Radia nexus: KG Balakrishnan in more trouble
indian express (south india edition),express buzz
By Ajay Kanth 29 Dec 2010 01:53:15 AM IST
KOCHI: More trouble is brewing for former CJI K G Balakrishnan as the alleged links of his family members with the now infamous corporate lobbyist Niira Radia are being revealed.
The controversial corporate connections are mentioned in the complaint filed by Delhi-based journalist Dr M Furquan before the Vice- President’s office on May 4, 2010. The complaint said that Balakrishnan’s son Pradeep had mediated with Dubaibased NRI businessman Yusuf Ali for settling the legal battle between Mukesh Ambani-owned Reliance Industries Limited (RIL) and Anil Ambani-owned Reliance Natural Resources Ltd (RNRL) over Krishna Godavari (KG) basin gas supply.Furquan contended that “Pradeep, who is a practising advocate in the Supreme Court, visited Dubai seven times for mediating with the NRI businessman in connection with the disputed”.The three-and-a-half-year battle between the Ambani brothers ended when the Supreme Court on May 7, 2010 delivered a verdict favouring the stand taken by the RIL.This verdict was what Niira Radia was referring to in her conversations, including that with Vir Singhvi.The complaint also pointed out the alleged role played by the former CJI in granting relief to CPM leader Pinarayi Vijayan in the sensational SNC-Lavalin case.“Justice K G Balakrishnan has fast-tracked the SNCLavalin case due to pressure exerted on him by his family members, who are very friendly with Pinarayi Vijayan,” the complaint said.It said, “the PM’s Principal Secretary T K A Nair, who is also Chairman of the Kerala State Industrial Development Corporation, and Christy Fernandes, who is the secretary to the President, have jointly met up with the Chief Justice for influencing him in favour of Pinarayi Vijayan with whom both of them are very friendly.” Furquan also contended that “mining tycoon Janardhana Reddy has met the CJI’s son-in-law P V Sreenijin in Kochi seeking his help in getting the CJI go soft on cases in which the Reddy brothers are embroiled.’’
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Wednesday, December 29, 2010
क्या भारत के मुख्यन्यायाधीश रहते के.जी.बालकृष्णन ने चढ़ावा लेकर पार्टी को लाभ पहुंचाया, पीएमओ की मलयाली लाबी इनसे काम कराती रही ?
Monday, December 27, 2010
चोरगुरूओं पर कार्रवाई करो,9 सांसदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा
सुप्रीम कोर्ट के सुप्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण ने भी लिखा पत्र
-कृष्णमोहन सिंह
नई दिल्ली।देशी-विदेशी पुस्तकों,शोधपत्रों से सामग्री ( आल राइट रिजर्व सामग्री ) हूबहू उतारकर पी.एच-डी,डि.लिट की डिग्री लेने वाले,अपने नाम पुस्तकें छपवाने वाले चोरगगुरू लेक्चररों,रीडरो,प्रोफेसरों,इन नकलचेपी पुस्तकों के प्रकाशकों,पब्लिशरों व ऐसी पुस्तकों को वि.वि. ,महाविद्यालयों की लाइब्रेरियों में खरीदवानेवाले अध्यापकों को संरक्षण देनेवाले कुलपतियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए 9 सांसदों ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।
पत्र में राजेन्द्र सिंह ,भरूट, पूनम वी., कांजी भाई आदि 9 सांसदों ने लिखा है कि ऐसे लेक्चरर,रीडर ,प्रोफेसर जो खुद नकल करके , इंटरनेट से रिस्ट्रिक्टेड सामग्री कटपेस्ट करके पुस्तकें बना अपने नाम से छपवाये हैं, नकल करके पी.एच-डी,डी.लिट किये ,शोध -पत्र लिखे हैं, छात्रों को ऐसे चोरगुरू क्या शिक्षा देंगे और छात्र उनसे क्या सिखेंगे।उनके इस तरह के कर्म से शिक्षा जगत कलंकित हो रहा है। चोरगुरूओं,प्रकाशकों,सप्लायरों,कुलपतियों ,यूजीसी व शिक्षा मंत्रालय के आला अफसरों की मिलिभगत से इस तरह नकलकरके लिखी लगभग 500 करोड़ रूपये की पुस्तकें हर साल विश्वविद्यालयों,महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में खरीदी जा रही हैं।
इसके बारे में एक हिन्दी टीवी चैनल पर “चोरगुरू” नाम से 1 नवम्बर 2009 से जनवरी 2010 के बीच 14 कड़ी का कार्यक्रम भी दिखाया गया। जिसके पहले एपीसोड में नकल करके एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखने वाले महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के पत्रकारिता विभाग के हेड डा.अनिल के. राय अंकित और उसको संरक्षण देने,बचाने में लगे विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय के बारे में दिखाया गया था। इस कार्यक्रम के अन्य कड़ी में वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय,जौनपुर के प्रो.रामजी लाल, डा.एस.के.सिन्हा.पूर्वकुलपति पीसी पतंजलि,महात्मागांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी के प्रो.राममोहन पाठक,डा.अनिल कुमार उपाध्याय, बुंदेलखंड वि.वि.झांसी के डा.डी.एस.श्रीवास्तव,डा.सरिता कुमारी (इस समय जामिया मिलिया में रीडर हैं), बुंदेलखंड वि.वि. के पूर्व कुलपति प्रो.रमेश चन्द्रा, जामिया मिलिया इस्लामिया के डा.दीपक केम के नकलचेपी कारनामे सप्रमाण दिखाये गये थे।इस कार्यक्रम में इग्नू के स्टडी मैयेरियल्स को बहुत से अध्यापको,शोधार्थियों द्वारा हूबहू उतारकर (कट-पेस्ट) करके अपने नाम पुस्तकें छपवाने और ऐसी पुस्तकों को छापने व विश्वविद्यालयों,महाविद्यालयों की लाइब्रेरियों में चोरगुरूओं,उनके संरक्षक व पुष्पम-पत्रम लोभी कुलपतियों के सक्रिय सहयोग से सप्लाई करने वाले दरियागंज,नईदिल्ली के श्री पब्लिशर्स,ज्ञान बुक प्राइवेट लि.,अनमोल पब्लिकेशन्स प्राइवेट लि. आदि के कारनामे भी दिखाये गये गये थे।
सांसदों ने प्रधानमंत्री से मांग की है कि –
1-चोरगुरू कार्यक्रम में नकल करके पुस्तकें लिखने के इतने बड़े घोटाले का जो भंडाफोड़ हुआ है उसकी जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित किया जाय और बिना देरी किये चोरगुरूओं,उनकी नकलचेपी पुस्तकें छापने,सप्लाई करने वालों को सजा दिया जाय।
2- उन कुलपतियों और संस्थान प्रमुखों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाय जो चोरगुरूओं को बचा रहे हैं।
3- शिक्षा जगत में चल रहे और लगातार बढ़ रहे इस बड़े घोटाले को रोकने, चोरगुरूओं,पब्लिशरों,सप्लायरों,कुलपतियों आदि के इस रैकेट को नेस्तनाबूद कर उनको सजा देने के लिए एक कारगर स्थाई तंत्र बनाया जाय।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इसी तरह का एक पत्र सर्वोच्च न्यायालय के प्रख्यात वकील प्रशांत भूषण ने भी लिखा है।इस पत्र पर बुजुर्ग पत्रकार कुलदीप नायर का भी हस्ताक्षर है। यह पत्र पहले मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल के यहां दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक वहां से जब इस पत्र के बारे में पता चला तो अपने चहेते सजातीय चोरगुरू अनिल के.राय अंकित को बचा रहे “छिनाली” फेम वाले पुलिस कुलपति विभूति नारायण राय ने अपना पुराना साम-दाम वाला हथकंडा अपनाकर कुलदीप नायर को वर्धा , वि.वि. में एक कार्यक्रम में ले जाने का उपक्रम किया है। यह करके चालबाज छिनाली पुलिसिया कुलपति ने क्या दिखाने की कोशिश किया है यह तो अब बुजुर्ग कुलदीप नायर ही बतायेंगे।सूत्रो के मुताबिक कुछ लोगो ने इसबारे में कुलदीप नायर से पूछा - आप उस भ्रष्टाचार आरोपी दोहरे चरित्र वाले “छिनाली” पुलिसिया कुलपति विभूतिनारायण का मंच सुषोभित करने जा रहे हैं जो महिला लेखिकाओं को छिनाल कहता ,लिखता है, जो सजातीय चोरगुरू अनिल के.राय अंकित को लाकर वि.वि.में पत्रकारिता विभाग का हेड बनाया है,उसके खिलाफ जांच नहीं करा रहा है, और उसको बचाने का हर उपक्रम कर रहा है,दलित छात्रों को गाली दे रहा है,प्रताड़ित कर रहा है,वि.वि.में पुलिसिया तांडव कर रहा है ? इस पर बुजुर्ग कुलदीप नायर का मासूम जबाब था - वो ये वही आदमी है..., बहुत गंदाआदमी है...., लेकिन मैंने तो उसके यहां जाने के लिए कह दिया है..।
Saturday, December 18, 2010
क्या उपेन्द्र राय (पत्रकार) का परिजन वकील प्रदीप राय ने जज विजेन्द्र जैन को 9 करोड़ घूस दिया?
outlook पत्रिका के 27 दिसम्बर वाले अंक में और नये खुलासे
radiagate-II
‘This Litigant Told Me He Paid Vijender Jain 9 Cr’
Sunil Arora Former Chairman of Air India, June 20, 2009
Here, lobbyist Niira Radia is chatting with Sunil Arora, former chairman of Air India and a serving bureaucrat. They are discussing corruption in the judiciary. Arora is telling her how judgements were fixed in the sealing cases in New Delhi when commercial areas and establishments in residential areas were sealed on the orders of erstwhile Supreme Court Chief Justice Y.K. Sabharwal. Arora informs Radia that a Delhi High Court judge, Justice Vijender Jain, was paid off Rs 9 crore in a sealing case by a middleman. The favourable judgement was written one month before it was delivered; the middleman was even given an advance copy. Justice Jain is referred to as Justice Sabharwal’s man.Sunil Arora: Haan, ab to higher judiciary mein corruption bahut ho gayi na...
Niira Radia: Haan?
SA: Higher judiciary mein corruption bahut ho gayi na...
NR: Bahut zyaada, it’s like crazy situation...
SA: In the sealing cases, one chap had told me that he’ll get this judgement after one month.
NR: Haan.
SA: And he told me how much he had paid to whom.
NR: My god!
SA: I said, yaar, tum mazaak kar rahe ho. He said main aapko bata raha hoon ye judgement hai, and he broadly outlined the judgement...ki, this is to be pronounced after one month. To aap dekh lena, main khud hi copy le aaoonga uski...tab next time jab ho jayegi, woh le aaya copy.... He showed me, that order. He had paid 9 cr...as he claimed, at the residence.
NR: Kaun tha yeh?
SA: I mean this litigant had paid Rs 9 crore to that high court judge in Delhi.
NR: Good god!
SA: This is what he claimed...ki that I paid, at his home.
NR: Kaun sa judgement tha?
SA: Koi tha land deal, real estate ka.
NR: Pathetic ha? Yeh hai na, yeh Upendra Rai (a journalist) ka brother-in-law, jo bhi hai uska...cousin brother—Pradip Rai—yehi to kaam karta hai.
SA: And this gentleman ultimately became chief justice!
NR: My god!
SA: Jisne judgement diya tha...he became CJ (chief justice), abhi retire hua tha, Vijender Jain, naam bhi bataa deta hoon.
NR: Haan, I know.
SA: Jo Sabharwal (CJI Y.K. Sabharwal) ka khaas aadmi tha.
NR: Haan uske upar to problem hua tha na beech mein?
SA: Nahin par woh (Vijender Jain) to ban gaya CJ (of Punjab and Haryana High Court), ab to CJ ban ke retire bhi ho gaya hai. Kya farak pada...
Monday, December 13, 2010
क्या चिदम्बरम ने सुनील मित्तल , अनिल अंबानी के कारण नीरा का फोन टेप कराया ?
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। 2-जी स्पेक्ट्रम महाघोटाले का जाल अब कांग्रेस के गले के चारो तरफ भी लिपटने लगा है । सो परेशान कांग्रेसी अब यह पता लगाने लगे हैं कि क्या तत्कालीन वित्त मंत्री पी.चिदम्बरम ने सुनील मित्तल के किये या किसी से कराये शिकायत को आधार बनाकर नीरा राडिया की फोन टेपिंग के आदेश दिलवाये।कहा जाता है कि पी.चिदम्बरम की भारती एअरटेल कम्पनी के विवादास्पद मालिक सुनील मित्तल से बहुत घनिष्टता है। चिदम्बरम के बारे में यह भी चर्चा है कि वह सुनील मित्तल आदि की जीएसएम कम्पनियों की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में मोटी फीस पर वकील भी रहे हैं। जब टाटा ने अपनी कम्पनियों के खिलाफ की जा रही लाबिंग की काट के लिए लाबिस्ट नीरा राडिया व उसकी कम्पनी वैष्णवी को लगभग 60 + 20 करोड़ रूपये सालाना का ठेका दिया और नीरा राडिया ने अपने क्लाइंट रतन टाटा के लिए हर स्तर पर जोरदार लाबिंग शुरू की तो सुनील मित्तल की कम्पनी को परेशानी होने लगी। कहा जाता है कि उसी के बाद नीरा राडिया के खिलाफ वित्त मंत्रालय में लिखित शिकायत पहुंचती है । सोनिया गांधी की यूपीए -2 की मनमोहनी सरकार ने नीरा राडिया फोन टेपिंग मामले में रतन टाटा की यचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय में 10 दिसम्बर 2010 को जो हलफाना दिया है उसके मुताबिक-
“नीरा राडिया के फोन टेप करने के आदेश इनकम टैक्स के डायरेक्टरेट जनरल ने दिया था। यह आदेश 16 नवंबर 2007 को वित्त मंत्रालय को मिली उस शिकायत के बाद दिया गया जिसमें आरोप लगाया गया था कि नीरा राडिया ने नौ साल की छोटी सी अवधि में 300 करोड़ रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया। शिकायत में यह भी कहा गया था कि नीरा राडिया विदेशी खुफिया एजेंसियों की एजेंट हैं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल रही हैं।“
मालूम हो कि 2007 तक मुकेश अंबानी ने अपनी कम्पनियों की लाबिंग का ठेका भी लगभग 60 करोड़ रूपये सालाना पर नीरा राडिया व उसकी कम्पनी वैष्णवी को दे दिया था। तब कम्पनियों के बंटवारे के घमासान के बाद अनिल अंबानी और मुकेश अंबानी के बीच गैस के बंटवारे को लेकर घमासान छिड़ा हुआ था। सो चर्चा है कि है कि नीरा राडिया इसके चलते अनिल अंबानी और उनके लाबिस्ट टोनी जसुदासन की आंखो की भी किरकिरी बन गई । कहा जाता है कि इधर से भी नीरा राडिया के खिलाफ शिकायत कराई गई होगी।
लेकिन शिकायत चाहे जिनने किया हो , उस शिकायत को आधार बनाकर नीरा राडिया का फोन टेपिंग तो पी.चिदम्बरम के वित्त मंत्री रहते ही हुआ। सोनिया गांधी की यूपीए-1 की मनमोहनी सरकार में 22 मई 2009 तक पी.चिदम्बरम वित्त मंत्री थे। 23 मई 2009 से प्रणव मुखर्जी वित्त मंत्री हैं। 23 मई 2009 को पी.चिदम्बरम को वित्त मंत्री पद से हटाकर गृह मंत्री बनाया गया। खुफिया एजेंसी आई.बी. इसी गृह मंत्रालय के अधीन है। कहा जाता है कि पी.चिदम्बरम ने गृह मंत्री बनने के बाद नीरा राडिया फोन टेपिंग मामले में आई.बी. को सक्रिय कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में सोनिया की मनमोहनी सरकार ने जो हलफनामा दिया है उसमें नीरा राडिया का फोन टेप कराने की जो दलील दी है उसका तिथिवार फाइल व फोन टेपिंग आदेश ,आई.बी. को आदेश आदि का व्यौरा देखने पर काफी कुछ स्पष्ट हो जाता है कि किस मंत्री की अति सक्रियता के कारण नीरा राडिया का फोन टेप हुआ है।
अब मनमोहन सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा है कि शिकायत मिली थी कि नीरा राडिया विदेशी खुफिया एजेंसियों की एजेंट हैं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल हैं। उनके फोन टेपिंग में बातचीत काफी कुछ सेंसिटिव होने का पता चलने पर इसकी आगे की जांच व फोन टेपिंग के लिए आई.बी. को भी आदेश दे दिया गया। तब से आई.बी. यह साबित करने का साक्ष्य जुटाने में लगी है कि नीरा राडिया भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल रही हैं।
अब सवाल यह होने लगा है कि जब नीरा राडिया पर भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने , विदेशी खुफिया एजेंसियों का एजेंट होने का आरोप लगाकर जांच हो रही है ,पूछताछ हो रही है तो क्या उनको सालाना लगभग 200 करोड़ रूपये का लाबिंग या जनसम्पर्क का ठेका देने वाले रतन टाटा,मुकेश अंबानी , देवेश्वर , विजय मल्या से भी विदेशी खुफिया एजेंसियों की एजेंट (आरोपी नीरा राडिया) से घनिष्ठता,बात करने , ठेका देने के चलते पूछताछ , गिरफ्तारी होगी, इनपर देशद्रोही से संबंध रखने-मदद करने उसकी कम्पनियों के साथ अरबों का धंधा करने के चलते देशद्रोह का मुकमा चलेगा ? सोनिया मोइनो गांधी की मनमोहनी सरकार में यह हिम्मत है ? कांग्रसी ही कहने लगे हैं कि यह हुआ तो सरकार ही गिर जायेगी।
Sunday, December 12, 2010
ए.राजा की डायरी में 17 पत्रकारों के नाम ?
