-सत्ताचक्र-
शोभना भरतिया के हिन्दी अखबार हिन्दुस्तान में हाल तक प्रधान सम्पादक रहीं मृणाल पाण्डेय (MRINAL PANDEY) से एक संवाददाता ने उनके घर के लैंडलाइन वाले वाले नम्बर पर दिनांक 12 जनवरी 2010 को सायं 5 बजकर 27 मिनट पर बात की। बात देशी –विदेशी प्रोफेसरों, विद्वानो, संस्थाओं के पुस्तकों,शोध-पत्रों आदि से मैटर हूबहू उतारकर अपने नाम पुस्तकें लिखने वाले भारतीय विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों,रीडरों, लेक्चररों व उनको संरक्षण दे रहे कुलपतियों के बारे में और इस रैकेट में शामिल पब्लिशरों,सप्लायरों के मार्फत सालाना लगभग 500 करोड़ रूपये के ऐसे पुस्तकों का विश्वविद्यालयों की लाइरेब्रेरियों में सप्लाई के धंधे पर मृणाल पाण्डेय के साक्षात्कार के बावत हुई। जिस पर मृणाल ने कहा- मेरी इसमें रूचि नहीं है।
सवाल- ठीक है आप इस पर साक्षात्कार मत दीजिए , कल जहां आप एक बैठक में जा रही हैं उससे संबंधित एक ऐसे नकलचेपी प्रोफेसर अनिल कुमार राय अंकित( Dr. ANIL K. RAI ANKIT) के नकल करके लगभग एक दर्जन पुस्तकें लिखने का प्रमाण आपके यहां भेजा जा रहा है , उसे आप देख लीजिएगा।
जबाब- इतना कीचड़ लेकर मैं क्या करूंगी ।
सवाल- कल ( दिनांक 13-01-2010) आप महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा की एक्जक्यूटिव कमेटी की बैठक में जा रही हैं, आप उसकी सदस्य हैं, उसमें उसी कीचड़ पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगायेंगी क्या ? क्योंकि नकल करके एक दर्जन के लगभग किताबें लिखने वाले अनिल के. राय अंकित के जिस नकल के सबूत को आप कीचड़ कह रही हैं , उसी अनिल के. राय को उस वि.वि. में कुछ माह पहले प्रोफेसर व हेड नियुक्त किया गया है।
जबाब- .......चुप्पी..।( फोन कट गया)।
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जबाब- इतना कीचड़ लेकर मैं क्या करूंगी ।
सवाल- कल ( दिनांक 13-01-2010) आप महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा की एक्जक्यूटिव कमेटी की बैठक में जा रही हैं, आप उसकी सदस्य हैं, उसमें उसी कीचड़ पर अपनी स्वीकृति की मुहर लगायेंगी क्या ? क्योंकि नकल करके एक दर्जन के लगभग किताबें लिखने वाले अनिल के. राय अंकित के जिस नकल के सबूत को आप कीचड़ कह रही हैं , उसी अनिल के. राय को उस वि.वि. में कुछ माह पहले प्रोफेसर व हेड नियुक्त किया गया है।
जबाब- .......चुप्पी..।( फोन कट गया)।