Tuesday, April 6, 2010

क्या वी.ब.सिं.पू.वि.वि. का कुलपति भ्रष्टाचारियों को बचा रहा है?

गुप-चुप तरीके से जांच कमेटी बनाई
-सत्ताचक्र-
क्या वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि.,जौनपुर के कुलपति आर.सी. सारस्वत और कुलसचिव बी.एल. आर्य नकल करके किताबें लिखने वाले वि.वि. के अध्यापकों,उनकी नकलचेपी किताबें छापने वाले पब्लिशर/ सप्लायर की करोड़ो रूपये की पुस्तकें खरीद के भ्रष्टाचार को लीपा-पोती कर दबाने की कोशिश कर रहे हैं ?
सी.एन.ई.बी. न्यूज चैनल की टीम ने नवम्बर 2009 के प्रथम सप्ताह में इस बारे में कुलपति आर.सी. सारस्वत और कुलसचिव बी.एल. आर्य से आन कैमरा बात-चीत की थी। दोनो को ही प्रो.रामजी लाल, लेक्चरर एस.के.सिन्हा, और अनिल कुमार राय अंकित(अवैतनिक अवकाश पर) के नकलचेपी कारनामों का प्रमाण दिखाया था।कुलपति ने उनमें से कुछ दस्तावेज के कापी कराकर रख लिय़ा।कुलपति और कुलसचिव के सामने ही प्रो.रामजी लाल और एस.के.सिन्हा से चैनेल की टीम ने उनके नकल के प्रमाण दिखाकर दोनो का वर्सन लिय़ा। जिसमें रामजी लाल केवल हाथ जोड़ते रहे। जिसे “चोरगुरू” कार्यक्रम में दिखाया गया। जिसमें सारस्वत ने आन रिकार्ड कहा था कि वह इस पर जल्दी ही जांच कराकर कार्रवाई करेंगे। लेकिन मिठबोलवा सारस्वत बाद में कुछ किये नहीं, चुप्पी साधे रहे। अध्यापको के इस शैक्षणिक कदाचार और वि.वि.की लाइब्रेरी के लिए करोड़ो रूपये की नकलचेपी पुस्तकों के खरीद के बारे में आर.टी.आई. के तहत सूचना मांगी गई। सारस्वत के वि.वि. ने आज तक एक भी आर.टी.आई. का जबाब नहीं दिया है। सी.एन.ई.बी. न्यूज चैनल ने इसी कुलपति आर.सी.सारस्वत को पत्र लिख कर रामजीलाल, एस.के.सिन्हा और अनिल कुमार राय अंकित के नकलचेपी कारनामों की जांच करा कर शैक्षणिक कदाचार के तहत कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा। लेकिन कुलपति आर.सी.सारस्वत ने कुछ कार्रवाई नहीं कर केवल डाकिया का काम करते रहे। नकलचेपी अध्यापकों को सी.एन.ई.बी. न्यूज चैनल के पत्रो का हवाला देकर दो बार पत्र लिखे कि आप लोग इसका जबाव दें, जिसे सी.एन.ई.बी. न्यूज चैनल को भेजा जा सके। कुलपति बी.एल आर्य ने तो अनिल कुमार राय अंकित के बारे में आन कैमरा कहा कि वह अब यहां नहीं है। जब सी.एन.ई.बी. न्यूज चैनल की टीम ने उनसे पूछा ( यह बात नवम्बर 2009 की है) कि वह तो आपके यहां आज भी अवैतनिक अवकाश पर लेक्चरर है, तो आर्य का जबाब था- एक साल पूरा होने पर अवकाश बढ़ाने के लिए आवेदन देना पड़ता है, उसने अभी तक अवकाश बढ़ाने के लिए आवेदन नहीं दिया है, सो उसकी नौकरी यहां से आटोमेटिक खत्म हो गई है। वह यहां का अब कर्मचारी नहीं है। यह था कुलसचिव बी.एल.आर्य का जबाब। लेकिन हकीकत यह है कि आज दिनांक 06अप्रैल 2010 को भी वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि.,जौनपुर के वेवसाइट पर अनिल कुमार राय अकित का नाम वि.वि. के पत्रकारिता विभाग के फैकल्टी मेम्बर के रूप में है। वि.वि. में जिस तरह के भ्रष्टाचार का आरोप है उससे तो यह भी आशंका है कि तमाम तरह के शैक्षणिक कदाचार के आरोपी अनिल कुमार राय अंकित यदि म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा से निकाले गये और वापस पूर्वांचल वि.वि. आये तो उसे वि.वि. अवकाश पिरियड में वापसी दिखा रख लेगा। यह अलग जांच का विषय है कि मैटरचोर शैक्षणिक कदाचारी अनिल कुमार राय अंकित उर्फ अनिल के. राय अंकित एक साथ पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर और कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता वि.