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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय,
श्री नामवर सिंह ने श्री काशीनाथ सिंह को निम्न पत्र लिखा था-
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय
नई दिल्ली-1100067
8-04-84
प्रिय काशी,
श्री विभूति नारायण राय के बारे में जो कुछ सुना है उससे उनके बारे में मेरी राय अच्छी नहीं है। वे बड़े महत्वाकांक्षी आदमी हैं और महत्वाकांक्षी आदमी कुछ भी कर सकता है। अंग्रेजी में ऐसा आदमी Unscrupulous कहा जाता है। उनके इर्द-गिर्द ऐसे ही खाऊ-कमाऊ लेखकनुमा जीव फिरते रहते हैं। मुझे भय है कि तुम्हें वे किसी चक्कर में न फँसा दें।
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तुम्हारा
नामवर
हिन्दी के भीष्मपितामह नामवर सिंह ( NAMAVAR SINGH ) ने यह पत्र हिन्दी के प्रख्यात कहानीकार अपने सगे छोटे भाई काशीनाथ सिंह ( KASHINATH SINGH ) को लिखा है। काशी के नाम नामवर के लिखे पत्रों का संकलन राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली , ने “काशी के नाम ” शीर्षक से छापा है। 2006 में छपी 364 पेज की यह पुस्तक 400 रूपये की है। नामवर जी ने विभूति नारायण राय के बारे में जो लिखा है वह इस पुस्तक के पेज 252 पर छपा है।
जिसमें नामवर सिंह ने लिखा है-
श्री विभूति नारायण राय के बारे में जो कुछ सुना है उससे उनके बारे में मेरी राय अच्छी नहीं है। वे बड़े महत्वाकांक्षी आदमी हैं और महत्वाकांक्षी आदमी कुछ भी कर सकता है। अंग्रेजी में ऐसा आदमी Unscrupulous कहा जाता है।.....
एस.चन्द एंड कम्पनी,रामनगर,नईदिल्ली से प्रकाशित फादर कामिल बुल्के की लिखी “अंगरेजी हिन्दी कोश ” के 1992 के संस्करण के पेज 804 पर
UNSCRUPULOUS शब्द का अर्थ दिया है- अनैतिक, चरित्रहीन, बेईमान ।
नामवर सिंह ने लिखा है-
...अंग्रेजी में ऐसा आदमी Unscrupulous कहा जाता है।...
इस वाक्य को पूरा का पूरा हिन्दी में लिखे तो वाक्य होगा-
... ऐसा आदमी अनैतिक, चरित्रहीन, बेईमान कहा जाता है ।....
यह लिखने पर नामवर सिंह का काशी के नाम लिखा यह पत्र इस तरह पढ़ा जायेगा-
प्रिय काशी,
श्री विभूति नारायण राय के बारे में जो कुछ सुना है उससे उनके बारे में मेरी राय अच्छी नहीं है। वे बड़े महत्वाकांक्षी आदमी हैं और महत्वाकांक्षी आदमी कुछ भी कर सकता है। ऐसा आदमी अनैतिक, चरित्रहीन, बेईमान कहा जाता है। उनके इर्द-गिर्द ऐसे ही खाऊ-कमाऊ लेखकनुमा जीव फिरते रहते हैं। मुझे भय है कि तुम्हें वे किसी चक्कर में न फँसा दें।
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तुम्हारा
नामवर
महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा, महाराष्ट्र के चांसलर हैं नामवर सिंह।
और पुलिस अफसर विभूति नारायण राय(VIBHUTI NARAYAN RAI / V.N.RAI ) इस विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। यह केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। जिस समय केन्द्र में वामपंथियों के सहयोग से मनमोहन सिंह की सरकार थी ,उस समय, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय वर्धा के कुलपति पद पर पुलिस अफसर विभूति नारायण राय की 5 साल के लिए नियुक्ति हुई।
