-सत्ताचक्र-
सूत्रो के मुताबिक बी.के. कुटियाला (बृज किशोर कुटियाला) ने 14 जनवरी 2010 की रात में हिसार (हरियाणा) के एक व्यक्ति को फोन करके कहा – माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल में कुलपति पद पर मेरी नियुक्ति हो गई है, ज्वाइनिंग लेटर एक-दो दिन में मिल जायेगा।
कहा जाता है कि भ्रष्टाचार के आरोपी कुटियाला को कुलपति बनवाने के लिए राधेश्यामशर्मा, नन्दकिशोर त्रिखा और सच्चिदानंनद जोशी ने सर्च कमेटी का मेंम्बर होने के नाते सूची में नाम डाला। सूत्रों के अनुसार राधेश्याम शर्मा और नन्दकिशोर त्रिखा ने इस भ्रष्टाचार के आरोपी को कुलपति बनवाने के लिए जोरदार लाबिंग की। मध्य प्रदेश में चर्चा है कि बिहार से मध्य प्रदेश में जाकर पहले संघ और अब भाजपा की सेवा के नाम पर राज्य सभा सांसदी का मेवा काट रहे प्रभात झा ने पहले तो अपने सजातीय एसमैन और महाजुगाड़ी सच्चिदानंनद जोशी को माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल में कुलपति बनवाने की पुरजोर कोशिश की । लेकिन राज्य के जब कुछ भाजपा- संघ नेताओं ने जोशी के इस वि.वि. में रजिस्ट्रार रहते हुए घोटालों की बात बतानी शुरू की, और कुछ जगह छपा, तो उनको ( जोशी)मा.प.वि.वि.कुलपति सर्च कमेटी का मेम्बर बनवा उनके मार्फत अपने किसी कीर्तनी एसमैन का नाम रिकमेंड कराने और कुलपति बनाने की जुगत बैठाई गई। सच्चिदानंद जोशी को कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता वि.वि., रायपुर कुलपति पद पर एक टर्म और दिलवाने की जुगत भिड़ाई जा रही है। सूत्रो के मुताबिक इसके लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह से भी राज्यपाल के यहां सिफारिश कराने की कोशिश हो रही है। खेल यह है कि भोपाल और रायपुर दोनो जगह ही कुलपति अपने एसमैन कीर्तनी और वह भी ब्राह्मण बनें।
हां तो बात कुटियाला की। कुटियाला जी एन्थ्रोपोलाजी में एम.ए. हैं। उसमें उनका मार्क 55 प्रतिशत है भी या नहीं कुछ दिन में पता चल जायेगा। वैसे उन्होने मैसूर वि.वि. के प्रो.एन.नागराज के अंडर में पी.एच.डी. करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था लेकिन कर नहीं पाये। आज तक उन्होने शायद कोई किताब भी नहीं लिखा है। हिसार में थे तो उन्होने जो-जो- कर्म किये उसको अब भी वहां के शिक्षक और कर्मचारी भूले नहीं हैं। वैसे तो माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल में कुलपति बनने के लिए किसी योग्यता की जरूरत नहीं है, वहां के लिए आज की तारीख में सबसे बड़ी योग्यता जुगाड़ व बिना रीढ़ का होना है।और रीढ़विहिन जीव ब्राह्मण हो तो अति उत्तम। कुटियाला में क्या-क्या गुण हैं यह तो उनका नाम बढ़ाने वाले जानें, लेकिन यह तो तय है कि इस विश्वविद्यालय से आज विदा हो रहे कुलपति (खबर लिखते समय उनका विदाई समारोह हो रहा है) अच्युतानंद मिश्र का जो कद था उसके पसंगे भी कुटियाला नहीं हैं। अच्युतानंद के कुलपति रहते माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल के कुलपति पद की गरिमा बढ़ी। अच्युतानंद ने कुलपति बनने के बाद इस वि.वि. में पहले से चल रहे जबरदस्त लूट पर लगाम लगाई। इसके जहां-जहां- सेंटर चल रहे थे वहां 50 छात्रों के एडमिशन का परमिशन वि.वि. से रहता था। लेकिन भाई लोग 100 छात्रों तक का एडमिशन कर लेते थे। सूत्रो के अनुसार इसमें से परमिशन से 50 अधिक बच्चों के एडमिशन की धांधली से जो धन बनता था वह वि.वि. के कुलपति, अफसरों , शिक्षा विभाग के आलाअफसर , राजनीतिक आकाओं में बंट जाता था। अच्युतानंद ने कुलपति बनने के बाद इस लूट तंत्र की कमर तोड़ दी। जांच कराकर 200 सेंटर को निरस्त कर दिया। ऐसा होने पर वि.