Wednesday, January 20, 2010

IIT-BHU निदेशक पद पर प्रो.के.पी.सिंह की नियुक्ति रूकवाने के लिए लाबिंग

-सत्ताचक्र गपशप-
सूत्रो के मुताबिक IIT-BHU के निवर्तमान निदेशक, जो 1 फरवरी 2010 को पदमुक्त होने वाले हैं ( उनसे चार्ज प्रो. के.पी.सिंह को मिलेगा, जिसका निर्णय पीछले दिनों बी.एच.यू. एक्जक्यूटिव कमेटी की बैठक में हुआ। उस बैठक में के.पी. सिंह का नाम निदेशक पद के लिए ओ.के. कर दिया गया ) , एन-केन-प्रकारेण IIT-BHU पर अपना कब्जा बनाये रखने के लिए बीते एक हप्ते से जोर-शोर से लाबिंग कर रहे हैं । इसके लिए वह और उनके कुछ सजातीय ,कुछ भू-धातु के सहयोगी जी-जान से जुटे हुए हैं। इनमें कुछ लोग केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के यहां सिफारिश लगाने के लिए अपने जाति के कांग्रेसी मैनेजरों के यहां दिल्ली में कई दिनों से साष्टांग कर रहे हैं। कई हप्ते के चिंतन-मनन के बाद इस मंडली ने एक नई थीयरी इजाद की है। यह थियरी है -स्मूथ टेक ओवर थियरी। इसमें फार्मूला बनाया गया है – IIT-BHU को IIT बनाने के लिए एक नोडल बफर बनाओ। उसका सर्वेसर्वा उसी निदेशक को एक्सटेंसन देकर बना दो जो 1 फरवरी 2010 को पद मुक्त होने वाला है। फिर जब IIT-BHU को फुलफ्लैज IIT बनाने की घोषणा हो , 500 या 1000 करोड़ रूपये बजट दिया जाय तो उसके साथ ही इस नोडल के सर्वेसर्वा को ही IIT का निदेशक घोषित कर दिया जाय।
लेकिन यह हुआ तो एक बार संसद से लेकर सड़क तक हंगामा तो होना तय है। क्योंकि ऐसा होने पर IIT एक स्वतंत्र ईकाई हो जायेगी। BHU में होते हुए भी BHU से ऊपर हो जायेगी। उसके निदेशक की सेलरी BHU के कुलपति से भी अधिक हो जायेगी। आज आई.आई.टी. अलग होगा , कल मेडिकल अलग होगा , परसो मैनेजमेंट अलग होगा, नरसो एग्रीकल्चर अलग होगा तो बचेगा क्या। और सबसे बड़ी बात तो यह होगी कि महामना मदन मोहन मालवीय ने भीख मांगकर इतना बड़ा विश्वविद्यालय बनवाया ,उन्होने उस समय आर्वाचीन से लगायत पुरातन तक के तमाम विषय की पढाई शुरू कराई ,एक दूसरे विषयों के तुलनात्मक अध्ययन, शोध आदि के लिए एक जगह व्यवस्थित सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई , उस मालवीय की पूरी अवधारणा को ही यह करके ध्वस्त करने की साजिश रची जा रही है। यदि नया आई.आई.टी. नाम देकर उसे BHU से अलग किया गया तो इस विश्वविद्यालय के सभी पुराने व नये छात्र आंदोलन छेडेंगे। IIT बनाने, BHU से अलग करने से से यहां के छात्र बहुत उम्दा नहीं हो जायेंगे । विश्व के टाप 10 में से एक मैनेजमेंट गुरू रामचरण इसी BHU के इंजीनियरिंग कालेज के पढ़े हुए हैं।उसी इंजीनियरिंग कालेज का नाम बाद में बदलकर IIT-BHU किया गया। और अब उसको BHU से ही अलग करने की साजिश की जा रही है। जो लोग यह मांग कर रहे हैं यदि वे सचमुच ही बड़े प्रतिभाशाली प्रोफेसर या वैज्ञानिक हैं तो देश-विदेश में अपने सम्पर्कों के बदौलत धन इकट्ठा करके मालवीय जी की तरह बड़ा विश्वविद्यालय नहीं सही, एक नया IIT ही खड़ा कर लें। ऐसा करके देश में एक उम्दा उदाहरण पेश करें। उसकी तो औकात है नहीं चाटुकारिता, सिफारिश,घनघोर जुगाड़ के बदौलत मोटी मलाई वाला पद पाने की हवस जरूर है।