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-सत्ताचक्र-
नईदिल्ली। प्रो.यशपाल और प्रो. कृष्णकुमार ने, दिल्ली विश्वविद्यालय में भ्रष्टाचार के एक मामले की आरोपी डा.अनिता रामपाल को NCERT के निदेशक पद के लिए बन रही सूची में नाम डलवाने के लिए पहले खूब जोर लगाया था ।चाल यह थी कि NCERT के निदेशक पद के लिए जो सूची बने उसमें ऐसे लोगो का नाम हो जिनका अनुभव व योग्यता कृष्णकुमार से कम रहे । ताकि फिर से कृष्णकुमार को ही घनघोर जुगाड़ व सिफारिश से एक टर्म और मिल जाये। NCERT का निदेशक पद कुलपति के रैंक का होता है। निवर्तमान निदेशक प्रो.कृष्णकुमार(श्रीवास्तव) एक्सटेंसन पर चल रहे हैं। इस पद पर नये निदेशक के नाम की सूची बनाने के लिए बनी सर्च कमेटी की पहली बैठक तक कृष्णकुमार श्रीवास्तव की दिखावी चाहत अनिता रहीं। कृष्णकुमार की चाल कामयाब करने के लिए बुजुर्ग यशपाल की चाहत भी अनिता रहीं।।सूत्रों के मुताबिक दोनो ने ही अनिता के लिए अपने जुगाड़ दाव पर लगा दिया। सूत्रो का कहना है कि इसके लिए इनने सेक्रेटरी स्कूल अन्शु वैश्य और प्रो.मृणाल मिरी से कहा है। NCERT की जो निदेशक खोज कमेटी बनी है उसमें अन्शु वैश्य , प्रो.मृणाल मिरी, प्रो. जयन्त नार्लिकर और हैदराबाद के एक प्रोफेसर हैं । इसकी पहली बैठक दिनांक 18 जनवरी 2010 को पूना में हुई थी।सूत्रो के मुताबिक तब हैदराबादवाले प्रोफेसर देश से बाहर थे । सो केवल अन्शु वैश्य , प्रो.मृणाल मिरी, प्रो. जयन्त नार्लिकर और ज्वाईंट सेक्रेटरी अनिता कौल (खुंटिया की जगह लिंक अफसर बनकर , तीन माह के एक्सटेंसन पर चल रही ज्वाईंट सेक्रेटरी अनिता कौल गई थी) ही बैठक किये। सूत्रो के अनुसार प्रो.यशपाल और प्रो. कृष्णकुमार की लाबिंग के चलते अन्शु वैश्य, प्रो.मृणाल मिरी व अनिता कौल ने डा. अनिता रामपाल का नाम सूची में डलवाने की कोशिश की। लेकिन बात बनी नहीं। सूत्रो के अनुसार अनिता कौल ने अपनी दोस्त डा.अनिता रामपाल के लिए जबरदस्त पैरवी की।कौल ने कहा कि श्रीमती अनिता रामपाल डी. ग्रेड की साइंसटिस्ट हैं, और वह प्रोफेसर रैंक की हैं। सूत्रो के अनुसार उनके इस तथाकथित गलत बयानी पर सर्च कमेटी के एक नामी वैज्ञानिक सदस्य को खटका हुआ।यह कि अनिता रामपाल के लिए ये कुछ लोग किस स्तर पर जाकर लाबिंग कर रहे हैं और गलत बता रहे हैं कि डी.ग्रेड साइंटिस्ट का पद प्रोफेसर रैंक का होता है। उस वैज्ञानिक को यह भी पता चल गया था कि अनिता रामपाल पहले लाल बहादुर शास्त्री नेश्नल एकेडमी में थी।वहां से NOC और रिलिविंग आर्डर लिए बगैर ही 2002 में दिल्ली वि.वि. में नौकरी ज्वाइन कर लीं। यहां और वहां दोनो जगह से सेलरी लेती रहीं। जब एकेडमी ने दिल्ली वि.वि. को लिखकर पूछा कि क्या अनिता रामपाल आपके यहां नौकरी कर रही हैं।उसके बाद राज खुला। फिर लालबहादुर शास्त्री एकेडमी ने उस दौरान दी सेलरी अनिता से रिकवरी किया। कहा जाता है उससे संबंधित फाइल दिल्ली वि.वि. से गायब करा दिया गया है। तो ऐसी धांधली की आरोपी मैडम अनिता रामपाल यदि प्रो.