Friday, December 18, 2009

दो बीवियों के पति, नकलची, भ्रष्टाचार के आरोपी हैं मा.प.वि.वि. भोपाल में कुलपति पद के दावेदार






यह खबर "दैनिक 1857" नागपुर में 18-12-09 को पेज 12 की लीड वाक्स स्टोरी है।



-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली। माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल में कुलपति पद के दावेदार जो लोग हैं उनमें प्रमुख नाम हैं – शंभूनाथ सिंह(SHAMBHUNATH SINGH) , राममोहन पाठक (RAM MOHAN PATHAK) , सच्चिदानंद जोशी ( SACHCHIDANAND JOSHI) ।कहा जाता है कि ये तीनो ही भयंकर जुगाड़ू हैं। सूत्रो का कहना है कि शंभूनाथ सिंह की दो बीवियां हैं । पहली पत्नी का नाम सुनीता, दूसरी का नाम दीक्षा है। दोनो से बच्चे हैं।जैसा कि अक्सर होता है ,गांव के लोग पढ़ते –लिखते हैं गांव में शादी करते हैं,उसकेबाद शहर में आते हैं,किसी नेता के सिफारिश पर या किसी तरह कहीं नौकरी पाते हैं तो कुछ समय बाद उनको गांव वाली पत्नी गंवार लगने लगती है। सो माडर्न पत्नी की चाह पूरा करने के लिए शहर में किसी लड़की से इश्क करते हैं और मामला जब आगे बढ़ जाता है तो शादी कर लेते हैं। शंभूनाथ ने भी दूसरी शादी कर ली। जिस पर प्रभाष जोशी ने इनको “जनसत्ता” अखबार की नौकरी से निकाल बाहर कर दिया। सूत्रो के मुताबिक इनकी दूसरी पत्नी अपने महाजुगाड़ू व महामतलबी पिता के जुगाड़ से यू.जी.सी. में मिली मोटी सेलरी वाली नौकरी पर है। कहा जाता है कि शंभूनाथ जी एक समाजवादी नेता के सिफारिश से कुछ साल बाद दूसरे अखबार में नौकरी पा गये। कुछ साल बाद अखबार मालकिन और उनकी तबकी चहेती एक सम्पादिका ने इनको नौकरी से निकाल दिया । सूत्रो के अनुसार उसके बाद एक नेता और एक पूर्व केन्द्रीय मंत्री के यहां सहायक रहे व्यक्ति ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता वि.वि. भोपाल में इनको रजिस्ट्रार बनवाने के लिए सिफारिश किया और दबाव डलवाया। लेकिन वहां रजिस्ट्रार नहीं बन पाये। फिर इनके महाजुगाड़ी दूसरे ससुर , एक पूर्व केन्द्रीय मंत्री के सहायक आदि ने एक उद्योगपति को पकड़ा। उनके मार्फत एक विश्वविद्यालय के कुलपति को पकड़ा गया। उस समय उस वि.वि. में एक विभाग में एक बड़ा पद खाली था।उसके लिए जुगाड़ बैठाया गया। उद्योगपति से आग्रह किया गया कि फला-फला तीन व्यक्ति को इंटरव्यू बोर्ड में कुलपति से कह कर रखवा दिया जाय तो काम हो जायेगा। वही हुआ। जो नाम दिया गया था उन्ही तीनो को एक्सपर्ट बनाकर बुलाया गया। उन्होने नियुक्ति कर दी। बाद में उनमें से एक से इस संवाददाता ने बात भी की थी। अब इसी तरह माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता वि.वि. के कुलपति बनने के लिए भी जुगाड़ बैठाया गया है।सूत्रो के मुताबिक एक पार्टी के एक केन्द्रीय नेता और राज्य के एक मंत्री इसके लिए पूरा जोर लगा दिये हैं। इधर कानूनविदो का कहना है कि अपने देश के कानून के मुताबिक कोई हिन्दू यदि दो शादी किया है तो सरकारी नौकरी में नहीं रह सकता। मामला जब किसी वि.वि. के कुलपति पद का हो तब तो उसके लिए ऐसे व्यक्ति को लाना चाहिए जो छात्रो के लिए नजीर बने। ऐसे व्यक्ति को नहीं जिस पर दो शादी करने, किसी विधवा की जमीन हड़पने,मंदिर की मूर्ति गायब कराने, वि.वि. के पुस्तकालय का प्रभारी रहते घोटाला करने, नकल करके पी.एच.डी की थिसिस लिखने, किसी नकलची को अपने वि.वि. में रीडर व हेड नियुक्त करने,उसकी निजी पत्रिका के एडीटोरियल बोर्ड का मेंम्बर होने ,उसके नकल के कारनामों व धतकर्मो के बारे में सूचना मांगने पर लटकाने के आरोप हों। राम मोहन पाठक पर वाराणसी में एक विधवा ने अपना मंदिर और जमीन हडपने, मंदिर की मूर्ति गायब कराने का आरोप लगाया है। पाठक पर महात्मागांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी के पुस्तकालय प्रभारी रहते घोटाला करने का आरोप है। जिस पर एक जांच कमेटी बैठी थी। सूत्रो के मुताबिक उसने भी अपनी रिपोर्ट में घोटाले की तरफ इंगित किया है। राम मोहन पाठक पर नकल करके अपनी पी.एच.डी. की थिसिस लिखने का भी आरोप है। इसी तरह सच्चिदानंद जोशी पर नकलकरके एक दर्जन से अधिक अंग्रेजी में पुस्तकें लिखने वाले अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के. राय अंकित को कुशाभाऊ ठाकरे वि.वि. में रीडर व हेड बनाने ,उनके धतकर्मो के बारे में आर .टी.आई. के मार्फत मांगी गई सूचना को दबाने , करोड़ो रूपये की पुस्तको की खरीद का व्यौरा नहीं देने आदि का आरोप है। सूत्रो के अनुसार पाठक ने एक भाजपा के नेता और जोशी ने भाजपा के एक राज्य सभा सांसद के मार्फत कुलपति बनने का जुगाड़ लगाया है।