Monday, December 7, 2009

मारिशस के राष्ट्रपति को डि.लिट. देने की मंजूरी के लिए कैसे बाध्य किया गया भारतीय राष्ट्रपति को


-कृष्णमोहनसिंह
नईदिल्ली। महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय जाते हैं मारिशस। वहां वह राष्ट्रपति अनिरूद्ध जगन्नाथ से मुलाकात करते हैं। जहां पता चलता है कि जगन्नाथ दिसम्बर का पहला डेढ़ हप्ता भारत में बितायेंगे। लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल से लगायत अन्य तमाम जगह जायेंगे। सो सम्पर्क बढ़ाने , चमचागिरी चमकाने का उत्तम अवसर देख विभूति नारायण ने इस भारत यात्रा के दौरान ही उनको डी.लिट.उपाधि देने की बात कर ली। मारिशस से वापस आने के बाद पुलिसिया कुलपति ने वि.वि. के एके़डमिक कौंसिल की आपात बैठक बुलाई।वि.वि में अभी तक एक्जक्यूटिव कौंसिल नही होने के कारण पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण अपने इमरजेंसी पावर का इस्तेमाल करके नकलची को प्रोफेसर –हेड बनवाने से लगायत अपनी मंडली के तरह-तरह के लोगो को तरह-तरह से लाभान्वित करने का उपक्रम कर रहे हैं। तो उस एकेडमिक कौंसिल की आपात बैठक में आपात निर्णय मारिशस के राष्ट्रपति अनिरूद्द जगन्नाथ को डी.लिट. देने का हुआ।उस फाइल को मंजूरी के लिए वाया केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ,वि.वि. के विजिटर भारत के राष्ट्रपति के यहां भेज दिया गया। म.अं.हि.वि.वि. के पुलिसिया कुलपति ने जब मारिशस के राष्ट्रपति से मुलाकात करके और अपने यहां एकेडमिक कौंसिल की आपात बैठक कर डी.लिट. देने का आपात निर्णय कर ही लिया है तो केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन उस फाइल पर अपनी मंजूरी मजबूरी में देगा ही। क्योंकि यदि फाइल रोक दी जायेगी तो भद्द होगी।तो इस तरह विभूति ने अपने निर्णय पर मंजूरी देने के लिए केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय और राष्ट्रपति भवन को मजबूर किया।जिसको शिक्षा मंत्रालय ने तो ठीक से नोट कर ही लिया है।