यशपाल और प्रो. कृष्णकुमार की कृपा और लाबिंग से NCERT की निदेशक पद के लिए नाम की सूची में आ गई और कहीं संयोग व जुगाड़ से निदेशक बन गईं तो क्या गुल खिलायेंगी इसका अनुमान लगाया जा सकता है। क्योंकि यहां तो बजट बहुत है और अनिता पर वित्तिय व नैतिक कदाचार का जो आरोप है उसके मद्देनजर तो यहां बहुत कुछ गुल खिल सकता है। सो उस वैज्ञानिक व एक अन्य सदस्य ने नाम तय करने का काम अगले बैठक के लिए टाल दी। उसके बाद केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय में ऊपर के कुछ अफसरो को यह गुल -गपाड़ा मालूम हुआ तो और भद्दगी से बचने के लिए अनिता रामपाल के नाम पर अब आगे विचार न करने की बात हुई।सर्च कमेटी की अगली बैठक 5 फरवरी2010 को है। इस सबकी भनक लगते ही NCERT के, एक्सटेंसन पर चल रहे निदेशक प्रो.कृष्णकुमार (श्रीवास्तव) एक टर्म और पाने के लिए जी-जान से जुट गये हैं।उनको एक टर्म और दिलवाने के लिए प्रो.यशपाल ने भी अपना पूरा जोर लगा दिया है।सूत्रो के मुताबिक प्रो.यशपाल सर्च कमेटी के सदस्यों, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के कुछ आला अफसरो से कृष्णकुमार को ही एक टर्म और देने की सिफारिश कर रहे है। सूत्रो के अनुसार प्रो. यशपाल पुरजोर कोशिश कर रहे हैं कि सर्च कमेटी जो नाम रिकमेंड करे उसमें कोई भी नाम अनुभव व योग्यता के मामले में कृष्णकुमार से बड़ा न हो। कहा जाता है कि इस सरकार में विदेशी बीवी को भी एक बहुत बड़ी उपलब्धी माना जा रहा है। जिसकी बीवी विदेशी है उसे इस सरकार में खूब प्रोन्नति व मालदार पावरफुल पद मिल रहा है।यदि विदेशी बीवी ईसाई हो तब तो पूछना ही नहीं है। लेकिन कृष्णकुमार पर आरोप है कि उनके निदेशक रहते NCERT की अवैध पुस्तकों का कारोबार नोएडा आदि जगह से खूब हो रहा है,खूब बढ़ गया है। सालाना अरबो रूपये का यह कारोबार हो रहा है। लेकिन कृष्णकुमार ने इसपर कभी नकेल लगाने की कोशिश नहीं की। NCERT में और भी तमाम कार्य ऐसे हुए हैं जिसके चलते इन पर गंभीर आरोप लग रहे हैं।
-सत्ताचक्र गपशप-महात्मागांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्विद्यालय, वर्धा के एक्जक्यूटिव कमेटी की 13 जनवरी 2010 को दिल्ली में हुई बैठक में पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय ने अनिल चमडि़या को प्रोफेसर पद पर नियुक्ति की मंजूरी नहीं दिलाने के लिए क्या चाल चली? सूत्रो के मुताबिक एक्जक्यूटिव कमेटी के दो सदस्यों ने अपने किसी खास को बातचीत में बताया कि विभूति ने क्जक्यूटिव कमेटी की बैठक में कहा- मुझसे एक गलती हो गयी है। कृपया आपलोग उसे सुधारने में सहयोग करें। जिस पर कमेटी के सदस्यों ने कहा कि आप गलती सुधार लीजिए, इसमें किसी को क्या ऐतराज होगी। उसके बाद उन्होने अनिल चमड़िया की नियुक्ति पर कमेटी की मंजूरी नहीं कराई। लेकिन नकल करके लगभग एकदर्जन किताबें अपने नाम छपवा लेने वाले सजातीय अनिल कुमार राय अंकित (Dr.ANIL K. RAI ANKIT) के बारे में नही कहा कि मुझसे गलती हुई है,उसकी नियुक्ति पर चुपचाप मंजूरी कराली। पुलिसिया कुलपति अपने लोगो से जो कहते रहे थे कि अनिल चमड़िया को तो निकालूंगा,और अनिल के. राय अंकित के बारे में जब ऊपर से आदेश आयेगा तब देखा जायेगा, उसे कर दिया दिया। इस तरह अनिल चमड़िया को निकालने की अपनी साजिश को अमली जामा पहना लिया। सूत्रो का कहना है कि पुलिसिया कुलपति ने एक्जक्यूटिव के सदस्यों से बैठक के पहले ही मिलकर लाइजनिंग कर लिया था। यह सब उन्होने पहले से सोची-समझी चाल के तहत किया।