नीरा राडिया के चहेते पत्रकारों की हालत पतली
गणपति की इटी नाऊ से विदाई
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। सूत्रों का कहा यदि सच है तो पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा की डायरी में 17 पत्रकारों के नाम दर्ज हैं। सीबीआई ने ए. राजा के आवास पर मारे छापे में जो कागजात कब्जे में की है उसमें राजा की कुछ डायरी भी हैं। सूत्रो का कहना है कि उन डायरी में विभिन्न दलों के बहुत से नेताओं , कुछ दलाल लाबिस्टों और 17 पत्रकारों के नाम दर्ज हैं। सूत्रों के अनुसार उनमें कई के नाम के आगे अंकों में आंकड़ा लिखा है। जिसे घूस के तौर पर मोटी रकम के रूप में दिये जाने का अनुमान लगाया जा रहा है। सीबीआई जब ए.राजा से पूछताछ करेगी और यदि राजा ने इन तमाम महानुभावों को अपने तथाकथित किये महाघोटाले में से थोड़ी-थोड़ी चासनी चटाने की बात स्वीकार कर ली तब तो सब फंसेंगे। इस संभावना के चलते दिल्ली,मुंबई,चेन्नई के उन तमाम सुनामधन्य पुरूष व महिला पत्रकारों की धड़कन बढ़ गई है जो ए. राजा और दलाल लाबिस्ट नीरा राडिया के चहेते रहे हैं। कहा जाता है कि इनमें ज्यादेतर अंग्रेजी वाले हैं। उन नेताओं की भी दिल की धड़कन बढ़ गई है जिनकी ए. राजा से घनिष्ठता रही है। 2007 के बाद , ए. राजा और नीरा के प्यारे-प्यारी पत्रकारों में से किनके अपने या परिजनों के नाम से देश-विदेश में मंहगे फ्लैट या प्लाट या कम्पनियों के शेयर हुए है या उनके बेटे-बेटी के देश-विदेश में पढ़ाई का पूरा मोटा खर्च कहीं से गया है इसकी तहकीकात शुरू हो गई है।चर्चा है कि इसके लपेटे में कई तथाकथित बड़े पुरूष व महिला पत्रकार के नाम आ रहे हैं। एक तथाकथित बड़े पत्रकार द्वारा अपने बेटे के मार्फत बड़े स्तर पर दलाली कराने की भी तहकीकात हो रही है।
सूत्रों का कहना है कि एक पार्टी के मालिक-मालकिन, बच्चों की लाइजनिंग पत्रकारिता करते -करते सांसद और एक हिन्दी टीवी चैनल का मालिक बन गये व्यक्ति का नाम भी ए. राजा की डायरी में है। कहा जाता है कि इस सत्ताधारी दलाल नेता को इसकी भनक लग गई है , सो इसने ऊपर से दबाव डलवाना शुरू कर दिया है।
इधर लाबिस्ट नीरा राडिया के टेप में जिन-जिन पत्रकारों का नाम उजागर हुआ है उनमें से कई की हालत पतली हो गई है। कहा जाता है कि नीरा राडिया से घनिष्ठता के चलते पत्रकार गणपति ( गनु) को टाइम्स ग्रुप ने विदा कर दिया। गणपति इकोनामिक टाइम्स के बाद इटीनाऊ में इकोनामिक एडीटर के पद पर थे। टाइम्स नाऊ की पालिटिकल एडीटर नविका कुमार पर भी मालिकानों की भृकुटि तनी हुई है।इधर एनडीटीवी में बरखादत्त से प्रणव राय व राधिका राय के उखड़े होने की चर्चा है। लेकिन विवेक गोयनका वाले इंडियन एक्सप्रेस समूह का सबकुछ देख रहे शेखर गुप्ता तो फाइनांसियल एक्सप्रेस के मैनेजिंग एडीटर एम.के.वेणु (लाबिस्ट नीरा राडिया के ये भी घनिष्ट हैं) को पूरी तरह बचाने में लगे हैं।
Saturday, November 27, 2010
चोरगुरू संरक्षक कुलपतियों (विभूति,अवध,सारस्वत,यादव)की बनने लगी पत्री
- -सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
नकल करके पी.एच-डी.,डि.लिट.शोध-प्रबंध लिखने ,देशी-विदेशी पुस्तकों शोध पत्रों से मैटर हूबहू उतारकर कटपेस्ट करके अपने नाम से किताब छपवाकर लेक्चरर,रीडर व प्रोफेसर बन गये चोरगुरूओं को नियुक्त कर रहे ,इन चोरगुरूओं के नकलचेपी कारनामे माडिया में उजागर होने और लिखित शिकायत के बाद भी इन्हे बचा रहे कुलपतियों की कुंडली तैयार होने लगी है।इन कुलपतियों में प्रमुख हैं- सजातीय चोरगुरू अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के.राय अंकित को महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि., वर्धा में पत्रकारिता का प्रोफेसर हेड नियुक्त करने और अब बचाने में लगे पुलिसिया कुलपति “छिनाली” फेम विभूति नारायण राय ; वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि. ,जौनपुर के पूर्वकुलपति आर.सी.सारस्वत(सारस्वत 22 नवम्बर 10 को सेवानिवृत हुए और अपने रहते वि.वि. के चार चोरगुरूओं को,उनकी लिखी किताबों को छापने व सप्लाई करने वाले को बचाने का हर उपक्रम किये) ;एक प्रोफेसर व एक रीडर चोरगुरू को बचारहे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के कुलपति अवधराम; एक प्रोफेसर चोरगुरू को बचा रहे अवधेश प्रताप वि.वि. रीवा के कुलपति यादव की कुंडली तैयार होने लगी है। राष्ट्रपति व राज्यपालों तथा केन्द्र व राज्य सरकार के शिक्षा मंत्रालय में कुलपतियों के खिलाफ नकलचेपी अध्यापकों यानी चोरगुरूओं को बचाने ,जांच कमेटी बनाकर मामला लटकाने,चोरगुरूओं को प्रोमोट करने का प्रमाण का पुलिंदा पहुंचने के बाद फाइल तैयार होने लगी है। चोरगुरूओं व उनकी पुस्तकें छापने-बेचने वाले को बचाने –बढ़ाने वाले जो कुलपति सेवानिवृत हो रहे हैं उनकी भी फाइल बन रही है,ताकि उनको भी पूछताछ के लिए तलब किया जा सके ।पुलिसिया कुलपति“छिनाली” विभूति अपने सजातीय चोरगुरू अनिल राय को बचाने की नैतिकता परवान चढ़ाते हुए अपने गांव जोगहरा ,आजमगढ़(उ.प्र.) में हीना देसाई की हरतरह की व्यवस्था में अपना 60 वां जन्म दिन मना रहे हैं।
Sunday, November 21, 2010
नीरा की टाटा,रंजन,बरखा,वीर,कोनीमोझी,एराजा ,तरून,वेनु से बातचीत का टेप outlookindia.com पर
-सत्ताचक्रsattachakra-
radia tapes
‘Give Your Story To A Paper Which Will Carry It As A Lead Flyer. Isko CNBC Ko Do.’
M.K. Venu, Senior business journalist
Hear it as they spoke it: The Power Tapes
***
M.K. Venu: You saw Rohini’s story. It has come today.
Niira Radia: No, I haven’t seen it. I’m going to see it now. I finished at 1.30 in the night.
MK: But it’s all tucked away. You’re also keeping Manoj Modi’s timings. 2 o’ clock!
NR: It’s tucked away, is it?
MK: Yeah, but in ET you can’t miss it. It is the inside page but it’s the top half, the lead story of the page.
NR: You know this one, Ganapathy has been chasing me but I don’t want to give it to him. I have a letter from the Andhra chief minister.
MK: Hmm.
NR: I don’t want to give it to him, I am scared to give it and find the story killed. What do you think I should do? He has given a scathing attack. He has written to the PM.
MK: The Andhra CM. Two years ago, he used to sing Anil Ambani’s tune. It is a very strong letter, yaar.
NR: Kya karoon yaar. I don’t want it tucked away.
MK: Objective advice. Isko aise akhbar ko do jo isko lead flyer carry kare. Isko CNBC ko do. Then these people will be adequately provoked. If CNBC carries it as a lead 10 times a day, then everyone will start running helter skelter. If I was the editor, Rohini’s story was a clean Page 1, top half, like a lead story. Do you think a letter to the MD is possible? Broadly saying that we congratulate the launch of ET Now and then you can raise this issue that there is this raging controversy that is of national interest and we hope you can take which is, you know, which is in keeping with what Y.S.R. Reddy has written. Aisa karke you should lagao one.
NR: How is Prabhakar Sinha in Times?
MK: My information is that he and his brother Arun Kumar are retainers on the other side. About Arun Kumar, I am quite sure. He and Sandeep Bamzai used to be so openly partisan. I met Shekhar Bhatia at dinner, he used to be executive editor then, he told Sandeep Bamzai ki kam se kam ek hafta to chhod do. At least three to six months, you don’t plug him. This is what Shekhar Bhatia told him publicly.
NR: Yes, I don’t blame him. I met Sukumar and Sanjoy Narayan.
MK: That Sanjoy Narayan has an old friendship with that Tony (Jesudasan), na? They have some great common interests.
Hear it as they spoke it: The Power Tapes
***
Also In This Story
radia tapes
All Lines Are Busy
There was not one pie Niira Radia didn’t have her hand in nor any area—media, corporate or government—she didn’t have a contact in
radia tapes
‘I Know Who Planted In Congress That Azhagiri Knows No English’
A. Raja, Former telecom minister
radia tapes
‘How Do I Make Dad Understand? He Doesn’t Understand...’
Kanimozhi, Rajya Sabha MP
radia tapes
‘I Am Surprised Raja After All You Did For Him Is Playing This Game’
Ratan Tata, Chairman, Tata Sons
radia tapes
‘What Do You Want Me To Tell Them (The Congress)? Tell Me. I’ll talk To Them.’
Barkha Dutt, Group editor, English news, NDTV
radia tapes
'Who Do You Want Congress To Talk To? Karunanidhi? I’ll Speak To Ahmed Patel.’
Vir Sanghvi, HT advisory editorial director
radia tapes
‘So, How Did You Find Sunil (Mittal)? What Did You Think Of Him?’