वि. के भ्रष्ट अफसरों,अध्यापकों, उनके संरक्षक सत्ताधारी नेताओं और आला अफसरों की पहले की तरह काली कमाई बंद हो गई। इससे ये सबकेसब गोलबंद होकर अच्युतानंद मिश्र को परेशान करना शुरू किये। लेकिन अच्युतानंद का कद राज्य के किसी भी सत्ताधारी नेता व अफसर से ऊंचा था। सो जब कुछ बिगाड़ नहीं पाये तो वि.वि. के विकास के लिए सालाना 25 लाख रूपये फंड सरकार से नियमत: जो मिलने चाहिए उसे रोक दिया गया। सरकार ने अच्युतानंद के कुलपति रहते 5 साल में सालाना 25 लाख रू. ( यानी कुल 1 करोड़ 25 लाख रू.) नहीं दिया।क्यों नहीं दिया, वि.वि. के चांसलर मुख्मंत्री शिवराज सिंह चौहान इसका जबाब बेहतर तरीके से दे पायेंगे। शायद उन्होने खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे वाला काम किया। शिवराज ने एक काम और काम किया- पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को 09 जनवरी 2010 को माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल द्वारा दिल्ली में डि.लिट. की उपाधि दिया जाना था । कहा जाता है कि शिवराज को लगा कि यदि 09 को वाजपेयी जी को डि.लिट. की उपाधि दिया गया तो कुलपति अच्युतानंद मिश्र पूरा श्रेय ले जायेंगे। सो किसी बहाने कार्यक्रम स्थगित करा दिया गया।और कहा गया कि वाजपेयी जी को डि.लिट. उपाधि देने का कार्यक्रम फरवरी 2010 में होगा।यानी इस तरह 16 जनवरी 2010 से जो नया कुलपति आयेगा उसके हाथो डि.लिट. उपाधि दिलवाने का खेल। लेकिन अच्युतानंद मिश्र , 5 साल कुलपति रहते बहुत सारे विकास के कार्य और कर्मचारियों को परमानेंट कराने के बाद भी, वि.वि. के श्रोत से ही जो 90 करोड़ रूपये वि.वि. के खाते में जमाकराकर जा रहे हैं , वह अपने आप में एक नजीर है।प्रमाण है। नया कुलपति यदि सत्ताधारी नेताओं, नौकरशाहों का एसमैन कीर्तनी होगा तो कुछ समय में ही पता चल जायेगा कि सूचिता के झंडाबरदार पार्टी के लोगों की चाहत कैसी थी और है।
सूत्रो के मुताबिक बी.के. कुटियाला (बृज किशोर कुटियाला) ने 14 जनवरी 2010 की रात में हिसार (हरियाणा) के एक व्यक्ति को फोन करके कहा – माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल में कुलपति पद पर मेरी नियुक्ति हो गई है, ज्वाइनिंग लेटर एक-दो दिन में मिल जायेगा।
कहा जाता है कि भ्रष्टाचार के आरोपी कुटियाला को कुलपति बनवाने के लिए राधेश्यामशर्मा, नन्दकिशोर त्रिखा और सच्चिदानंनद जोशी ने सर्च कमेटी का मेंम्बर होने के नाते सूची में नाम डाला। सूत्रों के अनुसार राधेश्याम शर्मा और नन्दकिशोर त्रिखा ने इस भ्रष्टाचार के आरोपी को कुलपति बनवाने के लिए जोरदार लाबिंग की। मध्य प्रदेश में चर्चा है कि बिहार से मध्य प्रदेश में जाकर पहले संघ और अब भाजपा की सेवा के नाम पर राज्य सभा सांसदी का मेवा काट रहे प्रभात झा ने पहले तो अपने सजातीय एसमैन और महाजुगाड़ी सच्चिदानंनद जोशी को माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल में कुलपति बनवाने की पुरजोर कोशिश की । लेकिन राज्य के जब कुछ भाजपा- संघ नेताओं ने जोशी के इस वि.वि. में रजिस्ट्रार रहते हुए घोटालों की बात बतानी शुरू की, और कुछ जगह छपा, तो उनको ( जोशी)मा.प.वि.वि.कुलपति सर्च कमेटी का मेम्बर बनवा उनके मार्फत अपने किसी कीर्तनी एसमैन का नाम रिकमेंड कराने और कुलपति बनाने की जुगत बैठाई गई। सच्चिदानंद जोशी को कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता वि.वि., रायपुर कुलपति पद पर एक टर्म और दिलवाने की जुगत भिड़ाई जा रही है। सूत्रो के मुताबिक इसके लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह से भी राज्यपाल के यहां सिफारिश कराने की कोशिश हो रही है। खेल यह है कि भोपाल और रायपुर दोनो जगह ही कुलपति अपने एसमैन कीर्तनी और वह भी ब्राह्मण बनें।
