Friday, January 22, 2010

नियम है 8, नकलचेपी अनिल अंकित 12 को करा रहा पी.एच-डी. ?

-सत्ताचक्र-
THE GAZETTE OF INDIA, JULY 11,2009 , PART-III-SEC-4 , PAGE 4053 पर UNIVERSITY GRANTS COMMISSION ,
REGULATION,2009 ,
NEW DELHI-110002,THE 1ST JUNE 2009
शीर्षक से छपे गजट के 7 वें नम्बर के सामने जो कुछ लिखा है उसके अंत में लिखा है- A SUPERVISER SHALL NOT HAVE, AT ANY GIVEN POINT OF TIME, MORE THAN EIGHT Ph.D. SCHOLARS AND FIVE M.Phil. SCHOLARS.
यह नियम यू.जी.सी. का है। लेकिन, , नकल करके एक दर्जन के लगभग अंग्रेजी व हिन्दी में पुस्तकें अपने नाम छपवालेने के आरोपी प्रोफेसर -हेड अनिल कुमार राय अंकित/Dr. ANIL K. RAI ANKIT (जनसंचार विभाग , महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी

विश्वविद्यालय, वर्धा ) के अंडर में, 03 दिसम्बर 2009 तक के आंकड़े के मुताबिक, 12 छात्र पीएच.डी. में रजिस्टर्ड हैं।
सूत्रो के मुताबिक इस नकलचेपी के अंडर में वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर (उ.प्र.) में इसके लेक्चरर रहने के दौरान जो छात्र पीएच.डी. के लिए रजिस्टर्ड हैं उनके नाम हैं-
1-सुधीर राय रेंटल ( यह दिल्ली के एक प्राइवेट कालेज, टेकनिया इंस्टीट्यूट में पढ़ाते हैं)
2-प्रदीप राय ( इनको अंकित ने यू.जी.सी.के एक मेजर प्रोजेक्ट में फेलो बना दिया और उसकी नियुक्ति से एक साल बैक डेट से सेलरी दिलाने की धांधली किया) ।
3-अमित राय
4-जावेद अहमद
5-अनंत श्रीवास्तव

राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन ओपेन यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद में भी अनिल के.राय अंकित के अंडर में 2 छात्रों का पीएच.डी. का रजिस्ट्रेशन है ।

महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) के जनसंचार विभाग में नकलचेपी अनिल के. राय अंकित अपने अंडर में निम्न 5 छात्रों को पीएच.डी. करा रहा है -
1-भाल चन्द्र देविदास ( दिनांक 21-08-2009 से)
2-बच्चा बाबू ( दिनांक 03-12-2009से)
3-रमेश चन्द्र पाठक ( दिनांक 03-12-2009से)
4-गजेन्द्र प्रताप सिंह ( दिनांक 03-12-2009से)
5-हिमांशु नारायण ( दिनांक 03-12-2009से)
इस तरह नकलचेपी अनिल के.राय अंकित के अंडर में कुल 12 शोध छात्र, दिनांक 03-12-2009 तक ,पीएच.डी. के लिए रजिस्टर्ड रहे हैं। सूत्रो के अनुसार 17 जनवरी 2010 तक तो संख्या यही थी, आज कितनी है यह तो नकलचेपी प्रो. अनिल के. राय और उसको प्रोफेसर – हेड बनानेवाले व बचाने में हर स्तर पर उतर आये, पुलिस से कुलपति बने सजातीय विभूति नारायण राय (V. N. RAI , vibhuti narayan rai ) ही बता सकते हैं।

अनिल के. राय अंकित के अंडर में पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर में पीएच.डी. कर रहे शोध छात्रों में से एक ने अपना शोध-प्रबंध जमा कर दिया है , जिस पर इसी 18 जनवरी 2010 को वाइवा हुआ है। जिसमें गाइड नकलचेपी अनिल के. राय अंकित तो नहीं गया, लेकिन उसके तरह-तरह के कर्मो के मार्गदर्शक व तरफदार रहे प्रदीप माथुर गये थे। नियमत: जब तक किसी शोध-छात्र को पीएच.डी. की डिग्री एवार्ड नहीं हो जाती तब तक उसकी सीट खाली नहीं मानी जाती।यानी तब तक उसका गाइड किसी और छात्र को उसकी जगह अपने अंडर में पीएच.डी. के लिए नहीं रख सकता है।

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