Tarun Das, Former CII honcho
‘Mukesh Said, Haan Yaar, Ranjan, Congress To Ab Apni Dukaan Hai’
Ranjan Bhattacharya, Former PM Atal Behari Vajpayee’s foster son-in-law
the PM
Wednesday, November 17, 2010
विभूति नारायण राय ने एक और सजातीय कृष्णकुमार सिंह(राय) को प्रोफेसर नियुक्त किया
-SATTACHAKRAसत्ताचक्र-
महिला लेखिकाओं को छिनाल कहने के मामले में अपना कुलपति पद( नौकरी) बचाने के लिए शिक्षा मंत्री कपिल सिब्बल से बिना शर्त लिखित माफी मांगने वाले पुलिस विभूति नारायण राय ( VIBHUTI NARAYAN RAI / V.N.RAI ) ने अपने एक और सजातीय कृष्णकुमार सिंह(राय) को महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय ,वर्धा में उसी तरह से प्रोफेसर नियुक्त कर दिया ,जिस तरह से चोरगुरू अनिल के राय अंकित को किया। अपने नाम के आगे राय नहीं लिखकर ,सिंह लिखने वाले कृष्णकुमार उसी जाति के हैं जिस जाति के विभूति राय हैं।विभूति नारायण राय उ.प्र. के आजमगढ़ जिले के रहने वाले हैं और कृष्णकुमार सिंह (राय)उसके सटे जिले बलिया के रहने वाले हैं।लगभग दो साल पहले वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर के और दो सत्र से महात्मागांधी काशी विद्यापीठ,वाराणसी के अन्तर्गत टाउन डिग्री कालेज बलिया में कृष्णकुमार (राय) हिन्दी के रीडर थे। विभूति ने इनको वहां से लाकर प्रोफेसर बनाया है। महिला लेखिकाओं को छिनाल कहने के मामले में जिन लोगो का नाम “छिनाली ” विभूति नारायण राय ने अपने समर्थन वाली सूची में दिखाया – बंटवाया था उसमें इस कृष्णकुमार सिंह (राय) का भी नाम था।
Tuesday, November 9, 2010
राज्यपाल जोशी ने चोरगुरूओं को बचानेवाले कुलपतियों को दी कड़ी हिदायत
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA -
लगभग यही हाल महात्मा गांधी काशी विधापीठ, वाराणसी का है। वहां के पत्रकारिता के दो विभागों( इस छोटे से विश्वविद्यालय के छोटे से कैम्पस में पत्रकारिता के दो विभाग हैं, दोनो के दो हेड हैं, जबकि पढ़ाई एक ही जैसे कोर्स की होती है) के चोरगुरू राममोहन पाठक व अनिल कुमार उपाध्याय द्वारा नकल करके पीएचडी ,डीलिट शोध ग्रंथ लिखने और पुस्तकें छपवाने ,उस आधार पर नौकरी-प्रमोशन पाने की सप्रमाण शिकायत कुलपति अवध राम के यहां की गई है। कुलपति राम ने कोई जांच भी बैठाई है , जिसने चोरगुर राममोहन पाठक और अनिल उपाध्याय से उनका लिखित वर्जन भी मांगा था। अभी तक वह जांच चल ही रही है। यहां भी यूजीसी नार्म से अधिक शोध-छात्रों को अपने अधिन शोध कराने का मामला है ,पर अब तक किसी अध्यापक के विरूद्ध् कार्रवाई नहीं हुई।यह हाल है धतकर्मी अध्यापकों और उनके संरक्षक कुलपतियों का। “छिनाल” मामले में मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से अपना कुलपति पद बचाने के लिए बिना शर्त लिखित माफी मांगने वाले म.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय तो अपने प्रिय चोरगुरू अनिल कुमार राय को बचाने का हर तरह से उपक्रम कर ही रहे हैं।दिखाने के लिए तो “छिनाली” विभूति ने भी फरवरी 2010 में , भ्रष्टाचार में गले तक फंसे महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के पूर्व कुलपति की एक सदस्यीय जांच कमेटी बना दिया था । उस जांच कमेटी ने अभी तक कुछ नहीं किया । वह कमेटी है भी या खत्म हो गई या उससे कुछ अपने अनुसार लिखवार कर चोरगुरू अनिल राय और उसके पुलिसिया कुलपति संरक्षक विभूति राय ने ले लिया ,इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
पूर्वांचल वि.वि. के कुलपति , जांच अधिकारी और वर्धा के कुलपति और जांच अधिकारी को पत्र दिया गया था कि चोरगुरूओं के नकलचेपी कारनामे की जांच आन कैमरा कराई जाय जिसमें उन सबको बुलाया जाय जिनने चोरगुरूओं की करनी उजागर किया है । आन कैमरा जांच अधिकारी सुनवाई करे , जहां कुलपति भी उपस्थित रहे और वहां चोर गुरू अपनी पुस्तक मैटर चोरी नहीं करके लिखने का प्रमाण दें और जिनने चोर गुरूओं के चोरी के कारनामों का खुलासा किया है वे लोग उनके नकलचेपी किताबें लिखने का प्रमाण दें। यह पूरा रिकार्ड हो। लेकिन किसी भी जांच अघिकारी और कुलपति ने ऐसा नहीं कराया,उस “छिनाली” पुलिसिया कुलपति विभूति राय ने भी नहीं जो अपने को बहुत ही तथाकथित नैतिक होने का अभिनय करके वामपंथियों से जुगाड़ लगाकर कुलपति बने। बुंदेल खंड वि.वि. झांसी के कुलपति रहे और दिल्ली वि.वि. के बर्खास्त प्रोफेसर रमेश चन्द्रा ने भी कट-पेस्ट करके वालूम की वालूम,कई दर्जन पुस्तकें अपने नाम छपवा लिये हैं। उन्होंने सामग्री लाकर उसी वि.वि. के एक रीडर श्रीवास्तव को दिया और कहा कि हमारे नाम पुस्तक बना दो , जो मैटर बचे उसको उनकी रिश्तेदार सविता (तब उसी वि.वि. में लेक्चरर थी इस समय जामिया मीलिया,दिल्ली में रीडर है)और अपने नाम से पुस्तकें बना लो। श्रीवास्तव ने ऐसा ही किया ( यह बात श्रीवास्तव ने आन कैमरा कहा है , जिसका प्रमाण अपने पास है)।इन सब पर बुंदेलखंड वि.वि. ने अबतक कोई कार्रवाई नहीं की।
इस तरह के बहुत से चोरगुरूओं का कच्चा चिट्ठा अभी और है। पूर्वांचल वि.वि जौनपुर तो चोरगुरूओं और कटपेस्ट करके पुस्तकें अपने नाम बनाने ,छपवाने वाले अध्यापकों का गढ़ जैसा हो गया है। नकल करके पुस्तकें लिखने वाला प्रो. प्रेम चंद पातंजलि जब पूर्वांचल वि.वि.जौनपुर का कुलपति बना और अपने जैसे ही कई चोरगुरूओं को लाकर अध्यापक आदि पद पर नियुक्त किया , तभी से पूर्वांचल वि.वि. चोरगुरूओं , उनकी नकलचेपी पुस्तकें छापने-सप्लाई करनेवालों का गढ़ बनता गया।
आज की बैठक में राज्यपाल बी.एल.जोशी ने ऐसे चोरगुरूओं को बचानेवाले कुलपतियों के अब तक के कारनामों की जो रिपोर्ट ली,उसकी समीक्षा की ,उस पर राजभवन से जल्दी ही कुछ और कड़े निर्देश जारी होने का अनुमान है। लेकिन नेताओं,मंत्रियों,नौकरशाहों की चरणवंदना और गणेश परिक्रमा करके,तथाकथित भारी चढ़ावा चढ़ा कुलपति बनने वाले कई महानुभाव लोग अपने बचने और अपने चहेते चोरगुरूओं व उनके नकलचेपी पुस्तकों को छापने-सप्लाई करने वाले को बचाने के लिए साम-दाम-दंड-भेद आदि हर उपक्रम शुरू कर दिये हैं।ऐसे में देखिए राज्यपाल जोशी क्या कर पाते हैं।
Friday, August 27, 2010
राष्ट्रपति को महिलाओं ने दिया वी.एन.राय के काले कारनामों के दस्तावेज
नईदिल्ली। आनिता भारती, विमल थोराट और अंजलि सिन्हा की अगुवाईवाली एक महिला प्रतिनिधि मंडल ने राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल से मुलाकात करके ,महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि.,वर्धा के जातिवादी,कदाचार आरोपी व महिला लेखिकाओं को छिनाल कहनेवाले पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय को बर्खास्त करने की मांग की। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल इस विश्वविद्यालय की विजिटर हैं और उनके पति देवी सिंह पाटिल को महाजुगाड़ी पुलिसवाला विभूति नारायण राय ने किसी तरह से जी हजूरी करके पटा लिया है। राष्ट्रपति ने प्रतिनिधिमंडल की बातें बहुत ही ध्यानपूर्वक और धैर्य के साथ सुनी। महिलाओं ने उनको बताया कि कुलपति वी.एन राय ने लेखिकाओं को छिनाल और निम्फोमेनिक कुतिया कहा है। सबूत के तौर पर संबधित दस्तावेज और विभिन्न अखवारों, पत्रिकाओँ और ब्लाग में छपे लेख और प्रतिक्रियाए भी दिखाया । ऐसे बयान देने तथा विश्विद्यालय में अपनी जाति के नकलची अध्यापकों को नियुक्त व प्रमोट करने वाले, चहेतों की मनमानी नियुक्तियां करने, चाटुकारों-चहेतों को मनमानी प्रोजेक्ट बांटने,ठेका देने ,जगह-जगह सेमिनार कराने के नाम पर अपने चहेतो को घुमाने वाले , चहेतों को पहले से तय कर सेंटर खोलने का चक्कर चलाने वाले विभूति नारायण राय को कुलपति पद पर बने रहना शर्मनाक बताया। मंडल ने वर्धा विश्वविधालय में दलित छात्र- छत्राओं , व शिक्षकों के साथ लगातार की जा रही जातीय उत्पीडन की खबरों का खुलासा करते हुए राष्ट्रपति महोदया को प्रोफेसर कारूण्यकारा को 6 दिसम्बर (दलित डिग्निटी डे) को डा. अम्बेडकर के परिनिर्वाण दिवस के कैडल मार्च में शामिल होने पर कारण बताओ नोटिस दिए जाने का ज्रिक करते हुए कहा कि आज तक किसी भी भारतीय नागरिक को 2 अक्टूबर, 30 जनवरी या फिर किसी भी ऐतिहासिक दिवस पर शमिल होने के लिए कारण बताओ नोटिस नहीं मिला तो किसी प्रोफेसर को मात्र 6 दिसम्बर को विद्यार्थियों द्वारा आयोजित सभा में शमिल होने के लिए कैसे एक कुलपति. कारण बताओ नोटिस दे सकता है। जबति कारूण्यकारा उसी विश्वविद्यालय के 'अम्बेडकर चेयर के अध्यक्ष भी हैं, कायदे से इस कार्यक्रम में शमिल होना उनका फर्ज बनता है। महिला प्रतिनिधिओं ने राहुल काबंले के केस की भी चर्चा करते हुए राहुल कांबले द्वारा राष्ट्रपति को भेजा गया 'इच्छामृत्यु की अनुमति' वाला पत्र भी दिखाया । राष्ट्रपति को पूर्व मंत्री व सांसद रघुवंश प्रसाद सिंह द्वारा लोकसभा में कुलपति द्वारा की गई टिप्पणी के संदर्भ में उठाए गए सवाल का दस्तावेज भी दिखाया । वर्धा विश्वविद्यालय परिसर में कुलपति के पुलिसिये हथकंडे और दमनकारी नितियों के बारे में भी बताया। लगभग 17 मिनट की बातचीत में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ने पूरी बाते बडे मनोयोग से सुनी और संज्ञान लेने का आश्वासन दिया। प्रतिनिधि मंडल ने सभी अखबारों में वीएन राय की महिला संबंधी टिप्पणी के विरोध में लेख, प्रतिक्रियाएं विश्वविधालय में पदों से सम्बन्धित बरती जा रही नियमों की अनदेखी, घपले बाजी, और दलितों के जातीय उत्पीड़न सम्बन्धी दस्तावेज (लगभग 170-180 पेज) राष्ट्रपति महोदया को सौंपे। राष्ट्रपति ने उन सभी दस्तावेज को सम्बन्धित मंत्रालय में भेजवाने और उचित कार्रवाई करने का आश्वासन दिया ।देखिये इस विश्विद्यालय के विजिटर राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का आश्वासन चलता है या उनके पति देवी सिंह का परिक्रमाकर्मी बनकर बचने का उपक्रम कर रहे महाजुगाड़ी,पद-प्रतिष्ठा पाने के लिए वामपंथी होने का तथाकथित अभिनय करने वाले विवादास्पद पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय का देवी सिंह कीर्तन।
Tuesday, August 24, 2010
सरकार जबाब दे, अभी तक उसको (वीएन राय) क्यों नहीं हटाया ?–रघुवंश प्रसाद सिंह
- -सत्ताचक्र SATTACHAKRA -
महिला लेखिकाओं को छिनाल कहने [ (म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के कुलपति विभूति नारायण राय का साक्षात्कार नया ज्ञानोदय के 10 अगस्त 2010 के सुपर बेवफाई अंक में छपा है। यह साक्षात्कार म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के ही एक कर्मचारी राकेश मिश्र ने लिया – लिखा है। जिसे छापा है रविन्द्र कालिया ने जो ममता कालिया के पति हैं । ममता कालिया को विभूति राय ने कुलपति बनने के बाद वि.वि. की पत्रिका का मोटी पगार पर सर्वेसर्वा बना दिया है ) और अपने इस कहे को अपने गणेशी कीर्तनियों के साथ दो दिन तक टीवी पर कुतर्क दे जायज ठहराने की कोशिश करते रहे , लेकिन जब म.गां.अं.हि.वि.वि. का कुलपति पद जाने की नौबत आई तो नौकरी बचाने के लिए लिखित माफी मांग लेने ] वाले बेशर्म विभूति नारायण राय के बारे में पूर्व मंत्री व राजद सांसद (वैशाली)रघुवंश प्रसाद सिंह ने केन्द्र सरकार से पूछा कि उसे अभी तक क्यो नहीं हटाया (कुलपति पद से) ? रघुवंश प्रसाद सिंह ने शनिवार 21 अगस्त 2010 को लोक सभा में यह सवाल उठाया था ,और सरकार से जबाब मांगा। जिस पर केन्द्रीय विधि मंत्री विरप्पा मोइली ने कहा कि इस मामले पर गंभीरता पूर्वक विचार करेंगे,और देखते हैं कि क्या कार्रवाई की जाय। रघुवंश प्रसाद सिंह ने जो कहा उसका लोकसभा द्वारा संपादित अंश निम्न है-
माननीय अध्यक्ष महोदया, माननीय सदस्यों ने सरकार की प्रशंसा की है कि बड़ा भारी विमैन इंपावरमैंट हो रहा है। महोदया, बुद्धकाल में जब भगवान बुद्ध वैशाली में आये थे, विमैन इंपावरमैंट वहीं वैशाली से शुरू हुआ। मैं वहां से आता हूं इसलिए अधिकारपूर्वक बताना चाहता हूं। जब कभी महिलाओं को इजाजत नहीं थी बौद्धिक संघ में जाने की, वहीं से शुरुआत हुई थी और वहीं से उनकी मां गौतमी, उनकी पत्नी और सभी का प्रवेश हुआ था बौद्ध धर्म के संघ में। लेकिन अब यह दावा इन्होंने किया है और विमैन इंपावरमैंट की बात कर रहे हैं, जिसकी माननीय सदस्य भूरि-भूरि प्रशंसा कर रहे हैं। अभी के समय में जितना महिलाओं फर अन्याय, अत्याचार और जुल्म हो रहा है, अबसे पहले कभी नहीं हुआ। मेरा पहला सवाल यह है कि महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय है, उसके वाइस चांसलर हैं वीएन राय। क्या लिखा है उन्होंने और महिला लेखकों के प्रति उनकी क्या टिप्पणी है? मैं लज्जित हूं उस शब्द का सदन में उच्चारण करने में कि उन्होंने क्या कहा। … ((व्यवधान)) … सारा देश लाज्जित है। देश भर के 150 लेखकों ने एक साथ कहा कि उसको हटाया जाए। अभी तक सरकार ने क्यों नहीं हटाया है? महिला लेखिका के प्रति किन शब्दों का उच्चारण किया है? एक वाइस चांसलर ने ऐसा किया और क्यों उस पर अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है? हम यह पहला सवाल उठाते हैं। ये कहते हैं कि महिला का सशक्तीकरण कर रहे हैं और कहते हैं कि सभी ऊंचे पदों पर महिलाओं को बैठाएं। सरकार इसका जवाब दे कि क्यों नहीं उसे हटाया गया, जिसने महिला लेखिका के प्रति इस तरह से कुशब्द कहे हैं, अमर्यादित टिप्पणी की है। देश भर में लेख छाप दिया महिला लेखिका के खिलाफ। देश भर के लेखक, साहित्यकार, कलाकार, रचनाकार सब लोग मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है।
