Sunday, January 3, 2010

सिब्बल पर मोंटेक भारी , दबाव बना फुरकान को हिमाचल में कुलपति बनवाया

राजस्थान के राज्यपाल एस.के. सिंह ने राष्ट्रपति को लिखा था – कार्यमु्क्त नहीं करूंगा
यह खबर पंजाब केसरी, दिल्ली में दिनांक 03-01-2010 को पांचवे पेज पर बाटम स्टोरी है। दैनिक 1857 नागपुर,स्वदेश इंदौर आदि अखबार में भी छपी है।
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। प्रधानमंत्री तो प्रधानमंत्री उनके यसमैन मोंटेकसिंह अहलूवालिया भी केन्द्रीय मंत्रियों पर भारी पड़ रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक जिस अमेरिकी कृपा और जुगाड़ तंत्र से मनमोहन सिंह व मोंटेक पद और सत्ता की सीढ़ी फांदते- छलांगते ऊपर चढ़े हैं ,उसी तरह ये अपने अमेरिकी भक्त क्लब के महानुभावों को सीढ़ी फदा पद पर बैठाने लगे हैं। जिसका ताजा प्रमाण है डा.फुरकान कमर की नये बने हिमाचल केन्द्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर नियुक्ति । फुरकान कमर दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया में अर्थशास्त्र विभाग में प्रोफेसर रहे हैं। सूत्रो का कहना है कि फुरकान उस अमेरिकी भक्त अर्थशास्त्री क्लब के अंतरंग हैं जिसमें मनमोहन , योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक, उनकी पत्नी इश्शर आदि हैं। सो मोंटेक ने लगभग एक साल पहले फुरकान को योजना आयोग में शिक्षा सलाहकार बनवा लिया। डा.फुरकान को कुलपति बनने की इच्छा हुई तो अपने आका मोंटेक से फरियाद की। मामला तथाकथित अमेरिकी भक्त भारतीय अर्थशास्त्री क्लब के अंतरंग का था सो मोंटेक ने तबके राजस्थान के राज्यपाल एस.के. सिंह (दिवंगत हो गये) को फोन किया और फुरकान को राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर का कुलपति बनाने की सिफारिश की। एस.के.सिंह ने फुरकान कमर को कुलपति बना दिया। फुरकान ने 30 नवम्बर 2009 को ज्वाइन भी कर लिया। लेकिन उनके वहां जाने के पहले से ही हिमाचल प्रदेश में नया बने केन्द्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।तो जनाब फुरकान साहब का दिल केन्द्रीय विश्वविद्यालय का कुलपति बनने के लिए फुफकारने लगा। सो उन्होने फिर अपने आका के दरवाजे पर मत्था टेका। सूत्रो के मुताबिक उन्होंने उनसे कहा कि जयपुर वाली यूनिवर्सिटी तो राज्यसरकार की है। उसमें तो मात्र 3 साल की नौकरी है, बजट भी बहुत कम है , नये बने हिमाचल केन्द्रीय विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर 5 साल के लिए हो जाता तो जीवन बन जाता। सूत्रों के अनुसार तब मोंटेक ने सर्च कमेटी ने जो लिस्ट बनाई उसमें फुरकान का नाम डलवाया । जिसने पूरी ईमानदारी से मेहनत करके खोजने पर देश भर में से चार लोगो का नाम इस केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति पद के योग्य पाया । वे नाम थे- यू.जी.सी. के सेक्रेटरी आर.के.चौहान, डा. फुरकान कमर , यू.जी.सी. के उपाध्यक्ष प्रो.वेद प्रकाश और मिजोरम वि.वि. के कुलपति राय । सर्च कमेटी ने ये चारो नाम मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के यहां भेज दिया। जहां से उन तीन –चार नाम की सूची राष्ट्रपति के यहां जाने की परम्परा है। राष्ट्रपति जिसमें से किसी एक नाम पर मार्क कर देते हैं और वह कुलपति बना दिया जाता है। सूत्रो के मुताबिक इस मामले में मोंटेक ने सिब्बल पर दबाव बनाकर फुरकान कमर के नाम पर राष्ट्रपति की मुहर लगवाने का इंतजाम कराया। जिस पर राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी। और फुरकान नये बने हिमाचल केन्द्रीय वि.वि. के कुलपति घोषित कर दिये गये। इसके बाद फुरकान ने राजस्थान वि.वि. से कार्यमुक्ति के लिए राज्यपाल के यहां आवेदन दिया। सूत्रो के अनुसार राज्यपाल एस.के. सिंह वह आवेदन देखते ही आगबबूला हो गये।उनको लगा कि उनको छला गया है। सो उन्होने राष्ट्रपति को पत्र लिख दिया कि डा. फुरकान कमर को राजस्थान वि.वि. से कार्यमु्क्त नहीं किया जायेगा। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने वह पत्र मानवसंसाधन विकास मंत्री के यहां भेजवा दिया। जिसके बाद कपिल सिब्बल भी फुरकान को हिमाचल वि.वि. में भेजने से हिचकने लगे। सूत्रो का कहना है कि यह जानने पर मोंटेक ने सिब्बल पर दबाव बनाया कि फुरकान का नाम काटकर किसी और का नाम नहीं जाना चाहिए, फुरकान को ही हिमाचल वि.वि. में ज्वाइन कराना है। जिसके लिए राज्यपाल से कह कर कार्यमु्क्त कराया जाय। सूत्रो का कहना है कि यदि एस.के. सिंह रहते तो वह मोंटेक के कहने पर भी फुरकान को कार्यमुक्त नही करते, क्योंकि वह बहुत नाराज थे।लेकिन संयोग से वह इस दुनिया में नहीं रहे। हिमाचल की राज्यपाल प्रभा राव को राजस्थान के राज्यपाल का चार्ज मिल गया है। कहा जा रहा है कि प्रभा राव को मोंटेक मंडली ने समझा दिया है। इसबारे में इस संवाददाता की फुरकान कमर से उनके मोबाइल पर 30 दिसम्बर को रात 8 बजकर 55 मिनट पर बात हुई। उन्होने बताया कि राजस्थान वि.वि. के कुलपति पद से एक- दो दिन में रिलीव हो जाऊंगा। उसके तुरन्तबाद हिमाचल वि.वि. में ज्वाइन कर लूंगा।