द्वारा सूचना व संचार तकनीकी का एक विशेषज्ञ
इस तरह एक्जक्यूटिव काउंसिल के कुल 18 सदस्य
होंगे,तब पूरी एक्जक्यूटिव काउंसिल बनती है।
और 18 सदस्यों की एक्जक्यूटिव काउंसिल की बैठक बुलाने पर यदि उसमें से 6 सदस्य भी उपस्थित होते हैं तब एक्जक्यूटिव काउंसिल का कोरम पूरा माना जाएगा।
लेकिन पुलिसिया कुलपति विभूतिनारायण राय ने तो नियमानुसार 18 सदस्यों की एक्जक्यूटिव काउंसिल का गठन किये बिना ही इसका(एक्जक्यूटिव काउंसिल का) दिल्ली में बैठक कराके अपने आपातकालीक शक्ति का प्रयोग करके किये मनमानी काम पर मुहर लगवा लिया।
बैठक में कुलाध्यक्ष द्वारा मनोनीत 7 सदस्यों में से केवल 6 सदस्य प्रो.रामकरन शर्मा, मृणाल पाण्डेय,डा.एस.थंकामुनियप्पा, प्रो.कृष्णकुमार, गंगा प्रसाद विमल, डा.एस.एन राय, आये थे। एक सदस्य विष्णुनागर पहली बैठक के पहले ही इस्तीफा दे दिये। पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय की अध्यक्षता में बैठक हुई। उन्होने जो समझाया, ये नये बने 6 सदस्यों ने उस पर सहमति की मुहर लगा दिया। इस तरह 7 लोग मिलकर एक्जक्यूटिव काउंसिल की बैठक कर लिये और पीछले काफी दिनो से किये पुलिसिया कुलपति के सभी कर्मो को अपनी सहमति की मुहर लगा कर जायज ठहरा दिये। 6 सुनाम धन्यों में से किसी ने भी जांचने पूछने की जरूरत महसूस नहीं की। नकलकरके एक दर्जन के लगभग पुस्तकें अपने नाम छपवालेने वाले अनिल के.राय अंकित ( Dr. ANIL K. RAI ANKIT) को प्रोफेसर नियुक्त करने के मामले में भी 6 सुनामधन्यो में से किसी ने यह नहीं कहा कि इस नकलचेपी के नकल के बारे में मीडिया में इतना आ रहा है, कई जगह लिखित शिकायत भी गई है, तो पहले इसकी जांच कराई जानी चाहिए,उसके बाद इसके नियुक्ति पर एक्जक्यूटिव काउंसिल अपनी सहमति की मुहर लगायेगी। पुलिस से कुलपति बने विभूति राय ने सबको समझा दिया कि एक कमेटी बनाकर इसकी जांच करायेंगे, अभी तो इसकी नियुक्ति की मंजूरी दे दी जाय। तो पुलिसिया कुलपति की बात पर राजी हो कर 6 सुनामधन्यो ने नकलचेपी अनिल कुमार राय की नियुक्ति पर मंजूरी दे दी। लेकिन उसी विभूति नारायण राय ने अनिल चमड़िया की प्रोफेसर पद पर नियुक्ति की संस्तुति नहीं कराई। कह दिया कि इनके बारे में कम्प्लेन आई है,मामला चल रहा है।
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