Wednesday, August 18, 2010
खोजपरक कार्यक्रम “चोरगुरू” बनानेवाले पत्रकारद्वय में से एक संजय देव गये “अमर उजाला"
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
नकल करके पुस्तकें लिखने वाले कुलपतियो,प्रोफेसरों,रीडरों,लेक्चररों ; ऐसी पुस्तकों के प्रकाशकों,सप्लायरों व इनके संरक्षक कुलपतियों का असली चेहरा उजागर करने वाला खोजपरक टी.वी.कार्यक्रम “चोरगुरू” बनानेवाले पत्रकारद्वय कृष्णमोहन सिंह और संजय देव में से एक संजयदेव “अमर उजाला” समूह में चले गये। लेकिन “अमर उजाला”समूह में भी शिक्षा पत्रकारिता से ही जुड़े रहेंगे।
संजय देव को यशवंत व्यास के साथ मिलकर “अमर उजाला” समूह का एक नया शिक्षा संबंधी साप्ताहिक अखबार निकालने की जिम्मेदारी मिली है।
“अहा जिंदगी” की सफलपारी के बाद “अमर उजाला” समूह सलाहकार के तौर पर आये यशवंत व्यास की मुख्य जिम्मेदारी “अमर उजाला” के लिए नये-नये प्राडक्ट लांच करने की है। इस अखबार को रीलांच करके व्यास ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है।
Wednesday, August 4, 2010
Tuesday, August 3, 2010
छिनाल मामला : नौकरी बचाने के लिए विभूति ने माफी मांगी
-सत्ताचक्रsattachakra-
नईदिल्ली।महिला लेखिकाओं को छिनाल कहने के मामले में पहले तो पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय बेशर्मी से अपने कहे को जायज ठहराने की धृष्टता,दुष्टता व दुसाहस करते रहे।लेकिन महिला लेखिकाओं का विरोध जब भारी पड़ने लगा है और उसके चलते मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने म.गां.अं.हि.वि.वि. ,वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति को बुलाकर कहा कि माफी मांगो नहीं तो कार्रवाई होगी, तो कुलपति पद जाने के डर से इस तथाकथित सेकुलर जातिवादी जनवादी विभूति ने माफी मांग लिया। सूत्रो के मुताबिक उसको यह सुझाव अतिरिक्त सचिव सुनील कुमार कुरूप ने दिया। सुनील कुमार ने संदेश दिलवा दिया कि विभूति जी आप माफी मांग लीजिए ,वरना आपका कुलपति पद जा सकता है। सो कुलपति पद से हटाये जाने के डर से पुलिस कुलपति विभूति ने मांफी मांग ली। सूत्रो के मुताबिक अब इस माफी मामले को तोपने –ढ़पने के लिए विभूति मंडली यह प्रचारित करने में जुट गई है कि विभूति ने म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के शांति-अहिंसा विभाग में लेक्चरर राकेश मिश्रा से बेवफाई विषय पर नया ज्ञानोदय पत्रिका के लिए साक्षात्कार में महिला लेखिकाओं के लिए छिनाल शब्द कहा ही नहीं था। राकेश मिश्रा ने अपनी तरफ से जोड़ दिया। यह भी कहलवाया जा रहा है कि राकेश मिश्रा ने तो साक्षात्कार को आडियो रिकार्डर में रिकार्ड भी नहीं किया था। तो इसमें तो सारा दोष राकेश मिश्रा और ज्ञानोदय के सम्पादक रवीन्द्र कालिया का है।विभूति नारायण राय तो बेकसूर हैं। सो जो कहा ही नहीं उसके लिए यदि मांफी मांग भी लिये तो यह तो उनका बड़प्पन है। विभूति मंडली यह प्रचारित कर रही है। लेकिन इसकी काट और असलीयत उजागर करने के लिए महिला लेखिकाओं ने राकेश मिश्रा के उस डायरी को मंगवाने और उसकी फोरेंसिक जांच कराने की मांग की है जिस पर राकेश ने विभूति राय का साक्षात्कार नोट किया था। यदि राकेश मिश्रा यह कहता है कि उसने साक्षात्कार नोट नहीं किया है तो उसको सस्पेंड करके उसके खिलाफ कदाचार के मामले की जांच कराकर हटाने की मांग होगी।इसके साथ ही विभूति और सजातीय खुफिया पुलिस अफसर भरत भारद्वाज को वि.वि. में लाकर पत्रिका पुस्तक वार्ता का सम्पादक बनाये के उस कहे का टेप मंगाने की बात हुई है जो दोनों ने स्टार चैनेल पर छिनाल ( विभूति राय के कहे) की तरफदारी में लगातार बिना रूके कुतर्क पर कुतर्क दिये थे।
छिनाल मामले में विभूति राय को बचाने की भूमिका तैयार
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। महिला लेखिकाओं को छिनाल (वेश्या) कहने वाले , महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण को बचाने की भूमिका तैयार हो गई है। मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की सहमति से अतिरिक्त सचिव सुनील कुमार ने यह भूमिका तैयार की है । मलयाली सुनील कुमार के जिम्मे ही उच्च शिक्षा की जिम्मेदारी है।
महिला लेखिकाओं को छिनाल (वेश्या) कहने वाले विभूति नारायण राय को कुलपति पद से बर्खास्त करने के लिए आज ( 03-08-10) सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर वामपंथी सांसद बृंदा कारात,जनवादी लेखक संघ की रेखा अवस्थी आदि लगभग 10 महिलाओं का एक प्रतिनिधि मंडल मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से मिला। उनसे कहा कि कदाचार,भ्रष्टाचार,लंपटता,नीच प्रवृति के आरोपी विभूति नारायण राय को म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के कुलपति पद से बर्खास्त कीजिए। जिस पर कपिल सिब्बल ने जो कहा उसका लब्बोलुआब –
1- मेरे हाथ बंधे हुए हैं,कुलपति को बर्खास्त नहीं किया जा सकता।
2- मैंने कुलपति को बुलाया था। कहा कि महिला लेखिकाओं के बारे में जो कहा है उस पर माफी मांगिये वरना कार्रवाई होगी।
इस पर प्रतिनिधिमंडल की महिलाओं ने कहा कि उसके खिलाफ भ्रष्टाचार,अपने सजातियों व नकलकरके किताबें लिखने वालों को नियुक्त करने,बचाने आदि मामले हैं ,उस पर भी कार्रवाई कीजिए। तब कपिल सिब्बल ने कहा- मेरे पास अभी तक इस बारे में कोई शिकायत नहीं आई है। आप लोग उसके लिए अलग से लिखकर कुछ प्रमाण सहित मुझको दे दीजिए।
सिब्बल से मिलकर बाहर निकलते ही( 11 बजकर 55 मिनट पर) बृंदा कारात संसद चली गईं । बाकी महिलाओं ने आपस में राय बात की। और तय हुआ कि यदि मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने विभूति नारायण राय के खिलाफ इस मामले से लगायत अन्य मामलों की जांच कराकर बर्खास्त नहीं किया तो महिलाओं का इससे भी बड़ा प्रतिनिधि मंडल म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के विजिटर / राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल से मिलेगा ,इसको बर्खास्त करने का प्रतिवेदन देगा। यदि इसके बाद भी उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई , केवल माफी मंगवाने का खानापूर्ति करवाकर छोड़ दिया गया तो महिला लेखिकाएं व संगठन महाराष्ट्र,दिल्ली,उ.प्र.आदि राज्यों में धरना –प्रदर्शन करेंगे। क्योंकि सिब्बल ने जो कहा है उससे लग रहा है कि मामले की लीपापोती करके विभूति नारायण राय को बचाने की भूमिका तैयार कर ली गई है।वरना यही प्रख्यात वकील से मंत्री बने सिब्बल यह अच्छी तरह जानते हैं कि विभूति नारायण राय के तमाम धतकर्मों व कहे की जांच एक जांच कमेटी से कराकर उसके रिकमेंडेशन के आधार पर उसको (विभूति राय)कुलपति पद से हटाया जा सकता है। यह करने के लिए कुलपति विभूति को ससपेंड करके या उनका पावर अभी से सीज करके किसी और को चार्ज दे दिया जाय और उनके खिलाफ जांच कमेटी बनाया जा सकता है, जिससे एक-माह में रिपोर्ट मांग कर उसके आधार पर कार्रवाई हो सकती है। आईआईटी मुंबई के एक निदेशक मिश्रा और एआईसीटीई के चेयरमैन यादव को किस तरह हटाया गया। उदाहरण तो तमाम हैं।
कहा जा रहा है कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष छवि बनाकर जुगाड़ व सम्पर्क से अपना काम निकालने ,पद पाने में माहिर विभूति नारायण राय ने एक मलयाली अरविन्दाक्षन को अपने वि.वि. में प्रोवीसी इसीलिए बनाया है ताकि अरविन्दाक्षन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव व उच्च शिक्षा के प्रभारी मलयाली सुनील कुमार कुरूप को पटाकर विभूति राय को तमाम धतकर्म मामलों में बचाता रहे।
यह भी चर्चा है कि विभूति ने राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के पति देवी सिंह पाटिल व पुत्र के यहां भी जुगाड़ लगा लिया है। उनके मार्फत गोटी सेट कर रहा है । वर्धा में तो यह भी चर्चा है कि देवीसिंह के तथाकथितखास कैलाश खामरे को विभूति ने रजिस्ट्रार बनाया है।
इसने उ.प्र. के वाराणसी और आजमगढ़ व अन्य जगहों पर वि.वि. का सेंटर खोलने के लिए विज्ञापन निकलवाया था जिसके लिए पहले से ही सेटिंग कर लेने की बात चर्चा में है। इन सेंटरों पर नियुक्ति के लिए अभी से बहुत से लोगों के सामने चारा फेंके जाने का आरोप लगने लगा है। हिन्दी में एम.ए. किये और अंग्रेजी नहीं जानने के बाद भी इंटरनेट से मैटर कट-पेस्ट करके अपने नाम से सेटेलाइट से लगायत कम्यूनिकेशन मैनेजमेंट आदि तक कि लगभग एक दर्जन पुस्तकें छपवालेने वाले ,उसका लेखक बन जाने वाले ,शोध-पत्र लिखने वाले चोरगुरू अनिल कुमार राय उर्फ अनिल के. राय अंकित को इसी विभूति राय ने म.गां.अं.हि.वि.वि.वर्धा में पत्रकारिता का प्रोफेसर – हेड बना दिया, वामपंथी लेखिका महाश्वेता देवी के कहने पर कृपा शंकर चौबे को रीडर बना दिया । इससबकी सेटिंग पहले से ही हो गई थी। स्क्रीनिंग,साक्षात्कार का केवल कागजी खानापूर्ति की गई ।
विभूति राय ने इसी तरह खुफिया पुलिस में रहे अपनी जाति के भरत भारद्वाज को ले आकर विश्वविद्यालय की पुस्तिका “पुस्तक वार्ता” का सम्पादक बना दिया है। जो महिलाओं को छिनाल कहने के मामले में स्टार न्यूज पर बहस में विभूति नारायण राय का जी-जान से उसी की तरह कुतर्की बचाव कर रहे थे। महिलाओं को छिनाल छापने वाली नया ज्ञानोदय पत्रिका के सम्पादक रवीन्द्र कालिया की सगी पत्नी ममता कालिया को वि.वि. की एक पत्रिका का सम्पादक इसी विभूति राय ने बना दिया है।
इधर दिल्ली में चर्चा है कि विभूति नारायण राय ने सीपीआई के ए.वी.वर्धन व इसी तरह के अन्य कामरेडो के अलावा अपने सजातीय कुछ नेताओं से केन्द्र सरकार में जगह – जगह जुगाड़ लगवाकर बचाव का उपक्रम कर रहे हैं। कहा जाता है कि ए.वी.वर्धन ही हैं जिन्होंने प्रतिभापाटिल को फोन करके कहा था कि आप विभूति नारायण का नाम म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा के लिए ओ.के. कर दीजिए, वह बहुत बड़ा सेकुलरिस्ट है उसके वहां जाने से बहुत बड़ा काम होगा। इस सबके चलते इस वि.वि. के लम्बे समय से चांसलर नामवर सिंह की भी चुप्पी का निहितार्थ समझा जा सकता है। वह चुप्पी साधकर व आंखमूद कर धतकर्मों का नजरंदाज करते हुए विभूति नारायण राय का बचाव कर रहे हैं।वैसे इसकी वजहें और भी बहुत हैं।
Monday, August 2, 2010
स्त्री पुरूष के लिए एक ट्राफी की तरह है... जितनी अधिक स्त्रियां उतनी अधिक ट्राफियां- विभूति राय
लेखिकाओं में होड़ लगी है यह साबित करने के लिए कि उनसे बड़ी छिनाल कोई नहीं है-विभूति नारायण राय
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।लेखिकाओं में होड़ लगी है यह साबित करने के लिए कि उनसे बड़ी छिनाल कोई नहीं है । मुझे लगता है कि इधर प्रकाशित एक बहु प्रमोटेड और ओवर रेटेड लेखिका की आत्मकथात्मक पुस्तक का शीर्षक कितने बिस्तरों पर कितनी बार हो सकता था। इस तरह के उदाहरण बहुत - सी लेखिकाओं में मिल जायेंगे।... (हिन्दी पत्रिका - नया ज्ञानोदय,पेज -32 ,अंक- अगस्त 2010)
यह कहा है महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय ,वर्धा के कुलपति विभूति नाराय़ण राय ने । जो हिन्दी पत्रिका नया ज्ञानोदय के बेवफाई सुपर विशेषांक-2 के पेज 31,32,33 में यानी तीन पेज में छपे इनके ( विभूति नारायण राय)साक्षात्कार के पेज 32 पर है।यह साक्षात्कार किसी राकेश मिश्र ने लिया है।
भार्गव बुक डिपो,चौक वाराणसी से प्रकाशित –“आदर्श हिन्दी शब्द कोश ” के 1992 संस्करण के पेज 188 पर छिनार ,छिनाल का अर्थ क्या दिया है देखें-
छिनार ,छिनाल (हि.स्त्री.) –व्यभिचारिणी , कुलटा
ALLIED PUBLISHERS LIMITED, NEW DELHI से 1996 में प्रकाशित “HINDI ENGLISH DICTIONARY” के पेज 258 पर छिनाल का अंग्रेजी अर्थ दिया है-
छिनाल CHINAL (F.) - PROSTITUTE
“ स्त्री पुरूष के लिए एक ट्राफी की तरह है... जितनी अधिक स्त्रियां उतनी अधिक ट्राफियां...” हिन्दी पत्रिका - नया ज्ञानोदय,पेज -33 ,अंक- अगस्त 2010
महिला लेखिकाओं द्वारा बड़े पैमाने पर अपनी यौन स्वतंत्रता को स्वीकारना इसी डिस्कोर्स का भाग बनने की इच्छा है। आप ध्यान से देखें सभी लेखिकाएं उस उच्च मध्यमवर्ग या उच्च वर्ग से आती हैं जहां उनकी पुरूषों पर आर्थिक निर्भरता अपेक्षाकृत कम है।... हिन्दी पत्रिका - नया ज्ञानोदय,पेज -33 ,अंक- अगस्त 2010
... साधारण व्यक्ति पकड़े जाने पर जहां हकलाते गले और फक पड़े चेहरे से अपनी कमजोर सफाई पेश करने की कोशिश करता है वहीं कलाकार बड़ी दुष्टता के साथ छल सकने के समर्थ तर्क गढ़ लेता है।...