वि. रायपुर , दोनो जगह कैसे अवकाश पर है। भयंकर जुगाड़ी अनिल अंकित ने पूर्वांचल के बाद कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता वि.वि. रायपुर के तत्कालीन भ्रष्टाचार के आरोपी कुलपति जोशी से जुगाड़ लगा वहां रीडर बन कर चला गया। उसके बाद अपने सजातीय पुलिसिया कुलपति की कृपा से म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा में प्रोफेसर हो गया। तो यह नकलचेपी शैक्षणिक कदाचारी इस समय वर्धा में है।उसको भी सारस्वत केवल डाकिया की तरह पाती पहुंचवाते रहे। जबकि इसी सारस्वत ने नवम्बर 2009 में आन रिकार्ड कहा था कि अनिल कुमार राय अंकित ने इस वि.वि. में नौकरी करते हुए ये सब किताबें लिखी हैं।उन किताबों के आधारपर आगे रीडर , प्रोफेसर बना है। उनका पी.एफ. वगैरह यहां है। सो उनपर कुछ न कुछ तो होगा ही। लेकिन नवम्बर से अब तक कुलपति और कुलसचिव का इस मामले में जो रवैया रहा उससे अब आशंका हो रही है कि दोनो ही पूर्वांचल में नौकरी के दौरान कई तरह के भ्रष्टाचार आरोपी इस अनिल कुमार राय अंकित को भी हर मामले में बचा रहे हैं।
कुलपति सारस्वत और कुलसचिव आर्य ने इधर एक और कारनामा किया । नकल करके किताब लिखने के आरोपी डा. एस.के.सिन्हा का रीडर पद के लिए साक्षात्कार हुआ था। सिन्हा ने साक्षात्कार में अपनी नकलकरके लिखी होने की आरोपवाली पुस्तक भी रखी थी। कहा जाता है कि उस आधार पर उनका चयन रीडर पद पर हो गया है। सूत्रो का कहना है कि सारस्वत ने सेलेक्शन वाला लिफाफा शनिवार 03 अप्रैल 2010 को खोलवा दिया । जिस पर वि.वि. की एक्जक्यूटिव कमेटी की मुहर लगाकर ज्वाइनिंग करा देनी है। या पहले ज्वाइन करा बाद में मुहर लगवा दी जायेगी।
चूंकि एस.के.सिन्हा पर नकल करके किताब लिखने का भी आरोप है। तो कुलपति को उसे भी रफा-दफा करना होगा। क्योंकि इधर सी.एन.ई.बी. न्यूज चैनल और कई सांसदो के कई पत्र उ.प्र. के राज्यपाल के यहां गये हैं। जिसमें इन शैक्षणिक कदाचारियों , उनकी नकलचेपी पुस्तकें छापने वाले पब्लिशरों , इन पुस्तकों को पूर्वांचल वि.वि. व अन्य जगह सप्लाई करने वाले सप्लायरों,इनको संरक्षण दे रहे कुलपतियो,कुलसचिवो के खिलाफ विजिलेंस जांच कराकर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई है।
इस वजह से मिठबोलवे कुलपति सारस्वत और कुलसचिव आर्य ने गुप-चुप तरीके से विनयकुमार सिंह की वनमैन जांच कमेटी बना दिया। कमेटी ने शनिवार 03-04-2010 को वि.वि. के गेस्ट हाउस में जाकर कुछ किया भी। लेकिन कुलपति और कुलसचिव ने सी.एन.ई.बी. न्यूज चैनल को इस जांच कमेटी के सामने रामजीलाल, एस.के.सिन्हा और अनिल कुमार राय अंकित के नकलचेपी कारनामों के प्रमाण लाकर दिखाने के लिए आज 06 अप्रैल 2010 तक पत्र नहीं भेजा। चैनल को जब इस जांच कमेटी की भनक लगी तो अपने स्थानीय रिपोर्टर को 05 अप्रैल2010 को पूर्वांचल वि.वि. भेजा। लेकिन कुलपति या कुलसचिव में से कोई नहीं मिला। रिपोर्टर आज फिर गया। उसने कुलसचिव से इस बारे में पूछा तो कुलसचिव ने उसके साथ बदतमीजी की। जिसपर सी.एनई.बी.चैनल के रिपोर्टर ने उनके कार्यालय में पत्र लिखकर रिसीव करा दिया कि वि.वि. के अध्यापको द्वारा नकल करके पुस्तकें लिखने की जिस जांच कमेटी से जांच कराई जा रही है ,उसके सामने नकलचेपियों के कारनामो का प्रमाण रखने, दिखाने के लिए चैनेल के टीम को भी बुलाया जाय ।इस सब से अनुमान लगाया जा सकता है कि क्या होने वाला है।
इसतरह कैसे विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति,कुलसचिव आदि शैक्षणिक कदाचारियों को बचा रहे हैं, इस बारे में जानने के लिए देखते रहिए...
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