इसी लिए तो इंटरनल एक्जक्यूटिव सदस्य बनाये बिना ही, नियमत: 18 सदस्यों की एक्जक्यूटिव कमेटी बनाये बिना ही ,जल्दबाजी में अधूरी एक्जक्यूटिव की बैठक दिल्ली में कराकर अपने तमाम करमो पर विजिटर द्वारा नामित महानुभावों से मुहर लगवा लिया।सूत्रो का कहना है कि पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय ने केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय में एक्सटेंसन पर चल रहे उच्च शिक्षा सचिव का प्रभार देख रहे सुनील कुमार को पटा लिया है।सुनील कुमार मलयाली हैं और इन दिनो प्रधानमंत्री कार्यालय में मलयाली लाबी की तूती बोल रही है।यह लाबी अपने को पी.एम. के बाद सबसे पावरफुल मान रही है, और जो चाह रही है कर रही है। चर्चा है कि यह लाबी अपने एसमैनो व पुष्पम्-पत्रम आदि चढ़ाने वालो की मालदार पद पर नियुक्ति कराने से लगायत उनके कदाचार के कर्मो की मालदार फाइल को ओ.के. कराने तक का काम करवा रही है। कहा जाता है कि पुलिसिया कुलपति ने सुनील कुमार के मार्फत अपनी जाति के दो, ब्राह्मण दो, एक लाला और एक दक्षिण भारतीय को एक्जक्यूटिव का सदस्य बनवा लिया।सूत्रो का कहना है कि इसमें कुछ अतिशयोक्ति हो सकती है, लेकिन यह तो है कि जो भी महानुभाव बने हैं उनमें ज्यादेतर सत्ताचापलुस व पदलोभी हैं।
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-सत्ताचक्र गपशप-नागपुर में एक प्रख्यात भाषाविद् रहते हैं। महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा,महाराष्ट्र में वह जाते रहते हैं।उनकी इस वि.वि. के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय(VIBHUTI NARAYAN / V.N.RAI ) से खुब छनती है। सूत्रो के मुतबिक पुलिसिया कुलपति भी उस भाषाविद् के यहां नागपुर जाते रहते हैं। भाषाविद् उनको खाने-पीने वाला आदमी बताते हैं। यह भी बताते हैं कि पुलिसिया कुलपति ने उ.प्र. के एक तांबे के बर्तन आदि बनाने के लिए प्रसिद्ध शहर से विश्वविद्यालय के तमाम नेम प्लेट आदि बनवाकर मंगवाये थे। जिसमें अंतर्राष्ट्रीय लिखने में कुछ गड़बड़ी हो गई है। उस भाषाविद् ने जब बताया कि इन सभी तांबे के प्लेट पर विश्वविद्यालय के नाम में आधा न गलत लिखा गया है, तो पुलिसिया कुलपति ने नये नेम प्लेट बनवाने का फरमान जारी कर दिया। जिस पर कुछ लोग