हिन्दी पत्रिका - नया ज्ञानोदय,पेज -33 ,अंक- अगस्त 2010
इस पत्रिका – नया ज्ञानोदय के सम्पादक हैं रवीन्द्र कालिया । जिनकी पत्नी हैं लेखिका ममता कालिया। जिनको कुलपति विभूति नारायण राय ने म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा की पत्रिका हिन्दी का मोटे मानदेय पर प्रभारी बना दिया है। विभूति नारायण राय भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति का सदस्य हैं।कौन बनवाया है यह ममता और उनके पति बतायेंगे।
इस पत्रिका नया ज्ञानोदय के प्रबंध सम्पादक व प्रबंध न्यासी भारतीय ज्ञानपीठ हैं- साहू अखिलेश जैन
पुलिस अफसर से कुलपति बने विभूति नारायण राय की पत्नी हैं पद्मा राय । जो लेखिका हैं।
विभूति नारायण राय के भाई हैं आईपीएस विकास नारायण राय, जो विभूति की तरह के ही तथाकथित साहित्यकार हैं। जो हरियाणा पुलिस अकादमी में थे ( जो एडीजी होकर केन्द्रीय फोर्स में चला गया )। वहां इनपर ट्रेनी महिलाओं ने क्या तथाकथित आरोप लगाया इसका प्रमाण हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला दे सकते हैं,जिन्होने अपने विधायकों सहित जाकर राज्यपाल को ट्रेनीमहिला के पत्र सहित मेमोरेंडम दिया और मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकरदोषी पुलिस अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।
ये विकास नारायण राय हरियाणा के पानीपत से साहित्य उपक्रम नाम से एक प्रकाशन संस्था चलाते हैं, जिसका काम इनकी पत्नी या वे खुद या कोई और देखता है ये तो विकास नारायण राय ही बतायेंगे।
.. साधारण व्यक्ति पकड़े जाने पर जहां हकलाते गले और फक पड़े चेहरे से अपनी कमजोर सफाई पेश करने की कोशिश करता है वहीं कलाकार बड़ी दुष्टता के साथ छल सकने के समर्थ तर्क गढ़ लेता है।.. विभूति का कहा यह वाक्य क्या उनपर ही सटीक बैठ रहा है ?
Friday, July 23, 2010
राज्यपाल जोशी, 60 कुलपतियों की बैठक व चोरगुरूवे
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
लगभग 60 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की 23 जुलाई 2010 से दो दिवसीय बैठक वाराणसी के महात्मा गांधी काशीविद्यापीठ में हो रही है। जिसका घोषित एजेंडा है- हायर एजुकेशन न्यू चैलेन्जेज एंड इमर्जिंग रोल ।दो दिनी बैठक में विमर्श के दो मुद्दे हैं - (1) हायर एजुकेशन बिल (2) फारेन यूनिवर्सिटी ड्राफ्ट । अघोषित एजेंडा है – जिन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों का कार्यकाल 3 साल है उसे बढ़ाकर 5 साल किया जाय । यानी मलाई काटने के लिए और 2 साल का समय। इस एजेंडा या विमर्श के मुद्दे में नकल करके पुस्तकें लिखने वाले लेक्चररों,रीडरों,प्रोफेसरों, इनकी नकल करके लिखी पुस्तकों को छापने और महाविद्यालयों ,विश्वविद्यालयों के पुस्तकालयों में सप्लाई करने वाले प्रकाशकों-सप्लायरों, इनको बचाने वाले कुलपतियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने ,नौकरी से निकालने,ब्लैक लिस्टेड करने के बारे में कोई जिक्र नहीं है। जबकि नकल करके पुस्तकें अपने नाम छपवाने,उसके बदौलत रीडर प्रोफेसर बनने ,उन पुस्तकों को प्रकाशकों-सप्लायरों की मिलिभगत से शिक्षण संस्थानों के पुस्तकालयों में खरीदवाने और उनका बिल झटपट पास कराने का विश्वविद्यालयों में एक बड़ा रैकेट बन गया है। अध्यापकों द्वारा ऐसे नकल करके लिखी गई हजारो करोड़ रूपये की पुस्तकें हर साल विश्वविद्यालयों ,महाविद्यालयों की पुस्तकालयों में खरीदी जाती हैं।ऐसी पुस्तकों पर प्रकाशक -सप्लायर 60 प्रतिशत तक की छूट देता है। जबकि वि.वि.,महाविद्यालयों में 10 से 20 प्रतिशत की छूट दिखा खरीद होती है। इस तरह एक करोड़ ऱूपये की पुस्तकों की खरीद पर लगभग 40 लाख रूपये से अधिक रकम पुस्तक खरीद का रिकमेंडेशन करने वाले अध्यापकों, कुलपति,लेखाअधिकारी,पुस्तकालयअध्यक्ष,रजिस्ट्रार आदि के बीच चढ़ावे के रूप चढ़ जाती है। इसमें हर साल लगभग 500 करोड़ रूपये का घोटाला हो रहा है।इसी तरह नकल करके पी-एच.डी.,डि.लिट.करने वाले, रिसर्च पेपर लिखने वालों का भी मामला है । लेकिन कोई भी कुलपति इस बारे में प्रमाण सहित कम्प्लेन करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।मामला दबाने के लिए हर संभव उपक्रम कर रहा है।जिस महात्मागांधी काशी विद्यापीठ ,वाराणसी में 60 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक हो रही है उसी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डीन राममोहन पाठक ने नकल करके पी-एच.डी. किया उसे पुस्तक के रूप में छपवाया है, रीडर –हेड अनिल उपाध्याय ने नकल करके पुस्तक लिखा है, इन पुस्तकों के बदौलत दोनो ने प्रोमोशन पाया है, इन दोनो अध्यापकों के नकल करके किताब लिखने के कारनामों के बारे में सीएनईबी न्यूज चैनल में प्रमाण सहित कई एपीसोड में दिखाया गया, उनकी सी.डी. व दस्तावेज सहित लिखित में इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए कम्प्लेन विश्वविद्यालय के कुलपति अवध राम (AVADH RAM) और कुलाधिपति राज्यपाल बी.एल.जोशी (B.L.JOSHI) को दिया गया । कई माह बीत गया अब तक कोई कार्रवाई तो हुई नहीं, इस बीच राममोहन पाठक को इसी अवध राम ने डीन भी बना दिया।
वाराणसी से सटे ही जौनपुर है। वहां का बीरबहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय तो नकलकरके पुस्तकें ,शोध-पत्र लिखने वालों का सिरमौर है। वहां का कुलपति रहे पी.सी.पातंजलि( P.C. PATANJALI),वर्तमान डीन रामजी लाल( RAMJI LAL), रीडर एस.के.सिन्हा( S.K.SINHA),लेक्चरर अनिल कुमार राय अंकित(ANIL KUMAR RAI ANKIT यहां अवैतनिक अवकाश पर है, वर्धा के म.अं.हि.वि.वि.में अपने सजातीय पुलिस से कुलपति बने विभूतिनारायण राय (VIBHUTI NARAYAN RAI) की कृपा से प्रोफेसर –हेड बन गया है)ने नकल करके किताबें लिखी है,इनके बारे में भी कई एपीसोड में सीएनईबी न्यूज चैनल ने दिखाया और सप्रमाण कम्प्लेन इसी राज्यपाल महोदय के अलावा पूर्वांचल वि.वि. के कुलपति सारस्वत को किया है। कुलपति सारस्वत ने दिखाने के लिए जौनपुर वासी विनय कुमार सिंह की एक सदस्यी जांच कमेटी बना दिया है, जिसको उन्होने वह दस्तावेज अबी तक प्रमाण दिया ही नहीं है जिसे सीएनईबी टीम ने आन कैमरा इसी कुलपति सारस्वत और कुल सचिव को दिया था। सीएनईबी ने विनय कुमार सिंह के हाथ में उन एपीसोड की सीडी देकर रिसीविंग का हस्ताक्षर करा लिया है, जिसमें चोरगुरू रामजी लाल,एस.के.सिन्हा और अनिल के. राय दिखाये गये थे। विनय कुमार सिंह से सीएनईबी रिपोर्टर ने पूछा था कि आपने रामजी लाल,एस.के.सिन्हा और अनिल राय अंकित को नोटिस दिया है या नहीं ,उनके उनकी नकल करके लिखी पुस्तकें मांगी है या नहीं तो विनय सिंह बताया कि अनिल राय तो अब यहां है नहीं और बाकी लोगों को भी नोटिस नहीं दिया गया है। जबकि कुलपति सारस्वत ने चोरगुरू कार्यक्रम बनाने वाली सीएनईबी टीम के सवाल पर आन रिकार्ड कहा है कि अनिल कुमार राय ने पूर्वांचल वि.वि. में नौकरी करते हुए ये पुस्तकें लिखा है ,सो उसके इन पुस्तकों की नकल की जांच यहां से भी कराई जायेगी, जिस समय सारस्वत ने यह बात कही थी उसके पहले उनके साथ बैठे कुल सचिव (रजिस्ट्रार) आर्या ने कहा था कि अनिल राय तो यहां से चला गया है । जब रजिस्ट्रार से यह पूछा गया कि आप कह रहे हैं चला गया है लेकिन आपके वि.वि. के साइट पर पत्रकारिता विभाग वाले सेगमेंट में तो अनिल कुमार राय ,लेक्चरर ,अवैतनिक अवकाश दिया है, इस पर रजिस्ट्रार आर्या का जबाब था- उसने अवकाश के लिए आवेदन नहीं दिया है इसलिए एक साल पूरा होने पर आटोमेटिकली वह अब यहां का इम्प्लाई नहीं रहा,उसकी छुट्टी नहीं रही। यह है उस आर्या का तर्क जो उ.प्. के ही एक अन्य वि.वि. में रजिस्ट्रार रहते भ्रष्टाचार के आरोप में कई माह जेल में रह चुके हैं।कहा जाता है कि इनकी चोरगुरू अनिल कुमार राय से बहुत ही घनिष्ठता है और उसको व पूर्वांचल वि.वि. के अन्य चोरगुरूओं का बचाव करने में इसका भी बहुत बड़ा हाथ है। ये जो सज्जन विनय कुमार सिंह जांच कमेटी के चेयर मैन बनाये गये हैं वह चोरगुरू रामजी लाल के सेमिनार में गेस्ट थे।उन्होने रामजी लाल, एस.के.सिन्हा,अनिल के.राय अंकित और इनकी नकलचेपी पुस्तकों को छापने व इसी विश्वविद्यालय में सप्लाई करने वाले सप्लायर प्रदीप जैन को अब तक कोई नोटिस नहीं दिया है।नहीं इनसे इनकी नकल करके लिखी व छापी गई पुस्तकें ही मांगी है। कुछ दिन पहले इसी कुलपति सारस्वत ने प्रदीप माथुर (PRADIP MATHUR) को अपना एकेडमिक एडवाइजर बनाकर मोटी सेलरी पर वि.वि. में रख लिया है। यह प्रदीप माथुर वही हैं जिनकी चोरुगुरू पातंजलि ,रामजी लाल,अनिल कुमार राय अंकित से खूब घनिष्ठता है।यह अनिल राय के अंडर में पी-एच.डी.कर रहे एक छात्र का वाइवा लेने भी फरवरी 10 में इसी वि.वि. में आये थे। अनिल कुमार राय अंकित ने नकल करके लिखी एक दर्जन पुस्तकों में से एक पुस्तक “कम्युनिकेशन मैनेजमेंट लिसनिंग वर्सेस हियरिंग” इसी प्रदीप माथुर को समर्पित किया है। बताया जाता है कि इस प्रदीप माथुर को रजिस्ट्रार आर्या ने कुलपति का एकेडमिक एडवाइजर बनवाने में मुख्य भूमिका निभाई है।कहा जाता है कि इसके पीछे चोरगुरू अनिल राय और रामजी लाल का भी हाथ है । रामजी लाल , एस.के. सिन्हा और प्रदीप माथुर की जाति एक ही है। पूर्वांचल वि.वि. में चर्चा है कि प्रदीप माथुर को चोरगुरूओं –रामजी लाल,एस.के.सिन्हा,अनिल के. राय अंकित का मामला रफा-दफा कराने ,दबवाने के लिए लाया गया है। लेकिन पूर्वांचल वि.वि. में जितने भी अध्यापकों की किताबें दरियागंज ,दिल्ली के प्रकाशक,सप्लायर प्रदीप जैन ने छापा है उसमें से ज्यादेतर के बारे में नकल करके लिखी होने की प्रबल संभावना है, जिसका प्रमाण जल्दी ही सबके सामने आ जायेगा। ऐसे में चोरगुरूओं को अघोषित रूप से बचाने के लिए लाये गये प्रदीप माथुर क्या कर पायेंगे यह आगे पता चलेगा, वैसे भी जब प्रदीप माथुर को 9 माह पहले पता चल गया कि अनिल राय अंकित ने उनको जो पुस्तक समर्पित किया है वह नकल करके लिखा है,यह जानने के बाद भी यदि वह अघोषित रूप से उसका बचाव कर रहे हैं तो यह उनका जमीर है, जो बाहर कुछ और व अन्दर कुछ और के तथाकथित दोहरे चरित्र का द्योतक हो सकता है। इस सबसे साफ जाहिर होता है कि कुलपति सारस्वत किस तरह चोरगुरूओं व उनके संरक्षकों को संरक्षण दे रहे हैं।अलग-अलग कम्पनी बनाकर इन चोरगुरूओं की पुस्तकें छापने व सप्लाई करने वाले प्रदीप जैन ने बीते 5 साल में होल-सोल सप्लायर के तौर पर पूर्वांचल वि.वि. में जो पुस्तकें सप्लाई किया है उसमें लगभग 5 करोड़ रूपये से अधिक का घोटाला का आरोप है। इसमें कुलपति,डीन,अध्यापकों,रजिस्ट्रार,लेखाअधिकारी,पुस्तकालयाध्यक्ष सबपर लेन-देन का आरोप है।इस लिए भी कुलपति सारस्वत अब तक जांच को टालते रहे हैं और इस बाबत किसी भी आरटीआई का जबाब नहीं दिया हैं।इस दौरान चोरगुरू एस.के.सिन्हा को लेक्चरर से रीडर भी बना दिये। अनिल कुमार राय अंकित ने नकल करके लिखी अपनी एक पुस्तक-संचार के सात सोपान का सिनेमा वाला पूरा का पूरा चैप्टर ही अवधेश प्रताप सिंह वि.वि. रीवा के पत्रकारिता के स्टडी मैटेरियल से हुबूह उतारकर छाप लिया है(बिना कोई रिफरेंस दिये, सभी चोर गुरूओं ने यही किया है, यदि नकल करके लिखी अपनी किसी किताब में रिफरेंस भी दिया है तो गलत दिया है,जिन कितबों से मैटर चुराया है उनका नाम ही नहीं दिया है)।इस बारे में प्रमाण सहित कम्प्लेन रीवा वि.वि. के कुलपति यादव को किया गया।उन्होने अनिल अंकित को नोटिस दिलवाकर चुप्पी साध ली, 9 माह बीत जाने पर भी अब तक केस दायर नहीं किया है।अनिल राय ने जौनपुर में पढ़ाते हुए रीवा से पत्रकारिता किया और वहां के स्टडी मैटेरियल को हूबहू अपने नाम से किताब में छाप लिया।
