ऐसे हो रही है चोरगुरूओं के कारनामों की जांच
-सत्ताचक्र (SATTACHAKRA)गपशप-
वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि.,जौनपुर के कुलपति को सितम्बर-अक्टूबर 2009 में ही वहां के नकल करके पुस्तकें लिखने वाले अध्यापकों के बारे में सप्रमाण कम्पलेन किये गये,और उसकी जांच की मांग वाले पत्र लिखे गये।उस पर कुलपति आरसी.सारस्वत कुंडली मारे बैठे रहे। सूचना के अधिकार के तहत इस वि.वि. के पुस्तकालयों में बीते 5 साल में इन नकलचेपियों की कितनी पुस्तकें खरीदी गईं इसकी जानकारी मांगी गई। उस पर कुलपति सारस्वत आज तक कुंडली मारे बैठे हुए हैं। कुछ नहीं किये। नवम्बर में जब CNEB NEWS CHANNEL की टीम ने उस वि.वि. के चोर गुरूओं के नकल के प्रमाण दिखाकर उनके वर्जन लिए तो उन्होंने बड़े ही मीठे शब्दो में कहा- मैं जांच कराऊंगा। लेकिन सारस्वत ने कुछ नहीं किया। उल्टे वह चोरगुरूओं को बचाते रहे। जब CNEB NEWS CHANNEL और कुछ सांसदो ने उ.प्र.के राज्यपाल को राज्य के तीन विश्वविद्यालयों के 9 चोर गुरूओं और उनको बचारहे कुलपतियों के खिलाफ सप्रमाण पत्र लिख जांच कराने की मांग किया और उस पर राजभवन से इन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के यहां पत्र गया तो अपना गला बचाने के लिए ये कुलपति क्या कर रहे हैं देखिए-
राजभवन से पत्र आने के बाद पूर्वांचल वि.वि. के कुलपति आर.सी.सारस्वत ने जौनपुर के ही विनय कुमार सिंह को जांच अधिकारी बनाया। लेकिन जिस दिन 3अप्रैल 2010को इनको वि.वि. के गेस्ट हाउस में बुलाया गया , उसी दिन शाम को एक चोरगुरू एस.के.सिन्हा को इन्टरव्यू का लिफाफा खोल कर रीडर बना दिया गया। पहले से ही बनाई रणनीति के तहत उसके बाद 20 व 21 अप्रैल 2010 को सेमिनार रखा गया। पत्रकारिता विभाग की तरफ से कराये जा रहे इस सेमिनार का निदेशक उस तथाकथित चोरगुरू रामजी लाल को बनाया गया जो पत्रकारिता विभाग का हेड व डीन हैं और जिन पर नकल करके पुस्तक लिखने का सप्रमाण आरोप है। सेमिनार में ज्यादेतर उन लोगों को बुलाया गया जिनको पूर्वांचल वि.वि. के चोरगुरूओं ने (प्रो.रामजी लाल, डा.एस.के.सिन्हा,डा.अनिल के. राय अंकित) या तो नकलकरके लिखी अपनी पुस्तकें समर्पित की हैं या बहुत ही मधुर एक-दूसरे के हित का ध्यान रखने वाला पुराना संबंध है। 20 अप्रैल 2010 को सेमिनार के उदघाटन सत्र में जौनपुर के एक नेता ओमप्रकाश श्रीवास्तव आये थे। कहा जाता है कि उनसे रामजी लाल की बहुत घनिष्ठता है। श्रीवास्तव ने सेमिनार में मंच से अपने भाषण में कहा-“ ....मित्र विनय सिंह भी आये हैं।....” यह वही विनय कुमार सिंह हैं जिनको वी.ब.सिं.पू.वि.वि.,जौनपुर के कुलपति आर.सी.सारस्वत ने चोरगुरूओं के नकल के कारनामों की जांच के लिए जांच अधिकारी बनाया है।
यही विनय सिंह इसी वि.वि. में 20 अप्रैल 2010 को सेमिनार के बाद रात 8 बजे से शुरू हुए कवि सम्मेलन में भी पधारे थे।
महात्मागांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी
महात्मागांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति अवधराम को वहां के दो तथाकथित चोरगुरूओं (प्रो. राममोहन पाठक, डा.अनिल कुमार उपाध्याय) के नकलचेपी कारनामों का सी.डी.सहित प्रमाण देकर इसकी जांच कराने का पत्र दिया गया था। लेकिन वह भी उस पर कुंडली मारे बैठे रहे। जब राजभवन से उनको भी इसकी जांच कराकर कार्रवाई करने वाला पत्र गया है तब वह भी जांच कमेटी बनाने की तैयारी कर रहे हैं।
महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि.,वर्धा
महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि.,वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय तो आन कैमरा बहुत लम्बी-लम्बी नैतिकता की हांकते रहे , लेकिन अपने चहेते चोरगुरू अनिल के. राय अंकित को लगातार बचाते रहे । अखबारो में सप्रमाण छपा,टी.वी. पर आया लेकिन यह पुलिसिया कुलपति महोदय तो अनिल राय के बचाव में पुलिसिया तर्क देता रहा।जब राष्ट्रपति भवन और केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय को इस बाबत किये सप्रमाण कम्पलेन व अनिल अंकित के नकलचेपी कारनामों की जांच की मांग वाले पत्र पर महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि.,वर्धा के कुलपति से जबाब मांगा गया तब विभूति नारायण राय ने अनिल के. राय के नकलचेपी कारनामो की जांच के लिए म.गां.काशीविद्यापीठ ,वाराणसी के पूर्व कुलपति सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा की वनमैन जांच कमेटी बना दिया। लेकिन कितने दिन में जांच करना है यह तय नहीं किया। और सुरेन्द्र सिंह कुशवाहा की हालत यह है कि उनपर म.गां.काशीविद्यापीठ ,वाराणसी का कुलपति रहने के दौरान किये घोटाले की, राज्यपाल के आदेश से, विजिलेंस जांच चल रही है। कुशवाहा की तथाकथित चोरगुरू केसीपातंजलि,राममोहन पाठक, अनिल उपाध्याय,अनिल के.राय अंकित से पुराना हित वाला संबंध है।
यह मालूम होने पर कुछ लोगो ने म.गां.अं.हि.वि.वि.वर्धा के कुलपति के नाम लिखे पत्र को उनके कार्यालय में बाकायदे रीसीव कराया। जिसमें लिखा है कि- अनिल के राय अंकित की पुस्तकें मंगवाकर सभी छात्रो को उपलब्ध कराने , खर्च लेकर उसकी फोटोकापी उपलब्ध कराने की मांग की गई है। इसमें मांग की गई है- अनिल अंकित के नकलचेपी कारनामों की जांच किसी ऐसे व्यक्ति से कराने जिसे चोरगुरू व उसका संरक्षक जानते नहों और जिसपर किसी तरह की जांच नहीं चल रही हो, जो वर्धा व दिल्ली में आन कैमरा जांच करे ,जिसमें उन टी.वी.चैनल, अखबार वालों को बुलाया जाय जिनने इन चोरगुरूओं के शैक्षणिक कदाचार के कारनामों को उजागर किया है।
लेकिन अपनी बहुत तथाकथित सेकुलर, न्यायवादी छवि की शेखी बघारने वाले पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। क्योंकि इस सेकुलर जातिवादी को तो जबतक संभव है अपने चहेते नकलचेपी को बचाना है।
प्रदीप माथुर
वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि.,जौनपुर में 20 व 21 अप्रैल 2010 को हो रहे सेमिनार में प्रदीप माथुर भी पधारे हैं।ये वही प्रदीप माथुर हैं जिनको तथकथित चोरगुरू अनिल के. राय अंकित ने अपनी नकल करके लिखी पुस्तकों में से एक अंग्रेजी वाली पुस्तक समर्पित की है।इस बारे में पूछने पर इन्होने कहा था कि अनिल के.राय अंकित ने मुझसे बिना पूछे ही पुस्तक मुझे समर्पित किया है। माथुर ने अनिल अंकित के और भी कई कारनामे बताये थे। इस प्रदीप माथुर से 20 अप्रैल 2010 को सेमिनार के दौरान ही जब कुछ पत्रकारो ने पूछा कि एक चोरगुरू ( रामजी लाल)सेमिनार करा रहा है और आप इसमें आये हैं , तो इस पर माथुर ने कहा-मुझको तो यह मालूम नहीं। मुझको तो कुलपति आर.सी. सारस्वत ने बुलाया है, उनके बुलावे पर आया हूं।
इससवाल पर कि यदि आपको यह मालूम होता तो।
माथुर का जबाब था-तब तो नहीं आया होता।
प्रदीप माथुर से जब पत्रकारो ने पूछा –प्रो.रामजीलाल ने नकल करके किताब लिखा है, इस पर आपका क्या कहना है।
माथुर ने कहा- यह तो अनैतिक है।
प्रदीप माथुर के बारे में जानने वाले लोग कहते हैं कि उनका यह जबाब सुविधा अनुसार फेस सेविंग वाला जबाब है। कुछ का कहना है कि प्रदीप माथुर कोई दूध पीते बच्चे नहीं हैं,उनको सब मालूम है।वह उसी पूर्वांचल वि.वि. में अभी लगभग दो माह पहले गये थे, चोरगुरू अनिल के.राय अंकित के अंडर में शोधकर रहे एक छात्र का वाइवा लेने। तब तक पूर्वांचल वि.वि. के चारो चोरगुरूओं(अनिल के.रायअंकित,पी.सी.पातंजलि, एस.के.सिन्हा, रामजी लाल) के बारे में CNEB NEWS CHANNEL दिखा चुका था। और उस वि.वि.के अलावा अन्य वि.विद्यालयों के पत्रकारिता के छात्र व अध्यापक इन चोरगुरूओं के कारनामों के बारे में जान चुके थे।ऐसे में प्रदीप माथुर का अनभिज्ञता जाहिर करना फेससेविंग या विरादर का बचाव ही लगता है। वैसे तो इनका चहेता चोरगुरू अनिल के. राय अंकित इनको सबकुछ बता ही दिया होगा। वह नहीं बताया होगा तो इनके चहेते, पूर्वांचल वि.वि. के कुलसचिव बी.एल.आर्य ने तो बताया ही होगा।