वरिष्ट पत्रकार मृणाल पाण्डेय ने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय , वर्धा के एक्जक्यूटिव कमेटी से इस्तीफा दे दिया। सूत्रो के मुताबिक उन्होने अपना इस्तीफा राष्ट्पति / इस वि.वि. के विजिटर के यहां दिनांक 24 फरवरी 2010 को भेजा। राष्ट्रपति की तरफ से जो लोग महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय , वर्धा के एक्जक्यूटिव कमेटी के सदस्य बनाये गये थे उसमें से मृणाल पाण्डेय एक थीं। इस कमेटी से इसके पहले विष्णु नागर ने इस्तीफा दिया । इस तरह मृणाल दूसरी सदस्य हैं जिन्होंने महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय , वर्धा के इस लगभग दो महिने पहले बनी एक्जक्यूटिव कमेटी से इस्तीफा दिया। सूत्रो के मुताबिक महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय , वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय के दोहरे चरित्र और बीते माह हुई अधूरी एक्जक्यूटिव कमेटी की बैठक में उनके द्वारा अनिल चमडि़या के मामले को गलत तरीके से रख कर उस पर कमेटी की मुहर लगवाने और नकलचेपी व शैक्षणिक कदाचार के आरोपी अनिल के. राय अंकित के मामले के पक्ष में तर्क रख उसकी नियुक्ति को कमेटी से ओ.के. कराने की तथ्यगत जानकारी मिलने के बाद से मृणाल व्यथित थीं। सो उन्होंने एक्जक्यूटिव कमेटी से इस्तीफा दे दिया। सूत्रो के मुताबिक मृणाल को लगा कि पुलिसिया कुलपति के एक से बढ़कर एक कारनामे एक-एक करके उजागर होते जाने हैं। एक्जक्यूटिव कमेटी के सदस्य बने रहने से उनकी भद्द होगी, क्योंकि कुलपति के सभी करमो को तो एक्जक्यूटिव कमेटी ही सहमति की मुहर लगा सही करार करती है। तो कीचड़ तो मृणाल पर भी पड़ते। पहली बैठक के बाद कीचड़ के छिटे पड़ने भी लगे थे। क्योंकि एक्जक्यूटिव कमेटी के ठीक एक दिन पहले इस संवाददाता ने मृणाल पाण्डेय के आवास वाले लैंड लाइन फोन पर फोन करके उनसे पूछा भी था कि आप जिस कमेटी की बैठक में कल जा रही हैं उसमें नकल करके एक दर्जन से अधिक किताबें लिखकर प्रोफेसर, हेड बने अनिल के. राय अंकित का मामला भी आयेगा।उस शैक्षणिक कदाचारी की नियुक्ति पर आप सहमति की मुहर लगायेंगी। उस शैक्षणिक कदाचारी के कदाचार के सबूत आपके पास अभी भेजवा रहा हूं, ताकि आप सच्चाई से अवगत हो सकें। इस पर इसी मृणाल पाण्डेय ने कहा था- इतना कीचड़ लेकर मैं क्या करूंगी। शायद अब मृणाल जी को समझ में आ गया कि कीचड़ अनिल के. राय को तो हीरा कह कर पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय ने उनसे मुहर लगवा लिया । तो अब एक्जक्यूटिव कमेटी से ही इस्तीफा देकर तथाकथित जनवादी, जातिवादी कुलपति को आइना दिखा दिया। लेकिन शैक्षणिक कदाचारी मैटर चोर को गोद में चिपकाये, महाजुगाड़ी पुलिसवाला भी हार मानने वाला नहीं है। मृणाल पाण्डेय व विष्णु् नागर की जगह वह अपने दो चहेतो को मेम्बर बनवाने का जोड़ –जुगाड़ शुरू कर दिया है। जिसमें से एक नागपुर के एक हिन्दी अखबार का ब्राह्मण सम्पादक है तथा मैटर चोर को नियुक्त करने वाली कमेटी में था। जो अपने को राष्ट्रपति का घोर घनिष्ठ बताता है, और महाराष्ट्र में बहुत पहले उनकी तरफदारी वाली खबरे लिखते रहने के बदले अब राज्य सभा सदस्यता के रूप में बड़ा मेवा पाने की याचना कर रहा है।
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