जौनपुर के अलावा बुंदेलखंड वि.वि. के पूर्व कुलपति रमेश चन्द्रा, उनकी रिश्तेदार लेक्चरर सविता कुमारी (अब जामिया,दिल्ली में रीडर हैं), पूर्व डीन डीएस श्रीवास्तव ( जो अब अतर्रा कालेज,उ.प्र. में हैं ) के नकल करके किताबें लिखने के कारनामें प्रमाण सहित राज्यपाल बी.एल. जोशी को दिया गया है।जिस सीएनईबी न्यूज चैनेल ने इन चोरगुरूओं के बारे में दिखाया उसने तो प्रमाण सहित कम्प्लेन किया ही है, कई सांसदों ने भी राष्ट्रपति,राज्यपाल,प्रधानमंत्री ,शिक्षामंत्री को पत्र लिख ऐसे चोरगुरूओं को नौकरी से निकालने,इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए लिखा है ।ऐसे नकलचेपी कुलपतियों,प्रफेसरों,रीडरों,लेक्चररों,इनको बचारहे कुलपतियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के बारे में विद्यापीठ में जुटे 60 कुलपति क्यों नहीं विमर्श व निर्णय कर रहे हैं ? जितने भी कुलपतियों से नकल करके पस्तकें लिखने,इन पुस्तकों को शैक्षणिक संस्थानों के पुस्तकालयों में सप्लाई कराने के लगभग 500 करोड़ रूपये के इस भ्रष्टाचार,शैक्षणिक कदाचार के बारे में प्रमाण दिखाकर बात किया गया तो सबने कहा कि यह तो बहुत ही गलत है,ऐसे अध्यापको को शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में रहने का कोई अधिकार ही नहीं है,उनको तो बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए,लेकिन जब सबूत देकर यह करने के लिए कहा जाता है तो यही कुलपति ,कुलाधिपति कन्नी काटने लगते हैं । क्यों नहीं ये कुलपति निम्न नियम बनवाते हैं-
1- शोध छात्रो को पी-एच.डी. एवार्ड करने के पहले उनके शोध- प्रबंध की जांच कराई जायेगी ।कहिं से मैटर चुराकर शोध-प्रबंध लिखा होने पर उसे रद्द कर छात्र को 10 साल तक के लिए पी-एच.डी. करने पर रोक लगा दिया जाय।
2- हर शोध –छात्र से पी-एच.डी. का शोध-प्रबंध जमा करते समय शपथ पत्र भरवा लिया जाय । यह कि उसके शोध-प्रबंध में कहीं से मैटर चुरा कर नहीं लिखा गया है। यदि यह पाया गया तो उसका पी-एच.डी.रद्दकर दिया जाये,यदि वह कहीं शिक्षण कार्य करता है तो उसे शैक्षणिक कार्य से निकाल बाहर किया जाये।
3- जिन अध्यापकों के अधिन शोध करने वाले छात्र का शोध-प्रबंध का मैटर चोरी का पाया जाय उस अध्यापक को डिमोट कर दिया जाय, उसके तीन शोध छात्रों का ऐसा मामला आने पर उस अध्यापक को नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाय।
4- छात्र , लेक्चरर,रीडर,प्रोफेसर शोत्र-पत्र लिखकर किसी सेमिनार में पढ़ते हैं ,किसी जर्नल में छपवाते हैं। इन सबसे भी एक शपथ –पत्र भरवाना चाहिए कि उसने जो यह शोध-पत्र लिखा है उसमें यदि कोई मैटर चोरी का पाया गया तो उसको नौकरी से निकाल दिया जाये। ऐसे शोध –पत्रों को भी पहले विभाग की एक कमेटी बनवाकर जांच करा लिया जाय कि इसमें मैटर चोरी का तो नहीं है।
5- लेक्चरर,रीडर,प्रोफेसर पद के लिए साक्षात्कार के समय साक्षात्कार देने वाले के आवेदन सहित बायोडाटा में दिये हर किताब ,शोध-पत्र का जांच कराया जाय कि मैटर चोरी करके लिखा गया है या नहीं। यदि उस साक्षात्कार देने वाले ने मैटर चोरी करके शोध-पत्र या किताब लिखा है तो उसको वहीं पुलिस के हवाले कर दिया जाय।उसका नाम वि.वि. के वेवसाइट पर प्रमाण सहित दे दिया जाय ताकि सब उसके बारे में जान जायें व सावधान हो जायें।
6- हर विश्वविद्यालय में पुस्तकालयों के लिए खरीदी जाने वाली पुस्तकों की जांच के लिए कि क्या यह किताब कहीं से मैटर चुराकर लिखी गई है, एक टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी बना दिया जाय। उसके जांचने के बाद पुस्तकें खरीदी जाय।
7- जो अध्यापक किसी नकल करके लिखी कई किताब की खरीद की अनुशंसा करता है उस अध्यापक को डिमोट कर दिया जाय।
8- जो प्रकाशक –सप्लायर मैटर चोरी कर बनाई गई पुस्तकों को छापता-सप्लाई करता है उसका पेमेंट रोक दिया जाय,उसको ब्लैकलिस्टेड कर दिया जाय,उसके खिलाफ केस किया जाय।
9- जो कुलपति,कुलसचिव,डीन,विभागाध्यक्ष,पुस्तकालयाध्यक्ष किसी सप्लायर से अंदर-अंदर सांठ-गांठ करके नकल करके लिखी गई पुस्तकों की खरीद विश्वविद्यालय के लिए करवाता है उनके इस शैक्षणिक कदाचार व भ्रष्टाचार का एक मांह में जांच कराकर उनको बर्खास्त कर दिया जाय।
10- हर विश्वविद्यालय में शोध-पत्र व पुस्तक जांच सेल बनाया जाय। जो विश्वविद्यालय के सभी अध्यापकों के पी-एच.डी.,पुस्तकों की जांच करे । यदि पाया जाय कि गरूजी ने मैटर चोरी करके शोध-प्रबंध या पुस्तकें लिखी है तो उनको पुलिस के हवाले करके शैक्षणिक कदाचार के मामले में बर्खास्त कर दिया जाय।
Tuesday, July 20, 2010
क्या वीएन राय ने अतिरिक्त सचिव सुनील कुमार को पटाने के लिए अरविन्दाक्षन को प्रोवीसी बनाया ?
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
पुलिस अफसर विभूति नारायण राय (VIBHUTI NARAYAN RAI) यूपीए-1 सरकार में वामपंथियों से जोड़-जुगाड़ लगवाकर महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी वि.वि.,वर्धा का कुलपति बने तो लखनऊ से नदीम हसनैन को हसीन सपने दिखा लाकर प्रोवीसी बनाये।तब तक नदीम हसनैन ने विभूति राय के योजनाबद्ध तरीके से बनाये प्रायोजित तथाकथित जनवादी छवि को ही ऊपरी तौर पर देखा – जाना था। उनके असली पुलिसिया चरित्र वर्धा आकर साथ कार्य करके देखा जाना ।जिसमें यह देखा कि किस तरह से विभूति राय ने अपने सजातीय चोरगुरू अनिल कुमार राय को प्रोफेसर पद पर नियुक्त कराया, हेड बनाया और उसके तमाम धतकर्मो को उसी तरह तोपने ठपने और उसको बचाने में लगे हैं जिस तरह कोई महाभ्रष्ट पुलिसवाला अपने चहेते चोर-डकैत को बचाता है।और भी तथाकथित धतकर्म उसी अंदाज में अंजाम दे रहा है। विश्वविद्यालय को थाना बना दिया है और सारा समय जुगाड़ लगाने , अपना लाइजनिंग तंत्र बढ़ाने में कर रहा है। विभूति नारायण राय के इस असली चरित्र व तथाकथित धतकर्मो को जान लेने के बाद नदीम हसनैन ने उनसे अलग होना ही उपयुक्त माना । क्योंकि उनके इशारे पर किये जा रहे कार्यों के तमाम दस्तावेज पर हसनैन हस्ताक्षर करके जांच के चक्कर में फंसना नहीं चाहते थे।सो वह वापस लखनऊ चले गये। पुलिसिया कुलपति विभूति ने हसनैन के जाने से खाली हुए पद पर मलयाली अरविन्दाक्षन को प्रोवीसी बना दिया। कहा जाता है कि जुगाड़ से कुलपति पद पाये विभूति राय ने केन्द्रीय मानव विकास संसाधन मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सुनील कुमार को पटाने के लिए अरविन्दाक्षन को प्रोवीसी बनाया है। सुनील कुमार मलयाली हैं और मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उनके जिम्मे उच्चशिक्षा का प्रभार है। उनके ही निर्देश पर कई धांधली, कदाचार के मामले में महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी वि.वि.,वर्धा को नोटिस गई है और जबाब मांगा गया है। सो शातिर चालाक पुलिसिया कुलपति विभूतिनारायण राय ने मलयाली अरविन्दाक्षन को प्रोवीसी इसलिए बनाया है ताकि यह मलयाली सुनील कुमार से आरजू करके या अन्य किसी भी तरह से मामले दबवा दे, रफा-दफा करा दे, आगे की लाइन क्लीयर बनाये रखे। यह है विभूति राय का असली तथाकथित महाजुगाड़ी नैतिकता- चाल –चरित्र और चेहरा।
Monday, July 19, 2010
विभूति नारायण राय के धतकर्मों से आजिज प्रोवीसी नदीम हसनैन ने पद छोड़ा
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के तथाकथित सेकुलर जातिवादी महाजुगाड़ी कामरेडी पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय ( VIBHUTI NARAYAN RAI) के चर्चित कर्मों से आजिज आकर प्रोवीसी नदीम हसनैन विश्वविद्यालय छोड़कर वापस लखनऊ चले गये।कहा जाता है कि हसनैन को विभूति राय का तथाकथित असली अनैतिक चेहरा वर्धा में आने के बाद देखने को मिला। सो पटी नहीं। क्योंकि विभूति राय के हर धतकर्म पर हसनैन अपनी मुहर लगाने के लिए राजी नहीं हो रहे थे।जबकि वि.वि.को थाना बनाकर चलारहे पुलिसिया कुलपति विभूति राय को ऐसा अर्दलीनुमा प्रोवीसी चाहिए जो उनके हर उल्टे-सीधा कर्म को आंखमुद कर ओ.के.करता रहे।हसनैन को विभूति राय ने लाया तो था बहुत हसीन-हसीन सपने दिखा कर । लेकिन इस पुलिस से कुलपति बने राय ने वि.वि.में अनाप-शनाप नियुक्ति,निर्माण कार्य के ठेका, जगह-जगह तथाकथित लाइजनिंग वाला सेमिनार आदि में अब तक जो मनमानी किया है उन सब के रिकार्ड का ब्यौरा आर.टी.आई. से लगायत मंत्रालय द्वारा तलब किया जाने लगा है, जांच का भी खतरा मंडरा रहा है।सो तथाकथित लाभ व पद के जुगाड़ी जनवादी पुलिसिया कुलपति के किये कर्मों को क्यों हसनैन अपने सिर पर लें। वह चले गये।तथाकथित सेकुलर जातिवादी पुलिसिया कुलपति ने उनकी जगह किसी अरविन्दाक्षन मलयाली को प्रोवीसी बना दिया।देखिये यह कितने दिन इसका धुधुक्का बने रहते हैं।
Sunday, July 11, 2010
एक यात्रा में दो-तीन यात्रा- भत्ता लेने वाले गुरूजीलोग जायेंगे जेल,नौकरी भी जायेगी
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। विश्वविद्यालयों,महाविद्यालयों के कुलपति,प्रोफेसर,रीडर,लेक्चरर गुरूजीलोग किसी कालेज,वि.वि.में सेमिनार में या प्रैक्टिकल परीक्षा लेने या लेक्चर देने जाते हैं तो उसी दौरान पास के किसी और वि.वि. या महाविद्यालय के अपने परिचित विभागाध्यक्ष आदि से कह कर दूसरे दिन प्रैक्टिकल परीक्षा आदि रखवा लेते हैं। ऐसा करके एक साथ दोनों जगह से यात्रा भत्ता ले लेते हैं।इसके लिए गुरूजीलोग आने-जाने का टिकट खरीद कर उसकी फोटो कापी कराकर रख लेते हैं और ओरीजनल टिकट रद्द कराकर रेलवे से रकम वापस ले लेते हैं। उस टिकट की जो फोटोकापी रखे रहते हैं उसे दूसरे वि.वि. या महाविद्यालय में जमाकरके यात्रा-भत्ता ले लेते हैं।इसके अलावा उस महाविद्यालय या वि.वि. से यात्रा-भत्ता तो लेते ही हैं जहां पहले आये और अपने असली यात्रा के टिकट की फोटो कापी दिये। यह धंधा गुरूजी लोगों में आपसी अनैतिकईमानदारी से बहुत दिनों से बहुत जोर-शोर से चल रहा है। शिक्षण संस्थानों, मंत्रालयों के कुछ अफसर भी अपनी सरकारी यात्रा सुविधा या रेलवे के मुफ्त पास से किसी प्रमुख जगह तफरीह करने जाते हैं , लगे हाथ वहां किसी वि.वि. के अपने चहेते किसी प्रोफेसर,विभागाध्यक्ष के विभाग में लेक्चर देकर आने-जाने का सेकेन्ड ए.सी. का किराया और लेक्चर का भुगतान ले लेते हैं। विश्वविद्यालयों ,महाविद्यालयों व इसी तरह के तमाम संस्थानों में वहां के संचालक गुरूजीलोगों के एक –दूसरे को लाभ पहुंचाने वाला यह फ्राडगिरी धलड़्ड़े से चल रहा है।जिसमें एक से एक सुनामधन्य गुरूजीलोग शामिल हैं। इस बारे में कई जगह से मानव संसाधन विकास मंत्रालय में शिकायत आई है । कई सांसदो ने इस मामले को मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संसदीय समिति सदस्यों को बताकर ऐसे फ्राडगुरूजी लोगो को शिक्षण संस्थानों से बर्खास्त करने का सख्त नियम बनाने की जरूरत बताई है। ऐसे भी मामले आये हैं जिसमें इस तरह की सप्रमाण शिकायत मिलने पर भी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय प्रशासन इसे दबा दिये। वजह यह है कि अन्दर-अन्दर सब मिले हुए हैं। इस प्रवृति से भी कुछ सांसद और संगठन इस मामले पर कड़ी कार्रवाई के लिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं।जिसके चलते मानवसंसाधन विकास मंत्रालय ने इस पर जल्दी ही कुछ करने का आश्वासन दिया है। कुछ सामाजिक संगठनों ने केन्द्रीय व राज्यों के विश्वविद्यालयों ,महाविद्यालयों व अन्य संस्थानों से इस तरह के मामलो के प्रमाण जुटाने शुरू कर दिये हैं। इसके लिए आरटीआई के मार्फत रेलवे से यात्रा करने या नहीं करने,टिकट बेच दिये जाने का प्रमाण ले रहे हैं और एक यात्रा में जितने शिक्षण संस्थानों से गुरूजी अलग-अलग यात्रा-भत्ता लिये हैं उन शिक्षण संस्थानों से उन गुरूजी लोगो को किये गये यात्रा-भत्ता भुगतानकी सत्यापित प्रति लेना शुरू किये हैं। इसके चलते यात्रा-भत्ता फ्राड करने-कराने वाले गुरूजीलोग अपना अनैतिक चरित्र उजागर होने,जगहंसाई,कार्रवाई के डर से बैचैन हैं।
Thursday, July 1, 2010
अनिल के.राय चोरगुरू 14 को करा रहा पी-एच.डी., विभूति राय यह अनैतिक ,नियमविरूद्ध है या नहीं ?
