-सत्ताचक्र गपशप -
भयंकर जुगाड़ी बी.के.कुटियाला यानी बृजलाल कुटियाला ,इनके सताये लोगो के मुताबिक कुटिल कुटियाला , गुरू जम्बेश्वर वि.वि. हिसार (हरियाणा)से रिटायर होने के बाद घनघोर जुगाड़ लगाकर कुरूक्षेत्र वि.वि. कुरूक्षेत्र (हरियाणा) के जनसंचार विभाग में कांट्रैक्ट पर निदेशक बन गये। सूत्रो के मुताबिक वहां जाकर ऐसा कुटिल चाल चले कि लम्बे समय से वहां लेक्चरर –हेड रहे आशुतोष मिश्रा को परेशान होकर इस्तीफा देकर भागना पड़ा। बताया जाता है कि मिश्रा कि सगी पंजाबी पत्नी भी वहीं पढ़ाती हैं लेकिन उनको कुटियाला ने प्रश्रय दिया। लोग तो तरह-तरह की बातें करते हैं पर इसके पीछे क्या वजह रहा यह तो वही लोग बतायेंगे। कहा जाता है कि कुटियाला एन्थ्रोपोलाजी से एम.ए. हैं, लेकिन उसमें अंक 55 प्रतिशत से कम बताया जाता है। आज तक पी.एच-डी. नहीं किये हैं। किताब आदि लिखने में भी इनकी बहुत रूची नहीं रही। कहा जाता है कि इनकी महारत जुगाड़ कला में है, जिसके बदौलत कुर्सी पाते गये। इसके लिए हरियाणा और हिमाचल के भाजपा नेताओं का कीर्तन और गणेश परिक्रमा करते रहे हैं।सजातीय नेताओं आदि के यहां भक्तिभाव से हाजिरी बजाते रहे हैं।जिसके चलते यह, बौद्धिक ऊंचाई में पैदल होते हुए भी, भाजपा के जाति विशेष गुटबाज नेताओं की निगाह में प्यारे एकेडमिशियन हो गये हैं। सूत्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश से राज्य सभा सांसद प्रभात झा बड़े ही गंभीर मुद्रा में संघ के एक सज्जन से हाल ही में कहे थे- माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय, भोपाल का कुलपति कोई एकेडमिशियन होगा। सूत्रो का कहना है कि इस वि.वि. के कुलपति पद के लिए जो तीनजन की सर्च कमेटी बनी थी उनमें तीनो ही ब्राह्मण थे।उनने ब्राह्मण का नाम रिकमेंड किया। और मध्यप्रदेश के बाहर के उस ब्राह्मण ने कुलपति बनने के लिए हरियाणा ,हिमाचल के कई केन्द्रीय भाजपा नेताओं, नेत्रियों के यहां कुलपति बनवाने के लिए साष्टांग किया, और अब जल्दी से जल्दी नियुक्ति पत्र जारी करवाने के लिए साष्टांग कर रहे हैं। कहा जाता है कि सर्च कमेटी में रहे दो महानुभाव भी उस सजातीय के लिए खूब लाबिंग किये और कर रहे हैं। इन सबकी कोशिश है कि एक ब्राह्मण के नाम पर बने इस पत्रकारिता वि.वि. का कुलपति प्रदेश के बाहर का कोई ब्राह्मण ही हो।और उसको जल्दी से जल्दी ज्वाइनिंग लेटर मिल जाय। जहां तक मध्यप्रदेश के इस पत्रकारिता वि.वि. कुलपति पद के लिए मध्यप्रदेश के ही किसी के योग्य व्यक्ति का सवाल है तो यदि वि.वि. के चांसलर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मन से ढ़ूंढ़े तो दिल्ली से थोपे जाने वाले कुटियाला जैसे थोथे से लाख गुना बेहतर बीसीयों व्यक्ति मिल जायेंगे। एक नाम तो और मध्यप्रदेश से ही दिल्ली आकर धारदार हिन्दी पत्रकारिता का झंडा गाड़े प्रख्यात पत्रकार प्रभाष जोशी के पटु शिष्य मध्यप्रदेश के ही भिंड क्षेत्र की उपज आलोक तोमर हैं। हिन्दी में एम.ए.में 70 प्रतिशत का उनका गोल्ड रिकार्ड ग्वालियर वि.वि. में आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है। उन्होने पी.एच-डी. तो नहीं किया है, लेकिन मन से किये उनके एक-एक काम दसीयों पी.एच-डी. पर भारी पड़ेंगे।पत्रकारिता की प्रिंट,टेलिविजन,इंटरनेट तीनो विधा में उनकी महारत है। फिल्मों के बादशाह अमिताभ बच्चन से लगायत कई सीरियल के महानायकों के लिए स्क्रीप्ट लिखे हैं। मनसे किसी विषय पर लिख दें तो किसी कुटियाला को केवल उस तरह लिखने में ही कई जनम लग जायेंगे।जिन नेताओं से भाई लोग कुलपति बनने के लिए जुगाड़ लगवा रहे हैं उनसबसे आलोक की अच्छी पहचान है। और वह पहचान काम के बदौलत है, चाटुकारिता के बदौलत नहीं। इन सभी भाजपा नेताओं के पुरोधा अटल बिहारी वाजपेयी तो आलोक तोमर को पुत्रवत मानते रहे हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री होने के चलते इस वि.वि. के चांसलर शिवराज को तो मध्यप्रदेश के आलोक तोमर जैसे को कुलपति पद देने से ज्यादा दिल्ली में लोकसभा में महत्वपूर्ण पद पर बैठे किसी भाजपाई व उसकी मंडली के किसी बाहरी कीर्तनी को देना लाभदायक लग रहा होगा। क्योंकि अपने राजनीतिक लाभ के लिए घर का सोना गोबर , बाहर का गोबर सोना।