-सत्ताचक्र(sattachakra) गपशप-
वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल विश्व विद्यालय, जौनपुर(उ.प्र.) में 20 व 21 अप्रैल को एक सेमिनार में जुटेंगे कई चोरगुरू । पत्रकारिता विभाग सेमिनार करा रहा है।जिसके हेड व सेमिनार के निदेशक हैं, नकल करके किताब लिखने के आरोपी चोरगुरू रामजी लाल।जो लाला हैं।इस सेमिनार के उदघाटन सत्र की अध्यक्षता करेंगे वि.वि. के कुलपति आर.सी.सारस्वत। जो ब्राह्मण हैं। सो सेमिनार का उदघाटन सत्र 3 ब्राह्मण व 3 लाला के हवाले है।अध्यक्षता करेगा ब्राह्मण,मुख्यअतिथि ब्राह्मण,एक विशेष अतिथि ब्राह्मण - ये हुए 3 ब्राह्मण। एक विशेष अतिथि लाला,मुख्य वक्ता लाला और सेमिनार निदेशक लाला- ये हुए 3 लाला। इस सेमिनार में जिन लोगो को बुलाया गया है उनमें नकल करके शोध-प्रबंध व पुस्तक लिखने के आरोपी तथाकथित चोरगुरूवे प्रो.राममोहन पाठक और डा.अनिल कुमार उपाध्याय भी हैं। ये दोनो महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी में अध्यापक हैं .
सेमिनार का विषय है-“जनमाध्यम प्रौद्योगिकी एवं सामाजिक परिवर्तन”। इसकी विज्ञप्ति वाराणसी के अखबार के कार्यालयों में पहुंची है। एक अखबार के उपसम्पादक ने बताया कि विज्ञप्ति में लिखा है- विभिन्न मीडिया से जुड़े लोग जनमाध्यमो के सामाजिक परिवर्तन में योगदान को क्रमवार रेखांकित करेंगे।
सवाल यह है कि क्या वी.ब.पू.वि.वि., जौनपुर में जुटने वाले ये महानुभाव क्रमवार रेखांकित करेंगे कि वि.वि.के कुलपति,प्रोफेसर,रीडर,लेक्चरर, शोधार्थी किस तरह कम्प्यूटर प्रोद्योगिकी का उपयोग करके इंटरनेट से मैटर कट-पेस्ट करके अपने नाम से किताबें छपवा रहे हैं। उसे साक्षात्कार में दिखाकर नौकरी, प्रमोशन पा रहे हैं। नकल करके इस तरह की पुस्तकें लिखने वाले कुलपति,प्रोफेसर,रीडर,लेक्चरर, शोधार्थियों,उसे छापने वाले पब्लिशरो,उसको विश्वविद्यालयों में सप्लाई करने वाले सप्लायरों,उसे विक्रय मूल्य पर 10 से 15 प्रतिशत छूट दिखा ,अंदर खाने 40 प्रतिशत तक पुष्पम-पत्रम लेकर लाखो –करोड़ो रूपये की हर साल इस तरह की पुस्तकें खरीदने वालो का एक अघोषित रैकेट बन गया है।विश्वविद्यालयो,महाविद्यालयों में यह धंधा जोरों से चल रहा है। इस तरह रैकेट बन गया है,जिसमें शामिल हर व्यक्ति एक –दूसरे की मदद व संरक्षण कर रहा है। इस तरह का आरोप पूर्वांचल वि.वि. पर भी लग रहा है।
पूर्वांचल विवि. तो नकलकरके किताबें लिखने का, इसे छापने व सप्लाई करने वाले से हर साल ऐसी लाखो रूपये की पुस्तकें खरीदने के सबसे बड़े केन्द्र के रूप में चर्चित हो गया है।
अभी तक इस वि.वि. के निम्न तथाकथित चोरगुरूओ के नकल करके किताबे लिखने के कारनामे उजागर हुए हैं-
1.प्रो.प्रेम चंद पातंजलि, पूर्व कुलपति
2.प्रो.रामजी लाल, डीन व हेड
3.डा.अनिल के.राय अंकित, लेक्चरर(अवैतनिक अवकाश पर) पत्रकारिता विभाग
4.डा.एस.के.सिन्हा ,रीडर
उक्त चार महानशिक्षको के अलावा अभी कई और के नकलचेपी कारनामे जल्दी ही उजागर होने वाले हैं।
इसमें अनिल के.राय अंकित के तो और भी बहुत से कारनामें उजागर हो रहे हैं।उसने दरियागंज, दिल्ली के SHREE PUBLISHERS & DISTRIBUTORS और इसी के हिन्दी में पुस्तकें छापने वाले यूनिवर्सिटी पब्लिकेशन और सप्लायर इंडिका के यहां से अपनी अंग्रेजी व हिन्दी की पुस्तकें छपवाई हैं ।इस कम्पनी ने बीते 6 साल में पूर्वांचल वि.वि.में लगभग 6 करोड़ रू. की पुस्तकें सप्लाई की है।इसने यहां के ज्यादेतर अध्यापको की नकलकरके लिखी पुस्तकें छापी है। उन्हे यहीं पर मंहगे दाम पर सप्लाई भी किया है। जिसकी जांच की मांग इसी कुलपति सारस्वत से की गई है। लेकिन वह इस पर लीपा-पोती कर रहे हैं और नकलची अध्यापकों, उनकी पुस्तकें छापने, सप्लाई करने वाले को बचा रहे हैं। अभी कुछ हप्ते पहले ही उसी इंडिका सप्लायर ने वि.वि. के पुस्तकालय में लगभग 50 लाख रूपये से अधिक की पुस्तकें सप्लाई किया है। कहा जाता है कि इस बार भी नकल करके लिखी बहुत सी पुस्तकें आई हैं।जिसका आर्डर से मिलान कई दिन तक, 10 बजे रात तक पुस्तकालय खोल कर किया गया । और बिल जल्दी पास कराने का इंतजाम इसी कुलपति ने कर दिया ।
तो इस तरह से शिक्षा व मिडिया संस्थानो से जुड़े लोग प्रौद्योगिकी का उपयोग कर अपने तथाकथित चोरगुरू व उनके संरक्षक समाज के काकस के उत्थान में योगदान कर रहे हैं।
इस वि.वि. के एक चोरगुरू अनिल के. राय अंकित(जो अब जोड-जुगाड़ से म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा में प्रोफेसर हो गया है) ने तो जिन महानुभावो को अपनी नकल करके लिखी पुस्तकें समर्पित किया है(जिसमें एक खुद ही चोर गुरू है),उनमें से 3 लोग इस सेमिनार में पधार रहे हैं। कई तथाकथित चोरगुरूओं व उनके संरक्षकों की कथनी व करनी के अंतर ; अंदर कुछ और बाहर कुछ और चरित्र का साक्षात सबूत होगा यह सेमिनार।यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि इस सेमिनार का कुछ या पूरा खर्च, चोरगुरूओ की पुस्तकें छापने,सप्लाई करने वाला SHREE PUBLISHER / INDICA दे रहा है या नहीं ? क्योंकि यहां के एक चोरगुरू ने आन कैमरा कहा है कि इस पब्लिशिंग /सप्लायर कम्पनी के मालिकान जैन बंधु वि.वि. में इस तरह के कर्म करते रहते हैं।
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