चोरगुरू अनिल के.राय अंकित शोध छात्रों से कह रहा-गाइड बदलो या एक माह में शोधप्रबंध जमा करो
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
कोई भी प्रोफेसर अपने निर्देशन में 8 से अधिक छात्रो को शोध नहीं करा सकता ।उसके अधिन शोध कर रहा छात्र जब शोध-प्रबंध जमा कर दे,उसे पी-एच.डी. की डिग्री एवार्ड हो जाये, तब उसकी जगह किसी नये छात्र को शोध निर्देशक अपने अधिन शोध के लिए रख सकता है। यह उसके अधिन प्रोफेसर बनने के पहले और बाद के उसके अधिन सभी शोध –छात्रो को मिलाकर योग है । यानी किसी भी हालत में प्रोफेसर के अधिन 8 से अधिक छात्र शोध नहीं कर सकते । यह यू.जी.सी.का नियम है । लेकिन इस नियम को ठेंगा दिखाते हुए, महात्मागांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय,वर्धा के पत्रकारिता विभाग के तथाकथित चोरगुरू प्रोफेसर अनिल के. राय अंकित ( ANIL K. RAI ANKIT ) 14 छात्रो को अपने अधिन शोध करा रहा है। इस चोर गुरू अनिल कुमार राय अंकित ने नकल करके एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति विभूति नारायण राय ( VIBHUTI NARAYAN RAI ) ही इसको प्रफेसर पद पर लाये। सो वह इसके बारे में नकल से लगायत अन्य शैक्षणिक कदाचार व अनैतिकता के तमाम प्रमाण होने , मौखिक- लिखित शिकायत मिलने के बावजूद इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। विभूति नारायण राय आईपीएस हैं, पुलिस अधिकारी रहते जनवाद,वामपंथ के लोगो से भविष्य के लाभ के लिहाज से सम्पर्क बना उनके मार्फत जुगाड़ लगा यूपीए-1 सरकार में, जब मनमोहन सरकार वामपंथियों के सहयोग से चल रही थी, कुलपति बन गये। उसके बाद चोरगुरू अनिल के. राय अंकित को प्रोफेसर पद पर लाये, महाश्वेता देवी के कहने पर कृपाशंकर चौबे को रीडर पद पर लाये। इस चोर गुरू के खिलाफ सप्रमाण जितनी भी शिकायत इस पुलिसिया कुलपति के पास गई, उसके बाबत जो भी आरटीआई गई, विभूति नारायण राय ने लगभग सबको पुलिसिया तरीके से दबाने का काम किया। ऐसा ही एक मामला अनिल अंकित का नियम विरूद्ध 8 से अधिक छात्रों को शोध कराने का भी है।लेकिन विभूति अपने इस प्रिय चोरगुरू को बचाने में लगे हैं।उनको चोरगुरू का ऐसा कोई भी काम अनैतिक,कदाचार नहीं लग रहा है।
इधर इस मामले में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय और यू.जी.सी. को सप्रमाण पत्र गया है और उस पर जांच कराने की मांग हुई है। जिसके आधार पर , इन दोनों जगह से पत्र म.गां.अं.हि.वि.वि.,वर्धा गया है, इस पर जबाब मांगा गया है ।इसके बाद चोरगुरू अनिल के. राय अंकित जौनपुर गया था। वहां, वीरबहादुरसिंह पूर्वांचल वि.वि. जौनपुर के अपने 5 शोध छात्रों से कहा कि तुम लोग विभाग के हेड व डीन रामजी लाल (यह भी चोर गुरू है) से कह कर अपना गाइड बदल लो, क्योंकि मैंने वर्धा में 6 से अधिक छात्रों को अपने अधिन शोध के लिए रख लिया है। जब कुछ छात्रो ने किसी तरह यह बात पूर्वांचल वि.वि.के कुलपति से कही तो उन्होंने कहा कि जाकर उससे कहो कि उसके अंडर में पी-एच.डी. के लिए पहले रजिस्ट्रेशन तुम लोग कराये हो, तुम लोगों का पी.एच.डी. पूरा कराने के बाद जब सीट खाली हो तब वह अपने अंडर में वर्धा में छात्रों को शोध करावे। उसके बाद जौनपुर के इन शोधार्थियों ने चोरगुरू अंकित से कहा कि यहां गाइड बदलना मुश्किल है, तब चोरगुरू ने उनसे कहा- चाहे जैसे भी हो गाइड बदलो या एक माह में पी-एच.डी. जमा करो। चोरगुरू अनिल के. राय ने अपने निर्देशन में राजर्षि पुरूषोत्तम दास टंडन खुला विश्वविद्यालय ,इलाहाबाद के भी 2 छात्रो को पी-एच.डी.कराने के लिए और ग्रामोदय वि.वि. चित्रकूट(म.प्र) के भी दो छात्रो को अपने निर्देशन में पी-एच.डी. के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। चोरगुरू अनिल के.राय अंकित ने वर्धा में अपने निर्देशन में 6 छात्रों को जिस तारीख को शोध कराने के लिए हस्ताक्षर किया उस तारीख को उसके निर्देशन में पहले से ही 8 से अधिक छात्र शोधकर रहे थे। पूर्वांचल वि.वि. में भी यू.जी.सी. का नियम लागू है।वहां भी जब तक एक छात्र का पी-एच.डी. पूरा नहीं हो जाता , सीट खाली नहीं हो जाती , निर्देशक किसी अन्य छात्र को अपने अधिन नहीं रख सकता। चोरगुरू अनिल अंकित जौनपुर में लेक्चरर था। तब वहां हर अध्यपाक अपने अधिन 7 छात्रों को पी-एच.डी. करा सकता था। चोरगुरू अंकित अपने अधिन जौनपुर में तो 7 छात्रो को तो शोध करा ही रहा था, राजर्षि पु.दा..टं.वि.वि.इलाहाबाद में भी 2 छात्रों को शोध करा रहा था।उसके बाद चित्रकूट में 2 छात्रों को अपने अंडर में रजिस्ट्रेशन करवाया । वर्धा आने के बाद यहां भी 6 छात्रों का शोध निर्देशक बन गया।उसके बाद और 2 छात्रों का शोध निर्देशक बना है या नहीं यह जल्दी ही पता चल जायेगा। इस तरह इसके अधिन आज भी लगभग 14 शोध छात्र शोध कर रहे हैं। यदि किसी छात्र से कुछ लिखवा लिया हो तो भी 8 से अधिक छात्र तो इसके अधिन शोध कर ही रहे हैं। जबकि यू.जी.सी. के नियम के अनुसार इसके अधिन 8 छात्र ही शोध कर सकते हैं। क्या पुलिसिया कुलपति विभूति नारायण राय अपने चहेते चोरगुरू अनिल राय अंकित के इस कारनामे के बारे में बतायेंगे कि यह अनैतिक है या नहीं ?
Sunday, June 27, 2010
राममोहन पाठक, अमितांशु पाठक, किंशुक पाठक के खिलाफ मूर्ति चोरी की FIR दर्ज
-सत्ताचक्र SATTACHAKRA-
महामना मदन मोहन मालवीय पत्रकारिता संस्थान, महात्मागांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी के प्रोफेसर राम मोहन पाठक(RAM MOHAN PATHAK), उनके सगे बड़े पुत्र अमितांशु पाठक (आलोक मेहता के सम्पादकत्व में निकल रही नई दुनिया के वाराणसी संवाददाता) , छोटे पुत्र किंशु पाठक के खिलाफ ,जालसाजी करके मंदिर व उसकी प्रापर्टी खरीदने ,मंदिर से मूर्ति राधाकृष्ण की चोरी कर गायब करने,जालसाजी कर जान से मारने की धमकी देने के मामले में न्यायालय के आदेश पर वाराणसी के चेतगंज थाने में दिनांक 23-06-2010 को एफ.आई.आर. दर्ज हुआ है। जिसका नम्बर है- मु.अ.सं.167 / 10 धारा 379 / 419 / 506 ipc ps चेतगंज वाराणसी । बेसर देवी , पत्नी स्व. लालजी मिश्र, कबीर चौरा, वाराणसी ने यह मुकदमा और केस दर्ज कराया है। कई माह से पुलिस वाले केस दर्ज नहीं कर रहे थे तो बेसर देवी न्यायालय की शरण में गईं। न्यायालय के आदेश के बाद चेतगंज पुलिस ने यह रिपोर्ट दर्ज की ।
बेसर देवी ने जो तहरीर दी है उसमें है - ... प्रार्थिनी बेसर देवी ..... भवन सं...पुरानी टकसाल चेतगंज में विराजमान श्री ठाकुर राधाकृष्ण जी की सेवायत हैं। उपरोक्त मंदिर में देखरेख हेतु प्रार्थिनी ने अपने बहन के लड़के त्रिभुवन मिश्र पुत्र श्री विश्वनाथ मिश्र, निवासी ग्राम- गोविन्दपुर ,भीम चंडी, पोस्ट राजातालाब,थाना –रोहनियां, जिला –वाराणसी को देखरेख हेतु रखी थी। त्रिभुवन मिश्र... ने ......भगवान श्री ठाकुर राधाकृष्ण जी मूर्तियों,सिंहासन,मुकुट, पूजा-पाठ श्रृंगार की सामग्री चोरी कर गायब कर दिया साथ ही जालसाजी करके मंदिर मकान को बेच दिया। जिसमें त्रिभुवन ...एवं राममोहन पाठक पुत्र विश्वनाथ पाठक तथा अमितांशु पाठक व किंशु पाठक पुत्र राम मोहन पाठक , निवासी डी-6 / मुहल्ला –रानीभवानी की गली , वार्ड –दशाश्वमेध, थाना-दशाश्वमेध, शहर –वाराणसी ....तथा शंभुनाथ मिश्र ... की जानकारी में यह कृत्य किया गया है। अत: श्रीमान से अनुरोध है कि उपरोक्त सभी मूर्ति विग्रहों की चोरी कर गायब करने तथा म.न.सी.25/ 19 पुरानी टकसाल की ट्रस्ट प्रापर्टी को जालसाजी कर खरीद-फरोख्त करने , भ्रष्टाचार एवं जालसाजी करने एवं प्रार्थिनी को मयपरिवार जान से मारने के धमकी देने पर तत्काल नियमानुसार कार्रवाई करने की महती कृपा की जाय । ताकि न्याय हो सके तथा मूर्ति विग्रहों को पुन: यथास्थान स्थापित कराकर पूजा-पाठ प्रारम्भ कराया जा सके।....
