-सत्ताचक्र-
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय ने वि.वि. से पत्रकारिता के प्रोफेसर अनिल चमड़िया को नौकरी से निकाल दिया । उसके लिए उन्होने पहले तो वि.वि.के एक्जक्यूटिव कांउसिल की बैठक में अनिल चमड़िया की नियुक्ति वाली फाइल को ओ.के.नहीं कराया। उसके बाद यह कहकर कि एक्जक्यूटिव कांउसिल ने अनिल चमड़िया की नियुक्ति पर मंजूरी नहीं दी, उनको (अनिल चमड़िया) वि.वि. से सेवा समाप्ति की पाति दिलवा दी। जिसके खिलाफ अनिल चमड़िया ने नागपुर के न्यायलय में केस दर्ज करा दिया ।जिसमें वि.वि. के चांसलर नामवर सिंह, वाइस चांसलर विभूति नारायण राय, रजिस्ट्रार कैलाश खामरे को पार्टी बनाया गया है। नोटिस जारी हुई। जिसकी पहली सुनवाई दिनांक 30 मार्च 2010 को हुई। जिसमें वि.वि. के वकील ने कहा कि अनिल चमड़िया की योग्यता प्रोफेसर पद के लायक नहीं थी, वह केवल ग्रेजुएट हैं। जिसपर अनिल चमड़िया के वकील ने कहा कि वि.वि. के विज्ञापन को देखकर चमड़िया ने बाकायदे आवेदन किया था। जिसको देखने और योग्य पाने पर वि.वि. की स्क्रीनिंक कमेटी ने उनका नाम संस्तुत किया। फिर उनका साक्षात्कार हुआ। जिसमें उनका सर्वसम्मत से सेलेक्शन हुआ। इसलिए वि.वि. का आज यह कहना कि अनिल चमड़िया के पास प्रोफेसर पद की योग्यता नहीं है , सरासर गलत है। वह प्रोफेसर पद की सारी क्राइटेरिया पूरा करते हैं। और पत्रकारिता में प्रोफेसर पद के लिए डिग्री की बाध्यता भी नहीं है।
जिसपर वि.वि. के वकील ने कहा कि नागपुर हाईकोर्ट के आदेश से अनिल चमड़िया को नौकरी से निकाला गया। इस पर अनिल चमड़िया के वकील ने प्रमाण दिखाया और कहा कि नागपुर हाईकोर्ट ने तो इस तरह का कोई आदेश ही नहीं दिया है। वहां तो वि.वि. ने ही अनिल चमड़िया की नौकरी समाप्ति वाला पत्र जमा करके कहा कि उनकी सेवा समाप्त कर दी गई, इसलिए केस खत्म किया जाय ( एक व्यक्ति ने अनिल चमड़िया की नियुक्ति मामले में केस दायर किया था। जिस पर वि.वि. को नोटिस जारी हुई थी। वि.वि. ने अनिल चमड़िया की नियुक्ति को जायज न बता यह कहा कि वि.वि. से गलती हुई है, उसके बाद पुलिसिया कुलपति ने अनिल चमड़िया को नौकरी से निकालने का उपक्रम किया। वह करने के बाद कोर्ट में पत्र जमा करा दिया कि अनिल चमड़िया की सेवा समाप्त कर दी गय़ी , सो केस बंद किया जाय)।
इसपर माननीय न्यायालय ने वि.वि. को इस मामले में तीन हप्ते में अपना पक्ष रखने को कहा। अगली तारीख तीन हप्ते बाद है।
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा, महाराष्ट्र के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय ने वि.वि. से पत्रकारिता के प्रोफेसर अनिल चमड़िया को नौकरी से निकाल दिया । उसके लिए उन्होने पहले तो वि.वि.के एक्जक्यूटिव कांउसिल की बैठक में अनिल चमड़िया की नियुक्ति वाली फाइल को ओ.के.नहीं कराया। उसके बाद यह कहकर कि एक्जक्यूटिव कांउसिल ने अनिल चमड़िया की नियुक्ति पर मंजूरी नहीं दी, उनको (अनिल चमड़िया) वि.वि. से सेवा समाप्ति की पाति दिलवा दी। जिसके खिलाफ अनिल चमड़िया ने नागपुर के न्यायलय में केस दर्ज करा दिया ।जिसमें वि.वि. के चांसलर नामवर सिंह, वाइस चांसलर विभूति नारायण राय, रजिस्ट्रार कैलाश खामरे को पार्टी बनाया गया है। नोटिस जारी हुई। जिसकी पहली सुनवाई दिनांक 30 मार्च 2010 को हुई। जिसमें वि.वि. के वकील ने कहा कि अनिल चमड़िया की योग्यता प्रोफेसर पद के लायक नहीं थी, वह केवल ग्रेजुएट हैं। जिसपर अनिल चमड़िया के वकील ने कहा कि वि.वि. के विज्ञापन को देखकर चमड़िया ने बाकायदे आवेदन किया था। जिसको देखने और योग्य पाने पर वि.वि. की स्क्रीनिंक कमेटी ने उनका नाम संस्तुत किया। फिर उनका साक्षात्कार हुआ। जिसमें उनका सर्वसम्मत से सेलेक्शन हुआ। इसलिए वि.वि. का आज यह कहना कि अनिल चमड़िया के पास प्रोफेसर पद की योग्यता नहीं है , सरासर गलत है। वह प्रोफेसर पद की सारी क्राइटेरिया पूरा करते हैं। और पत्रकारिता में प्रोफेसर पद के लिए डिग्री की बाध्यता भी नहीं है।
जिसपर वि.वि. के वकील ने कहा कि नागपुर हाईकोर्ट के आदेश से अनिल चमड़िया को नौकरी से निकाला गया। इस पर अनिल चमड़िया के वकील ने प्रमाण दिखाया और कहा कि नागपुर हाईकोर्ट ने तो इस तरह का कोई आदेश ही नहीं दिया है। वहां तो वि.वि. ने ही अनिल चमड़िया की नौकरी समाप्ति वाला पत्र जमा करके कहा कि उनकी सेवा समाप्त कर दी गई, इसलिए केस खत्म किया जाय ( एक व्यक्ति ने अनिल चमड़िया की नियुक्ति मामले में केस दायर किया था। जिस पर वि.वि. को नोटिस जारी हुई थी। वि.वि. ने अनिल चमड़िया की नियुक्ति को जायज न बता यह कहा कि वि.वि. से गलती हुई है, उसके बाद पुलिसिया कुलपति ने अनिल चमड़िया को नौकरी से निकालने का उपक्रम किया। वह करने के बाद कोर्ट में पत्र जमा करा दिया कि अनिल चमड़िया की सेवा समाप्त कर दी गय़ी , सो केस बंद किया जाय)।
इसपर माननीय न्यायालय ने वि.वि. को इस मामले में तीन हप्ते में अपना पक्ष रखने को कहा। अगली तारीख तीन हप्ते बाद है।
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