कहे कि साहब इन नेम प्लेट को बनवाने पर लगभग 60 हजार रूपये खर्च हो गया है, दूसरे नेम प्लेट बनवाने पर फिर खर्च होगा। कहा जाता है कि उस पर पुलिसिया कुलपति ने कहा कि चाहे जो हो, नये नेम प्लेट बनेंगे। किसी ने कहा – पहले ही क्यों नहीं वह लिखा गया जो अब लिखवाने की बात हो रही है। बताया जाता है कि उस पर कुलपति ने कहा कि पहले अपने पास यह बताने वाले भाषाविद् .... नहीं थे, अब हैं , बताये तो हो रहा है। भाषाविद् ने सूत्र को जो कहा वह यदि सच है तो – पुलिसिया कुलपति ने उनको खाने-पीने के दौरान बैठकी में बताया था कि दिसम्बर 2008 में महाश्वेता देवी विश्वविद्यालय स्थापना दिवस समारोह में आई थीं तो कृपाशंकर चौबे (KRIPA SHANKAR CHAUBE)को प्रोफेसर पद पर नियुक्त करने के लिए कही थीं। वि.वि. में पत्रकारिता के प्रोफेसर पद के
लिए जो जगह निकली उसके लिए कृपाशंकर चौबे ने भी आवेदन किया था। उसके लिए जो स्क्रीनिंग कमेटी बनी थी उसमें वह भाषाविद् थे। सूत्रो का कहना है कि भाषाविद् ने कृपाशंकर चौबे को प्रोफेसर पद, शिक्षण कार्य के लायक नहीं पाया ।सो उनका नाम काट दिया । सूत्रों के अनुसार बाद में पुलिसिया कुलपति ने कृपाशंकर का हर हाल में नाम जुड़वाने और नियुक्त करने के लिए नागपुर के एक अपने यार पत्रकार प्रकाश दुबे की अगुवाई वाली स्क्रीनिंग कमेटी बनाई। जिसमें प्रकाश दूबे ने पुलिसिया कुलपति के मनमुताबिक कृपा का नाम रीडर पद के कंडीडेट के तौर पर क्लीयर कर दिया।और उसके बाद साक्षात्कार की खानापूर्ति करके उनकी नियुक्ति रीडर पद पर कर दी गई। सूत्रो का यह भी कहना है कि पुलिसिया कुलपति ने ही चाल चलके यह सब कराया।पहले तो वह कृपाशंकर को प्रिन्ट जर्नालिज्म के प्रोफेसर पद पर लाना चाहता था ( जिस पर अनिल चमड़िया की नियुक्ति हुई) , और अनिल चमड़िया को इलेक्ट्रानिक्स जर्नालिज्म के प्रोफेसर पद पर नियुक्त करने की योजना थी।लेकिन वांट निकलने के बाद पुलिसिया कुलपति से उसके पड़ोसी जिले का सजातीय अनिल कुमार राय अंकित (Dr. ANIL K. RAI ANKIT) मिल गया।कहा जाता है कि उसके बाद पुलिस कुलपति ने सजातीय अनिल राय अंकित को इलेक्ट्रानिक्स जर्नालिज्म का प्रोफेसर और अनिल चमड़िया को प्रिन्ट जर्नालिज्म का प्रोफेसर नियुक्त कराने का मन बना लिय़ा। सो इस चाल के तहत पहली स्क्रीनिंग में भाषाविद् से कृपाशंकर चौबे को प्रोफेसर व शिक्षण के लायक नहीं होने की नोट लिखवा प्रोफेसरशिप से पत्ता काटा , फिर दूसरी प्रकाश दुबे वाली स्क्रीनिंग कमेटी बना उसमें उसी कृपाशंकर चौबे को रीडर पद पर और पढ़ाने लायक योग्य कंडिडेट घोषित करा दिया। पुलिसिया कुलपति ने जिसको प्रोफेसर और रीडर पद पर नियुक्त करने का पहले से मन बनाया था उनसबको साक्षात्कार का कोरम पूरा करा नियुक्त करवा दिया।यह भी कहा जाता है कि कृपाशंकर चौबे को कलकत्ता सेंटर खुलवाकर वहां का इन्चार्ज बनाने का वायदा किया गया था जो अभी तक पूरा नहीं हुआ।सूत्रो का कहना है कि कृपाशंकर चौबे जुगाड़कला के उतने ही महारथी हैं जितना तथाकित चोरगुरू अनिल के.राय अंकित और तथाकथित चोरगुरू राममोहन पाठक।सूत्रो के अनुसार चौबे जी नामवर सिंह की कृपा से सहारा के अखबार में कलकत्ता संवाददाता बने।कहा जाता है कि उसके बाद नामवर से ही मृणाल पांडेय के यहां सिफारिश लगवाकर दैनिक हिन्दुस्तान का कलकत्ता संवाददाता बने ।उसके बाद वर्धा कैसे पहुंचे हैं ,पढ़ ही लिये हैं।
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