हां तो बात कुटियाला की। कुटियाला जी एन्थ्रोपोलाजी में एम.ए. हैं। उसमें उनका मार्क 55 प्रतिशत है भी या नहीं कुछ दिन में पता चल जायेगा। वैसे उन्होने मैसूर वि.वि. के प्रो.एन.नागराज के अंडर में पी.एच.डी. करने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया था लेकिन कर नहीं पाये। आज तक उन्होने शायद कोई किताब भी नहीं लिखा है। हिसार में थे तो उन्होने जो-जो- कर्म किये उसको अब भी वहां के शिक्षक और कर्मचारी भूले नहीं हैं। वैसे तो माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल में कुलपति बनने के लिए किसी योग्यता की जरूरत नहीं है, वहां के लिए आज की तारीख में सबसे बड़ी योग्यता जुगाड़ व बिना रीढ़ का होना है।और रीढ़विहिन जीव ब्राह्मण हो तो अति उत्तम। कुटियाला में क्या-क्या गुण हैं यह तो उनका नाम बढ़ाने वाले जानें, लेकिन यह तो तय है कि इस विश्वविद्यालय से आज विदा हो रहे कुलपति (खबर लिखते समय उनका विदाई समारोह हो रहा है) अच्युतानंद मिश्र का जो कद था उसके पसंगे भी कुटियाला नहीं हैं। अच्युतानंद के कुलपति रहते माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल के कुलपति पद की गरिमा बढ़ी। अच्युतानंद ने कुलपति बनने के बाद इस वि.वि. में पहले से चल रहे जबरदस्त लूट पर लगाम लगाई। इसके जहां-जहां- सेंटर चल रहे थे वहां 50 छात्रों के एडमिशन का परमिशन वि.वि. से रहता था। लेकिन भाई लोग 100 छात्रों तक का एडमिशन कर लेते थे। सूत्रो के अनुसार इसमें से परमिशन से 50 अधिक बच्चों के एडमिशन की धांधली से जो धन बनता था वह वि.वि. के कुलपति, अफसरों , शिक्षा विभाग के आलाअफसर , राजनीतिक आकाओं में बंट जाता था। अच्युतानंद ने कुलपति बनने के बाद इस लूट तंत्र की कमर तोड़ दी। जांच कराकर 200 सेंटर को निरस्त कर दिया। ऐसा होने पर वि.वि. के भ्रष्ट अफसरों,अध्यापकों, उनके संरक्षक सत्ताधारी नेताओं और आला अफसरों की पहले की तरह काली कमाई बंद हो गई। इससे ये सबकेसब गोलबंद होकर अच्युतानंद मिश्र को परेशान करना शुरू किये। लेकिन अच्युतानंद का कद राज्य के किसी भी सत्ताधारी नेता व अफसर से ऊंचा था। सो जब कुछ बिगाड़ नहीं पाये तो वि.वि. के विकास के लिए सालाना 25 लाख रूपये फंड सरकार से नियमत: जो मिलने चाहिए उसे रोक दिया गया। सरकार ने अच्युतानंद के कुलपति रहते 5 साल में सालाना 25 लाख रू. ( यानी कुल 1 करोड़ 25 लाख रू.) नहीं दिया।क्यों नहीं दिया, वि.वि. के चांसलर मुख्मंत्री शिवराज सिंह चौहान इसका जबाब बेहतर तरीके से दे पायेंगे। शायद उन्होने खिसियानी बिल्ली खम्भा नोचे वाला काम किया। शिवराज ने एक काम और काम किया- पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को 09 जनवरी 2010 को माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल द्वारा दिल्ली में डि.लिट. की उपाधि दिया जाना था । कहा जाता है कि शिवराज को लगा कि यदि 09 को वाजपेयी जी को डि.लिट. की उपाधि दिया गया तो कुलपति अच्युतानंद मिश्र पूरा श्रेय ले जायेंगे। सो किसी बहाने कार्यक्रम स्थगित करा दिया गया।और कहा गया कि वाजपेयी जी को डि.लिट. उपाधि देने का कार्यक्रम फरवरी 2010 में होगा।यानी इस तरह 16 जनवरी 2010 से जो नया कुलपति आयेगा उसके हाथो डि.लिट. उपाधि दिलवाने का खेल। लेकिन अच्युतानंद मिश्र , 5 साल कुलपति रहते बहुत सारे विकास के कार्य और कर्मचारियों को परमानेंट कराने के बाद भी, वि.वि. के श्रोत से ही जो 90 करोड़ रूपये वि.वि. के खाते में जमाकराकर जा रहे हैं , वह अपने आप में एक नजीर है।प्रमाण है। नया कुलपति यदि सत्ताधारी नेताओं, नौकरशाहों का एसमैन कीर्तनी होगा तो कुछ समय में ही पता चल जायेगा कि सूचिता के झंडाबरदार पार्टी के लोगों की चाहत कैसी थी और है।