Saturday, January 9, 2010

क्या घोरतिकड़मी,घनघोर जुगाड़ी व भ्रष्टाचार के आरोपी हैं मा.प.वि.वि. के कुलपति पद के दावेदार ?

-सत्ताचक्र-
माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय ,भोपाल का कुलपति पद पाने के लिए भांति-भांति के मानुष भयंकर जुगाड़ी मुहिम में लगे हुए हैं। ईमानदारी से कुलपति पद के लिए नाम सर्च करने के लिए जो सर्च कमेटी बनाई गई है उसमें जो महानुभाव हैं उनके नाम हैं- नन्दकिशोर त्रिखा, सच्चिदानंद जोशी और राधेश्याम शर्मा । ये तीनो ही ब्राह्मण हैं या नहीं पता नहीं। लेकिन ये तीनो ही मध्यप्रदेश के तो नहीं हैं। 10 जनवरी 2010 को दिल्ली में होने वाली सर्च कमेटी की बैठक में ये कुलपति पद के लिए किन – किन तीन या चार व्यक्ति का नाम ढ़ूढ़कर सूची बनाते हैं ,उसमें कितने इनके कीर्तनी , महाजुगाड़ु व भ्रष्टाचार के आरोपी हैं यह उसके बाद मालूम होगा। भोपाल में फिलहाल जिन नामों की चर्चा है उनमें तथाकथित घनघोर जुगाड़ी ,तथाकथित रोजनेता व नौकरशाह कीर्तनी महेश प्रसाद श्रीवास्तव और बी.के. कुठियाला का नाम सबसे ऊपर बताया जा रहा है। अंदर-अंदर चर्चा में नाम तो शंभूनाथ सिंह , राममोहन पाठक, ऱाजेन्द्र शर्मा, तरूण विजय आदि का भी है। कहा जाता है कि ये सबके सब किसी न किसी के जुगाड़ के बदौलत कुलपति बनना चाहते हैं। सूत्रों का कहना है कि अखबारो में नौकरी करते हुए भी अपनी अक्षर मेघ नामक पत्रिका का धंधा करने वाले और उसके लिए सरकार आदि से विज्ञापन का उपक्रम करने वाले, सरकारी राष्ट्रीय एकता परिषद में उपाध्यक्ष पद पर दो टर्म से लालबत्ती गाड़ी की सीट गर्म करने वाले महेश प्रसाद श्रीवास्तव को जनसम्पर्क विभाग के सचिव मनोज श्रीवास्तव, भाजपा नेता कैलाश सारंग,बाबूलाल गौर व लक्ष्मीकांत शर्मा और कायस्थ लाबी कुलपति बनवाने के लिए पूरा जोर लगाये हुए है। सूत्रो का कहना है कि भ्रष्टाचार,कदाचार के आरोपी बी.के. कुठियाला की सर्च कमेटी के तीनो महानुभावो से अच्छी यारी है। कुठियाला हिमाचल के ब्राह्मण हैं या काष्टकार्यकर्मी इसके बारे में लोगों को भ्रम है। ये भाजपा के कुछ नेताओं के भी किर्तनी बताये जाते हैं।शंभूनाथ सिंह की दो पत्नियों वाला मामला तो जग जाहिर ही है, लेकिन पूर्व भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह इनके लिए कितना जोर लगाते हैं और उनकी बात शिवराज कितना मानते हैं यह बाद में पता चलेगा। वैसे इनकी विरोधी लाबी की कोशिश इनका नाम ही सूची में नहीं होने देने की है। यह भी चर्चा है कि इसको ध्यान में रखते हुए ही सर्च कमेटी में ऐसे लोग रखवाए गये।एक सज्जन जो हाल में ही एक पुरस्कार पाये हैं वह आपसी बातचीत में कई जगह कहे भी हैं कि दो बीवियों का पति हिन्दू , कुलपति कैसे हो सकता है। राममोहन पाठक पर भ्रष्टाचार के इतने आरोप हैं कि उनका नाम एक तो सूची में आने की संभावना कम है, यदि किसी कारण विशेष से उनका नाम सूची में आ भी गया तो मुख्यमंत्री उनके नाम पर राजी होंगे इसकी संभावना रत्तीभर भी नहीं है। राजेन्द्र शर्मा का नाम सूची में आने की संभावना कम है। आ गया तो सुंदरलाल पटवागुट उनको होने नहीं देगा। पांचजन्य में संपादक रहते तमाम भ्रष्टाचार के आरोपी और उसके चलते वहां से संघ के दबाव में हटाये गये करामाती तरूण विजय तो अभी अपने आका लालकृष्ण आडवाणी और उनकी मंडली के मार्फत राज्य सभा सदस्य व भाजपा महासचिव, प्रवक्ता बनने के लिए रात –दिन लगे हुए हैं। उधर नहीं होने पर इधर का रूख कर सकते हैं। पर यह जगह उनके सियासी हवस को पूरा करने के लिए बहुत छोटी है। माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिए सबसे उपयुक्त नाम तो मध्यप्रदेश से ही कई और हो सकते हैं , जिसमें निमच के रहने वाले और मुंबई में रहते हुए देश-विदेश में लेखन व व्याखान से संघ व भाजपा की विचारधारा को पोषित करने वाले पत्रकार मुजफ्फर हुसैन प्रमुख हैं। उनकी पुस्तक शाकाहार और इस्लाम का अनुवाद कई मुस्लिम देशो में हुआ है। वह मुस्लिम मामलो के एशिया के अच्छे जानकार हैं , संघ के सभी बड़े व भाजपा के पुराठ लोग उनको अच्छी तरह जानते हैं, कइयों से घनिष्ठता है। वह संघ के कई आनुषांगिक संगठनों में प्रमुख जिम्मेदारी निभाते रहे हैं। संघ ने औरंगाबाद से हिन्दी में देवगिरी समाचार निकाला था जिसके वह संपादक थे।हिन्दी व उर्दू के प्रखर वक्ता हैं। लेकिन एक ही कमी है- वह ब्राह्मण नहीं हैं, इसलिए ,पूरे देश में सर्चलाइट लेकर ईमानदारी से कुलपति पद के लिए उपयुक्त नाम ढ़ूंढ़रही सर्च कमेटी को उनका नाम दिखेगा,उसे सूची में शामिल करने योग्य माना जायेगा ,इसकी संभावना बहुत ही कम है।