Saturday, January 16, 2010

चोरगुरू अनिल जायेगा तो दूसरा अनिल भी जायेगा

  • -सत्ताचक्रगपशप-
    बात बहुत पुरानी नही है। वामपंथियों के सहयोग से चल रही यू.पी.ए.-1 की सरकार के समय एक तथाकथित वामपंथी विचारधारावी साहित्यकार होने का दावा करने वाले घनघोर जुगाड़ी पुलिसवाले महानुभाव, महात्मागांधी के नामपर बने एक केन्द्रीय वि.वि. में जुगाड़ लगाकर कुलपति हो गये। होने के बाद अपने सजातीय एक भयंकर नकलचेपी को वि.वि.के एक विभाग में प्रोफेसर नियुक्त करा हेड बना दिया। उस नकलचेपी के नकल करके लगभग एकदर्जन पुस्तकें लिखने के कारनामे मीडिया में लगातार आने के बाद भी वह पुलिस से कुलपति बने महानुभाव मैटर चोर को ठीक उसी तर्ज पर बचाने लगे जैसे कोई पुलिसवाला अपने चहेते चोर को बचाता है। और कोई व्यक्ति उस चोर के खिलाफ प्रमाण बताता है, केस दर्ज करने के लिए कहता है तो पुलिस वाला उल्टे उस व्यक्ति को ब्लैकमेलर कहने लगता है, उल्टे उस व्यक्ति को ही फंसाने की कोशिश करता है। पुलिस वाले से कुलपति बने यह महानुभाव नवम्बर 2009 के प्रथम सप्ताह में दिल्ली आये थे और इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में ऱूके थे। इस महानुभाव ने एक पत्रकार को लगभग 5 साल बाद अपने काम से फोन किया। लेकिन बात बनाते हुए कहा- आप से मिले बहुत दिन हो गया, आइये बैठते हैं , बात करते हैं। फिर वह महानुभाव अपने मूल बात पर आये जिसके लिए फोन किये थे। बकौल उस पत्रकार – कहा समय मिला तो आता हूं, लेकिन जा नहीं पाया। पुलिस से कुलपति बने महानुभाव ने उस पत्रकार से कहा – आप मेरे यहां आइये, प्रोफेसर बना देता हूं। पत्रकार ने कहा कि पी.एच-डी. नहीं हूं। जिस पर पुलिस से कुलपति बने महानुभाव ने कहा- उसकी जरूरत नहीं है( इस पुलिस से कुलपति बने व्यक्ति को पता नहीं मालूम है या नहीं कि जिसको प्रोफेसर बनने का प्रलोभन दे रहे थे वह पत्रकार चाहते तो कुलपति बन सकते थे)।9 साल तक रहे एक केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री और दो प्रधानमंत्री से उस पत्रकार के पारिवारिक संबंध रहे हैं और तीनो ही उनको बहुत ज्यादा मानते रहे हैं) । पुलिस से कुलपति बने महानुभाव की उस पत्रकार से और भी बाते हुईं,उसके बाद पुलिस वाले ने उनसे उनके एक वरिष्ठ का फोन नम्बर लेकर और भी करामात किया जिसे जरूरत पड़ने पर बाद में दिया जायेगा। तो पुलिस कुलपति ने उस पत्रकार से आगे बातचीत में अपने सजातीय चहेते नकलची के बारे में भी बात किया,और कहा कि वह (मैटर चुराकर अपने नाम एक दर्जन तक पुस्तकें छपवा लेने वाला) तो कह रहा है कि जो भी मैटर उतारा है वह देशी –विदेशी किताबों का इंटरनेट पर उपलब्ध फ्री का मैटर है जिस पर पत्रकार ने कहा- आप और वह चाहे जो भी तर्क दें, मैंने खुद अपनी आंखो से देखा है कि चोर ..ने एक –एक किताब से 40 -40 पेज तक मैटर हूबहू उतारकर अपने नाम से छपवा लिया है।... जिस पर पुलिस कुलपति ने कहा था..... यदि वह (मैटर चोर यानी नकलची)अनिल जायेगा तो दूसरा अनिल (उसी विभाग में नियुक्त) भी जाएगा।
    इस पुलिस से कुलपति बने महानुभाव ने डेढ़ हप्ते पहले फिर उस पत्रकार को फोन किया था और कहा कि मेरे दिल्ली सेंटर का प्रभारी बन जाइये, इसे खोलने की मंजूरी मिल गई है। जिस पर पत्रकार का जबाब रहा – पहले सेंटर खोल लीजिए फिर बात कीजिएगा।