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Friday, June 25, 2010
निशंक की कुर्सी खतरे में , तरूण विजय लगे बचाने में
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली।उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की कुर्सी खतरे में है।उन पर भ्रष्टाचार के कई बड़े आरोप लगने से पहले से ही परवान चढ़ी भाजपा की तथाकथित सुचिता की असलियत और तेजी से उजागर हुई है। सो और बेपर्दा होने से बचाने के लिए निशंक को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मंत्रणा शुरू हो गई है। जिससे बेचैन निशंक ने आडवाणी के यसमैन तरूण विजय पासी से कहा है कि आपको राज्य में जीताकर राज्यसभा में भेजवाया अब आप आडवाणी जी, सुषमा जी, जेतली जी,रामलाल जी, सोनी जी, मदनदास जी से कह कर मुझे बचाइये। सूत्रो के मुताबिक निशंक ने पैरवी के लिए राज्य के उस उप प्रभारी डा.अनिल जैन को भी आगे किया है जिसकी घोषित –अघोषित कम्पनियों व धंधो को निशंक ने अति मोटा फायदा पहुंचाया है। लेकिन अनिल जैन जगह-जगह घूमकर अपने बचाव की कोशिश कर रहे हैं । सूत्रो के मुताबिक पिछले दिनो एक टी.वी. चैनल ने भी निशंक सरकार के भ्रष्टाचार का सप्रमाण खुलासा किया था। एक स्टिंग आपरेशन में अरबो रूपये की एक बड़ी डील का पर्दाफाश हुआ था। बीमार इकाइयों को पुर्नजीवित करने के लिए गठित बोर्ड (बीआइएफआर) के मार्फत अनिल जैन की तथाकथित परिजनों, रिश्तेदारों की कम्पनी को 400करोड़ रूपये लाभ पहुंचाने की कोशिश का मामला, दिल्ली के एक बिल्डर को सारे नियम कायदे ताक पर रखकर कई अरब रूपये की जमीन देने का मामला ,आदि निशंक के तथाकथित भ्रष्टाचार के प्रमाण हैं। जिनके दस्तावेज विरोधी दलो के नेताओं के यहां भी पहुंच गये हैं। सूत्रो के मुताबिक निशंक को अपने जैसे ही भ्रष्टाचार के आरोपियों तरूण विजय पासी और अनिल जैन पर पूरा भरोसा है कि दोनो अपने-अपने आकाओं से गुजारिश करके उनको ( निशंक) बचा देंगे। क्योंकि निशंक ने दोनो को ही खुब लाभ पहुंचाया है। मालूम हो कि तरूण विजय पांचजन्य में पत्रकार रहे हैं।वहां रहते उन्होंने खूब घोटाले किये, जिसकी सप्रमाण शिकायत संघ के ही लोगो ने तबके संघ प्रमुख सुदर्शन से किया।संघ प्रमुख ने बहुत दबाव बनाकर तरूण विजय को पांचजन्य से हटवाया, क्योंकि उनके आका लालकृष्ण आडवाणी कत्तई नहीं चाहते थे कि तरूण को हटाया जाय।जब तरूण को सुदर्शन के दबाव में हटा दिया गया तो आडवाणी ने उनको श्यामाप्रसाद मुखर्जी ट्रस्ट का मोटी पगार पर निदेशक बनवा दिया। और जब सुदर्शन जी संघ प्रमुख पद से हट गये, मोहन भागवत संघ प्रमुख हो गये , भागवत ने गडकरी को भाजपा प्रमुख बना दिया तो आडवाणी ने नीतिन गडकरी को चांप कर अपने यसमैन तरूण विजय को भाजपा प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद बनवा दिया। तरूण विजय का उत्तराखंड में बहुत से धंधे हैं ,कौड़ियों के भाव राज्य भाजपा सरकार से जमीन लेकर अपना इंजिनियरिंग कालेज आदि खोलवाये हैं। जिसमें राजनाथ सिंह , सुषमा स्वराज से लगायत बहुतों ने मोटी रकम दिया है। इसी तरह निशंक भी पत्रकार रहे हैं, कुछ-कुछ कवि भी हैं । सबको खुश रखकर अपना काम निकालने में विश्वास रखते हैं। अनिल जैन डाक्टर हैं ,उद्योगपति हैं, सर्वे एजेंसी भी चलाते हैं,वनवासी कल्याण के एक संघ के बड़े की कृपा से भाजपा के डाक्टर सेल में कुछ बने और उसके बाद उत्तराखंड के उपप्रभारी बना दिये गये। इनका नोएडा में कोई फैक्ट्री है या नहीं , अर्जुन मुंडा के मुख्यमंत्री रहते झारखंड में 2 माइन्स मिली हैं या नहीं यह तो अनिल जैन या इनके परिजन, रिश्तेदार या अघोषित पार्टनर ही बता सकते हैं।कुल मिलाकर ये सब के सब जिन्नाजपी स्वंभू सरदार लालकृष्ण आडवाणी के एक से एक नमूने हैं।
60 प्रतिशत से कम अंक पर कामर्स और 70 प्रतिशत से कम अंक पर साइंस में एडमिशन नहीं
केन्द्रीय विद्यालयों में 11 वीं में 30 हजार छात्र अनचाहा विषय पढ़ने को मजबूर
10 हजार छात्रों का भविष्य अंधकारमय
-कृष्णमोहन सिंह
नईदिल्ली। केन्द्रीय विद्यालय संगठन के नये फरमान से लगभग 10 हजार से अधिक छात्रो का भविष्य अंधरकारमय हो गया है। सहायक आयुक्त पिया ठाकुर के हस्ताक्षर से दिनांक 16.06.10 को जारी सरकुलर ( F.11016/01/2010-KVSHQ/Acad/ ) के अनुसार
साइंस स्ट्रीम में उन्ही छात्रों का एडमिशन होगा जिनके कक्षा 10 वीं में प्राप्तांक 6 सीजीपीए यानी लगभग 60 प्रतिशत होगा । गणित में बी2 और विज्ञान में भी बी2 होगा ।यानी इन विषयों में 61 से 70 अंक होगा।
कामर्स स्ट्रीम में उन्ही छात्रो का नाम लिखा जायेगा जिनके कक्षा 10 वीं में प्राप्तांक 6 सीजीपीए यानी लगभग 60 प्रतिशत होगा। गणित में बी2 यानी 61 से 70 अंक होगा।
ह्यूमनिटीज स्ट्रीम ( मानविकी/ कला विषय) में 6 सीजीपीए यानी 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले छात्रों का एडमिशन होगा।
इस नये फरमान के चलते केन्द्रीय विद्यालयों में 11 वीं कक्षा में विज्ञान( साइंस) विषय में उन्हीं छात्रो को प्रवेश दिया जा रहा है जिनका कुल प्राप्तांक 70 प्रतिशत व अधिक है।
वाणिज्य (कामर्स) विषय में उन छात्रो का नाम लिखा जा रहा है जिनके प्राप्तांक 60 प्रतिशत व अधिक हैं।
सूत्रो के मुताबिक केन्द्रीय विद्यालयों में इस वर्ष 10वीं में 55 से 59 प्रतिशत अंक पाने वाले लगभग 10 हजार छात्र हैं। केन्द्रीय विद्यालय संगठन के नये फरमान के चलते ये छात्र केन्द्रीय विद्यालय में वाणिज्य विषय नहीं ले सकते । इनको अब मजबूरी में कला वाला विषय पढ़ना होगा या वाणिज्य पढ़ने के लिए केन्द्रीय विद्यालय छोड़कर राज्यों के स्कूल में दाखिला लेना होगा। कई केन्द्रीय विद्यालयों में तो ह्यूमनिटीज स्ट्रीम ( मानविकी/ कला विषय) की पढ़ाई ही नहीं होती है, जैसे – केन्द्रीय विद्यालय,डी.एल.डब्लू., वाराणसी। यहां 59 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले बच्चे एडमिशन कराने के लिए दूसरे स्कूलों में धक्के खा रहे हैं। मोटी फीस व मोटे अघोषित डोनेशनी दान वसूलने वाले प्राइवेट स्कूल ( सीबीएससी सिलेबस वाले)इसका खूब फायदा उठा रहे हैं।
यही हाल विज्ञान पढ़ने के इच्छुक छात्रों का है। जिन छात्रों का कक्षा 10वीं में 70 प्रतिशत से कम अंक आया है उनका केन्द्रीय विद्यालयों में विज्ञान में एडमिशन नहीं हो रहा है। ऐसे में 61 से 69 प्रतिशत तक अंक पाने वाले छात्र विज्ञान विषय से नाम लिखाने के लिए सीबीएससी सिलेबस वाले प्राइवेट स्कूलो के लूट के शिकार होने को मजबूर हो रहे हैं।
इस सरकुलर के पहले यह स्थिति नहीं थी। इसके पहले जो सरकुलर था उसके अनुसार 10वीं में कुल 55 प्रतिशत अंक और विज्ञान में 60 प्रतिशत, गणित में 60 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्रों का एडमिशन 11वीं में विज्ञान वर्ग में हो जाता था।
इसी तरह कुल 55 प्रतिशत अंक और गणित में 60 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्र का एडमिशन वाणिज्य वर्ग में हो जाता था। लेकिन इस साल से 70 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले को विज्ञान में और 60 प्रतिशत से अधिक अंक पाने वाले को वाणिज्य में एडमिशन का नियम बनाकर लगभग 20 हजार छात्रो को विज्ञान की जगह वाणिज्य और लगभग 10 हजार छात्रो को वाणिज्य की जगह मानविकी / कला विषय लेने को मजबूर कर दिया गया है।
12वीं में 70 प्रतिशत अंक पाने वाले छात्र ही दे पायेंगे आईआईटी प्रवेश परीक्षा
नईदिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्रालय , दामोदर कमेटी की सिफारिश को आधार बनाकर 12वीं में 70 प्रतिशत व उससे अधिक अंक पाने वाले छात्रो को ही आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बैठने देने का नियम बनाने की तैयारी कर रहा है। यदि यह हुआ तो 12वीं में 70 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले आईआईटी / इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में नहीं बैठ सकते हैं ।इससे गांवों व गरीब परिवार के छात्र सबसे ज्यादे प्रभावित होंगे। क्योंकि गांवों में तमाम अभावों के बीच बच्चे मेहनत करके पढ़ते हैं। किसी तरह से 60 – 65 प्रतिशत तक अंक ला पाते हैं । उ.प्र. , बिहार व अन्य कई राज्यों की बोर्ड परीक्षा व सिलेबस इतनी कठिन हैं कि छात्रों को अधिक अंक लाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में इन बोर्डों से पास हुए 12 वीं के छात्रों को सीबीएससी से पास हुए छात्रों के अंक की बराबरी में लाना नाइंसाफी होगी। उ.प्र.व अन्य राज्यों के बोर्ड से सीबीएससी सिलेबस व परीक्षा बहुत आसान होती हैं। जिसके चलते सीबीएससी वाले छात्र अधिक अंक लाते हैं। ऐसे में आईआईटी प्रवेश परीक्षा के लिए 12 वीं में 70 प्रतिशत अंक का बैरियर लगा देने पर उ.प्र.,बिहार.पश्चिम बंगाल, राजस्थान, म.प्र.,उड़ीसा आदि राज्यों के गरीब छात्र आईआईटी में प्रवेश नहीं ले पायेंगे। दामोदर कमेटी ने रिपोर्ट दी है कि आईआईटी में एडमिशन सिर्फ इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर ही नहीं, बल्कि 12वीं के मार्क्स के आधार पर भी हो सकता है। आईआईटी की प्रवेश परीक्षा के लिए बने पैनल ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से सिफारिश की कि आईआईटी में प्रवेश के लिए 12वीं के अंकों का 70 परसेंट वेटेज होगा और बाकी के 30 प्रतिशत अंकों के लिए पहले की तरह कॉमन इंट्रेंस टेस्ट होगा। इस 30 प्रतिशत मार्क्स के लिए छात्रों को ज्वाइंट इंट्रेंस टेस्ट देना होगा। ये टेस्ट साल में कभी भी लिया जा सकता है।हर साल जून में 12वीं के अंकों और इंट्रेंस टेस्ट के आधार पर कट ऑफ लिस्ट बनेगी। इस लिस्ट के टॉप 40 हजार छात्रों को आईआईटी में प्रवेश के लिए एक और टेस्ट देना होगा। इस टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर आईआईटी में प्रवेश होगा। इस समय आईआईटी की प्रवेश परीक्षा में 4 लाख से ज्यादा छात्र शामिल होते हैं।
सूत्रो के मुताबिक मानव संसाधन मंत्रालय के अफसरों का तर्क है कि आईआईटी के लिए कोचिंग के बढ़ते धंधे पर रोक लगाने के लिए यह पद्धति अपनाई जायेगी। जबकि कई शिक्षाविदों व तमाम सांसदों का कहना है कि इससे तो गरीब परिवार व गांवों के बच्चे आईआईटी प्रवेश परीक्षा दे ही नहीं पायेंगे। यह तो नियम इलीट परीवार, धनी परीवार के बच्चो के लिए लाभदायक होगा। गांवो व गरीब परिवार के बहुत से छात्र हैं जो 12 वीं में 55 से 65 प्रतिशत अंक पाये थे और आईआईटी व अन्य इंजिनियरिंग परीक्षाओं में पास हुए। दामोदर कमेटी की रिपोर्ट लागू हो गई तो ऐसे छात्र तो इंनियरिंग की पढ़ाई ही नहीं कर पायेंगे। और इससे तो कोचिंग क्लास का धंधा और भी फलेगा-फूलेगा। कोचिंग वाले तो 9 वीं कक्षा से ही 12 वीं में 70 प्रतिशत से अधिक अंक लाने व आईआईटी प्रवेश परीक्षा में बैठने योग्य बनाने का लक्ष्य रख पढाने लगेंगे। शिक्षा का जितना बाजारीकरण हो रहा है कोचिंग का उतना ही मांग बढ़ रहा है, वह घटने वाला नहीं है। इसलिए उसके रोकने के नाम पर दामोदर कमेटी की रिपोर्ट लागू करने की योजना बनाना गांव व गरीब परिवार के छात्रो का हक मारना, उनके भविष्य से खेलवाड़ करना होगा।
Wednesday, June 23, 2010
क्या गडकरी की कृपा से जे.एस. राजपूत बनना चाहते कुलपति ?
जुगाड़ लगाकर न केवल अपने पद पाने बल्कि बेटी व दामाद को पद दिलवाने और सत्ता के साथ रंग बदलने की कला कोई जे.एस. राजपूत (J.S.RAJPUT) से सीखे। जब अर्जुन सिंह केन्द्रीय शिक्षा मंत्री थे तो उनकी परिक्रमा व वंदना कर जे.एस राजपूत मालदार पद पा गये। जब केन्द्र में भाजपा की सरकार आई तो वह डा. मुरली मनोहर जोशी की गणेश परिक्रमा करने लगे और सबसे बड़े भगवाई बन गये। इस दौरान एनसीईआरटी के निदेशक रहते इन्होने अपनी सगी बेटी को लाभ पहुंचाने से लगायत अन्य जो कर्म किये उसे आज भी लोग याद करते हैं। बेटी वाला मामला तुल पकड़ने लगा तो जुगाड़ लगवाकर उसको यूजीसी में मोटी पगार पर पक्की नौकरी लगवा दिया। सूत्रो के मुताबिक उसका और ग्रेड बढ़वाने के लिए तबके शिक्षा मंत्री मुरली मनोहर जोशी तक से यूजीसी के अधिकारी के यहां फोन करवाया । लेकिन अधिकारी ने जब यह बताया कि उनकी जो डिग्री है उससे अधिक लाभ ,सेलरी व योग्यतावाला पद पहले ही दे दिया गया है,आप कहें तो पूरी फाइल लाकर दिखा दूं,,उसके बाद जोशी ने कहा था कि उनको तो कुछ और बताया गया है।इस तरह वाजपेयी सरकार के समय एनसीईआरटी के निदेशक रहते जे.एस. राजपूत ने खूब भगवा झंडा लहराया। भाजपा सरकार के बाद जब यूपीए-1 की सरकार बनी और अर्जुन सिंह फिर केन्द्रीय शिक्षामंत्री बने तो जे.एस राजपूत ने फिर उनके दरबार में हाजिरी लगाई। लेकिन इस बार अर्जुन सिंह को इनकी मौसम के हिसाब से रंग बदलने की काबिलियत का अच्छी तरह पता चल गया था। सो उन्होने इस बार इनको घास नहीं डाला। तो राजपूत ने अखबारों में उनके खिलाफ घुमाफिराकर लेख लिखना शुरू कर दिया। इधर एक कोई विदेशी पुरस्कार था जो जे.एस. राजपूत को मिलना था उसकी मंजूरी की फाइल शिक्षा मंत्रालय में धूल फांकती रही। इस बीच राजपूत ने अंदर-अंदर अर्जुन सिंह को प्रसन्न करने की सारी हिकमत, जुगाड़ लगा लिया लेकिन बात बनी नहीं। जब यूपीए-1 का कार्यकाल कुछ माह रह गया था तब अर्जुन सिंह के यहां जे.एस.राजपूत सपत्निक गये और सब कुछ क्लियर कर देने का आग्रह किये। राजपूत ने उनसे यह भी आग्रह किया आप यू.जी.सी.में मेम्बर बनवा दीजिए तो समझूंगा कि आपने माफ कर दिया । सूत्रो के मुताबिक अर्जुन सिंह ने पुरस्कार वाली फाइल तो क्लियर करा दी लेकिन यू.जी.सी. का मेम्बर नहीं बनवाया। यूपीए-2 में कपिल सिब्बल केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री हो गये तो जे.एस राजपूत कई माह तक उनकी प्रशंसा में लेख लिखते रहे। कई जगह से जुगाड़ लगवाए कि सिब्बल उनको कहीं कुलपति बनवा दें या उस रैंक में दिल्ली में ही कहीं निदेशक बनवा दें। लेकिन सिब्बल ने उनको तरजीह नहीं दिया तो मनमसोसकर अब फिर भाजपा नेताओं की परिक्रमा करने लगे हैं। सूत्रो के मुताबिक जे.एस.राजपूत एक वि.वि. के प्रोवाइसचांसलर के साथ 7 जून 2010 के लगभग नागपुर गये थे। वहां वह भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से मिले। चर्चा है कि राजपूत अब गडकरी की कृपा से म.प्र.या छत्तीसगढ़ के किसी विश्वविद्यालय में कुलपति या भाजपाशासित राज्यों में किसी आयोग में मोटे मालदार पद पर तैनाती चाहते हैं।